पटना. राजनीति में आरसीपी सिंह यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह का समय का चक्र एक बार फिर से घूमा है. एक आईएएस अफसर से केंद्रीय मंत्री बनने तक आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार का साथ मिला. नीतीश कुमार जब रेल मंत्री थे तो आरसीपी सिंह उनके निजी सचिव बने. साल 2005 में जब मुख्यमंत्री बने तो उनके प्रधान सचिव बन गए. फिर बाद में वीआरएस लेकर जेडीयू ज्वाइन कर लिया. ज्वाइन करते ही राज्यसभा भेज दिए गए. दो टर्म राज्यसभा रहे और फिर पार्टी का अध्यक्ष बने और बाद में नीतीश की कृप से केंद्रीय मंत्री तक बन गए. नीतीश कुमार की मेहरबानी पर इतना कुछ मिला. लेकिन, अब उसी नीतीश कुमार के खिलाफ सिंह ने मोर्चा खोल दिया है. आरसीपी सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार को पटखनी देने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है.
नीतीश कुमार से राजनीति का कखगघ सीखने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह अब नीतीश कुमार पर ही राजनीति का सारा दांव आजमाने जा रहे हैं. आरसीपी सिंह ने नई पार्टी बनाकर नीतीश कुमार के लव-कुश वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने दिवाली के दिन अपनी नई पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ बनाने का ऐलान कर दिया है. आरसीपी की नई पार्टी ‘आसा’ से जहां उनकी उम्मीदें हैं तो वहीं जेडीयू को इससे निराशा हो सकती है.
‘आसा’ से क्या नीतीश को चुनाव में मिलेगी निराशा?
आरसीपी सिंह की नई पार्टी ‘आसा’ से नीतीश कुमार को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में निराशा का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को आरसीपी की पार्टी ‘आसा’ से सीएम की कुर्सी मिलने की आशा दिखने लगी है. आरजेडी को लगता है कि अगर कोइरी-कुर्मी वोट बैंक में बिखराह होगा तो आरजेडी को ही इससे फायदा पहुंच सकता है. कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव के कुछ करीबी आरसीपी सिंह के संपर्क में हैं. बता दें कि ये वही तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने नेता प्रतिपक्ष तौर पर विधानसभा में ‘आरसीपी टैक्स’ की बात खुलेआम किया था. बिहार में आरजेडी नेता ‘मिस्टर 10 पर्सेंट’ के नाम से भी आरसीपी को बदनाम करते रहे हैं.
नीतीश के करीबी होने पर लगे थे कई आरोप
वहीं, कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि आरसीपी साल 2025 में नीतीश के लिए ‘चिराग पासवान’ साबित हो सकते हैं. हालांकि, कुछ लोग कह रहे हैं कि साल 2025 से पहले आरसीपी जेडीयू में वापसी का ताना बाना बुन रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा की तरह नीतीश कुमार देर-सवेर उन्हें भी बुला लेंगे. कुछ लोग कह रहे हैं कि पार्टी में एक और पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा के आने के बाद आरसीपी ने नई पार्टी बनाने का प्लान तैयार किया, जिससे नीतीश कुमार को मनीष वर्मा की उपयोगिता कम लगे.
क्या आरसीपी पहुंचाएंगे आरजेडी को फायदा?
आपको बता दें कि आरसीपी ने गुरुवार को कहा कि हमारे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 140 मजबूत उम्मीदवार तैयार हैं. आरसीपी के इस बयान पर जेडीयू ने तंज कसते हुए कहा, ‘जो बल्ब फ्यूज हो चुका है वह जल नहीं सकता है. फ्यूल बल्ब से रोशनी नहीं पहंचाई जा सकती है. बिहार में नीतीश कुमार जैसा नेता है, जो कम वोल्टेज पर भी ज्यादा रोशनी देने का मद्दा रखता है. उनकी पुरानी छवि ही उनका साथ नहीं छोड़ेगी.’
आरसीपी नई पार्टी के गठन के बाद नीतीश कुमार पर ही ज्यादा हमलावर दिखे और बीजेपी का गुणगान किया. आरसीपी सिंह बिहार की राजनीति में कितना प्रभाव छोड़ेंगे ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन उनकी नाई पार्टी नालंदा, नवादा, पटना, बेगूसराय, समस्तीपुर और मुंगेर जैसे जिलों में कोइरी-कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. जेडीयू अध्यक्ष रहते आऱसीपी ने इन जिलों पर विशेष फोकस किया था. खासकर कहा जा है कि संजय गांधी जैसे कई ऐसे नेता हैं, जो आरसीपी के लिए आने वाले दिनों में टूल का काम करेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 1, 2024, 15:39 IST