कर्नाटक में आ गई फैसले की घड़ी! आज फिर नाश्ते पर क्यों मिलेंगे DK और सिद्दा?

1 hour ago

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर आज कोई बड़ा ऐलान हो सकता है. सीएम सिद्दारमैया आज सुबह अपने डिप्टी डीके शिवकुमार के आवास पर ब्रेकफास्ट मीटिंग करने वाले हैं. दोनों नेताओं के बीच तीन दिन बाद नाश्ते पर यह तीसरी मुलाकात होगी. पिछली बार शिवकुमार मुख्यमंत्री आवास गए थे, वहीं आज सिद्दारमैया अपने डिप्टी के घर पर मिलने वाले हैं.

इस बीच खबर है कि कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच जारी खींचतान एक बार फिर निर्णायक मोर्ड में पहुंच गई है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इसी संदेश के बाद मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की मंगलवार को होने वाली दूसरी ‘पावर ब्रेकफ़ास्ट मीटिंग’ को बेहद अहम माना जा रहा है.

ब्रेकफास्ट मीटिंग को लेकर कैसी चर्चा?

इस दूसरी ब्रेकफास्ट मीटिंग को लेकर सिद्दारमैया से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें औपचारिक आमंत्रण मिलते ही वे पहुंच जाएंगे. उधर डीके शिवकुमार ने सोमवार शाम एक्स पर पोस्ट कर बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को मंगलवार सुबह अपने घर नाश्ते के लिए आमंत्रित किया है, ताकि ‘कर्नाटक से किए वादों को पूरा करने के लिए सामूहिक प्रयासों को मज़बूत किया जा सके.’

यह बैठक दो दिन पहले हुई पहली ब्रेकफ़ास्ट मुलाक़ात का ही विस्तार है. शनिवार को सीएम हाउस में दोनों नेताओं ने एक साथ नाश्ता किया था, जिसकी तस्वीरों को कांग्रेस ने तेजी से प्रसारित कर यह संदेश दिया था कि पार्टी में सबकुछ ठीक है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उस बैठक में भी सत्ता परिवर्तन के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी.

खरगे ने क्या दिया संदेश?

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार शाम साफ तौर पर संकेत दिया कि अब दो साल पुराने ‘पावर-शेयरिंग फार्मूले’ को लागू करने का समय आ गया है. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है, खड़गे ने दोनों नेताओं को साफ कहा कि 2023 में उनकी मौजूदगी में कार्यकाल के बंटवारे को लेकर जो बात तय हुई थी, उसे अब सम्मान दिया जाना चाहिए.

पार्टी सूत्र बताते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोनों नेताओं को दो टूक कहा है कि 2023 में तय हुआ समझौता अब टाला नहीं जा सकता, क्योंकि यह उनकी विश्वसनीयता का भी सवाल है.

नेतृत्व परिवर्तन में कहां फंसा पेंच?

सूत्रों के अनुसार, अगले 15 दिनों में डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाकर केंद्रीय नेतृत्व उनसे ‘ट्रांजिशन टाइमलाइन’ पर अंतिम बातचीत कर सकता है. हालांकि राहुल गांधी इस समय कार्यकाल के बीच में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं बताए जा रहे हैं, जो इस पैकेज का सबसे बड़ा पेच है.

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के डेढ़ साल पूरे होने के बाद यह विवाद फिर तेज हुआ है. डीके शिवकुमार का दावा है कि वह 2023 चुनाव जीतने के मुख्य रणनीतिकार रहे और अब पावर-शेयरिंग फार्मूले को लागू किया जाए. दूसरी तरफ सिद्दारमैया 100 से अधिक विधायकों के समर्थन वाले मास लीडर हैं और अपनी लोकप्रियता के आधार पर पूरा कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं.

पिछली ब्रेकफास्ट मीटिंग में क्या हुआ था?

सूत्रों के मुताबिक, सिद्दारमैया ने शनिवार की बैठक में शिवकुमार को 2028 में समर्थन देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन शिवकुमार ने इसे ठुकरा दिया. शिवकुमार का कैंप उम्मीद जता रहा है कि 2026 के अप्रैल तक सत्ता परिवर्तन हो सकता है, जबकि सीएम कैंप इस समयसीमा से सहमत नहीं है.

शिवकुमार ने मीडिया पर आरोप लगाया कि वह ‘ग्रुपिज़्म’ की कहानी बना रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैं किसी ग्रुप में नहीं हूं. मेरे साथ 140 विधायक हैं. सीएम और मैं भाईयों की तरह काम कर रहे हैं.’

इसी बीच शिवकुमार के भाई और पूर्व सांसद डीके सुरेश भी दिल्ली से बेंगलुरु पहुंचे और कहा कि सब कुछ ‘सही दिशा में’ चल रहा है.

8 दिसंबर पर क्यों है नजर?

इस पूरे घटनाक्रम को हाईकमांड की ओर से दोनों नेताओं के बीच जारी टकराव का शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. वहीं बताया जा रहा है कि सिद्दारमैया कम से कम 8 दिसंबर को होने वाले बेलगावी सत्र तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे.

यह पूरा विवाद कांग्रेस के लिए राजस्थान के ‘पायलट-गहलोत मॉडल’ की याद दिला रहा है. लेकिन इस बार दांव और भी बड़ा है, क्योंकि कर्नाटक दक्षिण भारत में कांग्रेस का सबसे बड़ा राजनीतिक आधार है. अब सबकी निगाहें मंगलवार की ‘पावर ब्रेकफ़ास्ट-2’ पर हैं, जहां सत्ता हस्तांतरण का खाका स्पष्ट होने की उम्मीद है.

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