घरेलू स्तर पर भीषण संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान दुनिया भर में कटोरा लेकर पैसे मांग रहा है. वह कभी चीन तो कभी अरब देशों के सामने हाथ फैला रहा है. इस बीच उसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से भी मिन्नतें मांगने लगे हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में जब देश की बागडोर संभाली तो उन्होंने अपने स्तर से एक बार फिर पाकिस्तान के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश की. उन्होंने 2014 के अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था.
फिर वह एक बार बिना किसी योजना के अफगानिस्तान से लौटते वक्त नवाज शरीफ से मिलने लाहौर पहुंच गए. उन्होंने कई अन्य स्तरों पर भी संबंध सुधारने की कोशिश की. लेकिन, सबको पता है कि पाकिस्तान कभी सुधरने वाला मुल्क नहीं. उसने पीएम मोदी की इस दरियादिली का फिर से फायदा उठाया और भारत में आतंकवाद को नए तरीके प्रश्रय दिया. फिर क्या था. पीएम मोदी की सरकार ने पाकिस्तान को लेकर अपनी नीति पूरी तरह बदल दी.
बातचीत की गुहार
बीते करीब आठ-नौ सालों से भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी स्तर पर कोई वार्ता नहीं हुई है. पाकिस्तान बार-बार बातचीत शुरू करने का गुहारा लगाता रहा है. लेकिन, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा दिया कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद नहीं करेगा तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी. आज की तारीख में भारत अपने रास्ते पर चल रहा है. पाकिस्तान के साथ करीब-करीब हर स्तर पर संबंध तोड़ लिए गए हैं.
इस बीच पाकिस्तान की ओर एक बार भी मिन्नतें मांगी गई हैं. इस बार कोई मंत्री या अधिकारी नहीं बल्कि उसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सीधे पर तौर गुहार लगाई है. सोमवार को पाकिस्तान ने कश्मीर के लिए यौम-ए-इस्तेहसाल (उत्पीड़न) दिवस मनाया. दरअसल, पांच अगस्त 2020 को भारत सरकार ने कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनु्च्छेद 370 को खत्म कर दिया था. इसी के विरोध में पाकिस्तान यौम-ए-इस्तेहसाल दिवस मनाता है. इस मौके पर एक रैली आयोजित की गई. इसमें पाकिस्तान के तमाम हुक्मरान शामिल हुए.
शहबाज शरीफ की अपील
इस रैली में पीएम शहबाज शरीफ ने कश्मीरी भाइयों-बहनों के साथ खड़ा रहने और उनको अपना समर्थन देते रहने की बात कही. लेकिन, इसी रैली में उन्होंने आगे कहा कि आज की तारीख में भारत को विवाद से इनकार करने की बजाय विवाद को सुलझाने की नीति अपनानी चाहिए. ऐसा होने पर ही भारतीय उपमहाद्वीप में शांति स्थापित की जा सकेगी.
शरीफ का आशय कश्मीर से था. वह एक तरह से भारत के सामने गुहार लगा रहे थे कि वह कश्मीर को कम के कम एक विवाद के रूप में स्वीकार तो करे और उस पर बात करे. फिर काफी कुछ चीजें ठीक हो सकती हैं. दरअसल, भारत सरकार शुरुआत से ही कहता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मसला है. लेकिन, पाकिस्तान इसको सुलझाने को लेकर गंभीर नहीं रहा. फिर पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत सरकार किसी भी मसले पर पाकिस्तान के साथ वार्ता नहीं करने की नीति अफना ली. वह कश्मीर को आज कोई समस्या या विवाद ही नहीं मान रहा है. ऐसे में तमाम तिकड़म करने के बाद पाकिस्तान घुटने टेकने को मजबूर हो गया है.
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FIRST PUBLISHED :
August 6, 2024, 15:51 IST