Last Updated:December 05, 2025, 12:56 IST
Vladimir Putin News: रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन की भारत यात्रा से भारत-रूस संबंध और अधिक मजबूत हुए हैं. पुतिन की भारत यात्रा के बीच अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति वाली रिपोर्ट सामने आई है. इसमें भारत को इंडो-पैसिफिक में अहम साझेदार बताया गया है और चीन की आलोचना की गई है.
पुतिन अभी भारत दौरे पर हैं.राजनीति हो या कूटनीति, टाइमिंग का अपना महत्व है. पुतिन अभी भारत आए हैं. इसके साथ ही वैश्विक कूटनीति की शतरंज पर चालें तेज हो गई हैं. पुतिन और मोदी मिलकर भारत-रूस की दोस्ती के रंग को और गाढ़ा कर रहे हैं, ऐसे में पश्चिम देशों की धुकधुकी बढ़ने लगी है. जी हां, से ही व्लादिमीर पुतिन भारत आए, ठीक वैसे ही अमेरिका ने भी भारत पर डोरे डालने शुरू कर दिए. अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जारी की है. इसमें उसने जहां भारत पर डोरे डाले हैं, वहीं चीन को कोसा है.
जी हां, अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) जारी कर भारत पर ‘डोरे डालने’ की कोशिश की है. अमेरिका की एनएसएस में भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा में प्रमुख भूमिका निभाने वाला साझेदार बताया गया है. अमेरिकी रिपोर्ट कहती है कि भारत के साथ व्यापारिक और अन्य संबंधों को मजबूत करना जरूरी है, ताकि क्षेत्र में कोई बड़ी ताकत एकतरफा दबदबा न कायम कर सके. अमेरिका का यह इशारा जरूर चीन की तरफ ही है.
भारत पर अमेरिका की रिपोर्ट में क्या?
अमेरिका की नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी ( Security Strategy) वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ व्यापारिक और दूसरे रिश्तों को और बेहतर करना जरूरी है, ताकि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा सके. अमेरिका ने यह भी कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के साथ मिलकर “क्वाड” सहयोग को आगे बढ़ाना चाहता है. साथ ही वह अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा कि कोई भी बड़ी ताकत इस पूरे क्षेत्र पर एकतरफ़ा दबदबा न बना सके.
अमेरिका रिपोर्ट में चीन पर कड़ी टिप्पणी
वहीं रिपोर्ट में चीन पर कड़ी टिप्पणी की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नई अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अकेले ही उन गलत धारणाओं को तोड़ा, जिन पर अमेरिका पिछले 30 साल से चीन को लेकर चल रहा था. अमेरिका मानता था कि अगर वह चीन के लिए अपने बाजार खोलेगा, वहां अमेरिकी कंपनियों को निवेश कराने देगा और अपनी मैन्युफैक्चरिंग चीन में शिफ्ट करेगा, तो चीन ‘रूल-बेस्ड इंटरनेशनल ऑर्डर’ का हिस्सा बन जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, चीन और ज्यादा अमीर और ताकतवर बन गया और उसने इस ताकत का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पिछले चार अमेरिकी प्रशासन चाहे रिपब्लिकन हों या डेमोक्रेट या तो चीन की रणनीति को नजरअंदाज करते रहे या फिर अनजाने में उसका साथ देते रहे.
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First Published :
December 05, 2025, 12:56 IST

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