Starlink ने कैसे मोल ली रूस-चीन से टक्कट.. चुपके से नया वार क्यों छेड़ रहे एलन मस्क?

1 week ago

Starlink satellite threat: दुनिया के सबसे चर्चित अमीर और इन दिनों ट्रंप सरकार में शामिल एलन मस्क अपनी कंपनी स्टारलिंक को लेकर बहुत ही आश्वस्त रहते हैं कि भविष्य में पूरी दुनिया में उसेसैटेलाइट नेटवर्क की भूमिका निभानी है. लेकिन इन सबके बीच स्टारलिंक अब रूस और चीन के निशाने पर आ गया है. एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद जब वहां की इंटरनेट सेवाएं बाधित हो गईं तब स्टारलिंक का इस्तेमाल सेना और आम लोगों ने संपर्क बनाए रखने के लिए किया. इसके चलते अब रूस और चीन इसे अपनी सैन्य रणनीतियों में खतरे के रूप में देख रहे हैं. इसके साइड इफेक्ट पर भी चर्चा शुरू हो गई. 

अमेरिकी एजेंसी ने ही जारी की है रिपोर्ट 
असल में स्पेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सूचना अमेरिका की ही Secure World Foundation SWF नामक एजेंसी ने तैयार की है. इसमें 12 देशों की अंतरिक्ष से जुड़ी सैन्य क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया है. रिपोर्ट बताती है कि जैसे-जैसे देश अंतरिक्ष पर निर्भर हो रहे हैं वैसे-वैसे counterspace यानी दूसरे देश के उपग्रहों को निष्क्रिय करने की क्षमताएं भी बढ़ रही हैं.

यूक्रेन में रूस की नई तकनीक.. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस ने यूक्रेन में स्टारलिंक सेवा को बाधित करने के लिए Tobol नामक सिस्टम का इस्तेमाल किया. यह सिस्टम पहले रूसी सेटेलाइट्स को जैमिंग से बचाने के लिए बनाया गया था लेकिन अब इसे स्टरलिंक सिग्नल को रोकने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. इसके अलावा रूस Kalinka नामक नई तकनीक भी बना रहा है जो Starlink और Starshield सिग्नलों को पकड़कर रोक सकता है.

रूस का साइबर प्लान और फिर GPS जैमिंग
रिपोर्ट के अनुसार रूस ने फ्रांस, नीदरलैंड, स्वीडन और लक्ज़मबर्ग जैसे यूरोपीय देशों में जीपीएस सिग्नल को भी जैम किया है. इतना ही नहीं बच्चों के टीवी चैनल्स तक को हैक कर युद्ध के दृश्य प्रसारित किए गए. माना जा रहा है कि यह हस्तक्षेप मॉस्को और अन्य रूसी ठिकानों से किया गया था.

उधर चीन की तैयारी भी तेज
चीन भी भविष्य में अमेरिका से संभावित युद्ध को ध्यान में रखते हुए अपनी counterspace क्षमताएं बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि चीन की सेना ऐसे पनडुब्बी डिजाइन पर काम कर रही है जिनमें लेजर लगे होंगे और वे स्टारलिंक जैसे सेटेलाइट्स को निशाना बना सकेंगी. हालांकि इसके लिए बाहरी सोर्सेज से सटीक निर्देश मिलने जरूरी होंगे.

अब तक सीमित है नुकसान.. लेकिन खतरा बरकरार
रिपोर्ट में जिक्र है कि फरवरी 2025 तक स्टारलिंक साइबर हमलों से काफी हद तक सुरक्षित रहा है. फिलहाल केवल non-destructive यानी बिना सेटेलाइट को पूरी तरह नष्ट किए गए तरीके ही इस्तेमाल हो रहे हैं. लेकिन भविष्य में खतरा और भी गंभीर रूप ले सकता है. एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि अब समय आ गया है जब अंतरिक्ष सुरक्षा पर खुले और वैश्विक स्तर पर बहस होनी चाहिए. क्योंकि आज हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में अंतरिक्ष डेटा का उपयोग कर रहा है.

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