Last Updated:January 30, 2025, 07:03 IST
Modi Cabinet News: भारत ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन लॉन्च किया. इसमें 34,300 करोड़ रुपये का निवेश होगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मिशन से महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित होगी.
भारत ने बुधवार को एआई की दुनिया में अपना दांव खेलते हुए नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन लॉन्च किया.
नई दिल्ली: चीनी एआई डीपसीक ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है. डीपसीक की वजह से अमेरिका के पसीने छूट रहे हैं. एक तरफ चीनी स्टार्टअप्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दुनिया में धूम मचा रहे हैं. वहीं, अब भारत भी पीछे नहीं रहने वाला. भारत ने बुधवार को एआई की दुनिया में अपना दांव खेलते हुए नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन लॉन्च किया. इसके तहत अगले छह साल में 34,300 करोड़ रुपये (करीब 4 बिलियन डॉलर) के निवेश की योजना है. इसका मकसद उन अहम प्राकृतिक संसाधनों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जो सेमीकंडक्टर और अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में भारत के सपनों को साकार करने के लिए जरूरी हैं.
पीआईबी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की मंजूरी के बाद बताया कि मिशन के तहत महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा. इसके लिए तेजी से खोज अभियान चलाकर घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाएगा. 2030-31 तक विदेशों में 50 खदानें हासिल की जाएंगी. साथ ही प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी.
क्यों जरूरी है यह कदम
यहां बताना जरूरी है कि सेमीकंडक्टर निर्माण और हाई-टेक विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (आरईई) बहुत जरूरी होते हैं. चीन का दबदबा इसीलिए है क्योंकि दुनियाभर में मौजूद इन खनिजों का 70-80 फीसदी उसके नियंत्रण में है. लिथियम, नियोबियम और आरईई का मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, चिकित्सा उपकरण से लेकर रक्षा और अंतरिक्ष तक के क्षेत्रों में यूज होता है. इस लिहाज से इनका रणनीतिक महत्व है. यही वजह है कि भारत ने भी इस दिशा में अपना दांव खेला है.
कहां-कितने रुपए का इन्वेस्टमेंट
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार और उसकी एजेंसियां 16,300 करोड़ रुपये मुहैया कराएंगी. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां अपनी निवेश योजनाओं के तहत 18,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगी. इनमें खनिजों के लिए विदेशों में अधिग्रहण करने वाली सरकारी कंपनियों का संयुक्त उपक्रम काबिल (KABIL) भी शामिल है. यह मिशन ऑस्ट्रेलिया, चिली और अर्जेंटीना की खदानों में हिस्सेदारी हासिल करने की काबिल की कोशिशों को रफ्तार देगा. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स की अहम भूमिका होगी. खासकर खोज और तकनीकी विकास के क्षेत्र में.
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First Published :
January 30, 2025, 07:03 IST