नई दिल्ली(इंटरनेट डेस्क) विशाल यादव। हाल ही में अमेरिका ने एक ऐसा नियम लागू किया जिससे अब अगर आप मोटापे, हार्ट डिजीज या डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल बिमारियों से जूझ रहे हैं, तो अमेरिका का वीजा पाना आसान नहीं होगा। तो जरा सोचिए, जब अमेरिका इन बीमारियों को रोकने के लिए सख्त हो गया है, तो हम क्यों इन्हें अपने शरीर में जगह दे रहे हैं? भारत में डायबिटीज, ओबेसिटी और कैंसर का जो हाल है, वो किसी 'वेक-अप कॉल' से कम नहीं और यह कॉल अमेरिका जाने की नहीं बल्कि जहां भी रहें हेल्दी बने रहने की है।
अब लाइफस्टाइल डिजीज तय करेगी आपका वीजा स्टेटस
अब अमेरिकी एम्बेसीज को ये अधिकार मिल गया है कि वे उन लोगों को वीजा देने से मना कर दें जो क्रॉनिक नॉन-कम्युनिकेबल डिजीजेस यानी लाइफस्टाइल बीमारियों यानी डायबिटीज, ओबेसिटी, हार्ट डिजीज, कैंसर या रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स से जूझ रहे हैं। कारण साफ है ऐसे लोग अमेरिका के लिए 'पब्लिक चार्ज' माने जा रहे हैं, यानी ऐसा बोझ जो वहां के हेल्थ सिस्टम पर भारी पड़ सकता है। अब बात सिर्फ टीबी या इन्फेक्शन की नहीं रही। ये पॉलिसी अब आपकी बॉडी वेट, ब्लड शुगर, फिटनेस लेवल और मेडिकल हिस्ट्री तक देखेगी। यानी वीजा इंटरव्यू अब एक मेडिकल एग्जामिनेशन जैसा हो गया है, और इसमें कोई 'ग्रेस पीरियड' या 'अपील' का मौका नहीं सीधा हां या ना।
भारत के डराने वाले आंकड़े
ओबेसिटी
NFHS-5 के मुताबिक भारत में 24% महिलाएं और हर चौथा पुरुष ओवरवेट या ओबीज है। शहरों में स्थिति और गंभीर है। जहां 33% महिलाएं ओबीज हैं। ICMR का अनुमान है कि करीब 35 करोड़ भारतीय एब्डॉमिनल ओबेसिटी से जूझ रहे हैं, जो हार्ट डिजीज और डायबिटीज की बड़ी वजह है।
डायबिटीज
भारत अब दुनिया की डायबिटीज कैपिटल कहलाता है। 2022 तक 21 करोड़ भारतीय इस बीमारी से पीड़ित थे। चौंकाने वाली बात ये कि इनमें से 62% को कोई इलाज नहीं मिल रहा। WHO चेतावनी देता है 2030 तक केस 266% तक बढ़ सकते हैं।
कैंसर
2024 में भारत में 15।6 लाख नए कैंसर केस और 8।7 लाख मौतें दर्ज हुईं। सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के 2।3 लाख से ज्यादा मामले सामने आए। अब ऐसे मरीजों के लिए अमेरिका का वीजा पाना बेहद मुश्किल हो गया है।
यह आंकड़े हम आपको डराने के लिए नहीं बता रहे हैं। हमारा मकसद है कि इसे पढ़कर आप जागरुक हों और अमरीका के बहाने ही सही इस समय की इंपॉर्टेंस को समझें कि कि अगर सेहतमंद हैं तो दुनिया में बने रहेंगे। ऐसा करने के लिए यह समझना जरूरी है।भारत कैसे बना 'सिक नेशन'
हमारी सेहत की दुश्मन न जीन्स हैं, न किस्मत बल्कि हमारी हैबिट्स हैं। The Lancet Global Health के मुताबिक 49।4% भारतीय एडल्ट्स शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं हैं। महिलाओं की हालत तो और भी खराब है, 57% बिल्कुल इनएक्टिव हैं। रिमोट वर्क, डिजिटल एंटरटेनमेंट और स्क्रीन-डिपेंडेंट लाइफ ने हमें चलना-फिरना भुला दिया है। ऊपर से जंक फूड ने शरीर पर पूरा कब्जा कर लिया है। Global Food Policy Report 2024 बताती है कि 38% भारतीय रोज अनहेल्दी खाना खाते हैं। कॉलेज यूथ की प्लेट में अब घर का खाना नहीं, बल्कि बर्गर, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक हैं। नतीजा हर चौथा भारतीय अब ओवरवेट है। जब फिजिकल इनएक्टिविटी और जंक फूड मिलते हैं, तो पैदा होती हैं लाइफस्टाइल डिजीज।अब वक्त है रिक्लेम करने का
हर दिन कुछ करें
WHO और Fit India की गाइडलाइन कहती है कि हर व्यक्ति को हफ्ते में कम से कम 150 मिनट एक्टिविटी करनी चाहिए। जैसे वॉकिंग, योगा, डांस या साइक्लिंग। हर 30 मिनट में उठिए, थोड़ा चलिए, स्ट्रेच कीजिए। यही छोटे स्टेप्स आपके शरीर को एक्टिव रखते हैं।
जंक फूड को कम नहीं, खत्म कीजिए
पिज्जा, चिप्स, कुकीज और कोल्ड ड्रिंक ये सिर्फ स्वाद नहीं, ये स्लो पॉइजन हैं। इन्हें घर से बाहर निकाल दीजिए। स्वस्थ विकल्प अपनाइए: फल, मखाना, पॉपकॉर्न, डार्क चॉकलेट या रोस्टेड वेजिटेबल्स।
छोटा खाए पर बार- बार
तीन भारी मील्स की जगह पांच छोटे मील्स लीजिए। फोकस करें फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स पर।
हाइड्रेशन और स्लीप
दिन में 3-4 लीटर पानी पीजिए और 7-8 घंटे की नींद लीजिए। कम नींद और डिहाइड्रेशन दोनों ही ओवरईटिंग और क्रेविंग बढ़ाते हैं।
स्ट्रेस और इमोशनल ईटिंग को पहचाने
जब स्ट्रेस हो, तो खाना मत खोजिए। वॉक पर जाइए, योगा कीजिए या कोई हॉबी अपनाइए।
हेल्थ चेकअप को रूटीन बनाइए
हर 3-6 महीने में ब्लड शुगर, BP और वजन चेक कराइए। नंबर्स में प्रोग्रेस दिखेगा तो मोटिवेशन खुद बढ़ेगा।

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