किसने किया खेला... दिल्ली में भी होगा हरियाणा जैसा ही हाल? जानें केजरीवाल अब..

1 month ago

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में बेशक बीजेपी पिछड़ गई है, लेकिन हरियाणा में इतनी आसानी से कुर्सी नहीं छोड़ने वाली है. दरअसल, हरियाणा में बीजेपी ने बाजी पलट दी है. पिछले दो दिनों से कांग्रेस एग्जिट पोल के नतीजे से उत्साहित थी. लेकिन, बीजेपी ने मतगणना के दिन सबको चौंका दिया. हरियाणा में बीजेपी अब सरकार बनाने की रेस में शामिल हो गई है. ऐसे में हरियाणा चुनाव में अगर बीजेपी की जीत होती है तो यह साबित हो जाएगा कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का मनोहर लाल खट्टर की जगह सैनी को सीएम बनाने का फैसला सही था. हरियाणा में बीजेपी जीतती है तो इसका असर हरियाणा तक ही सीमित नहीं रहेगा. बल्कि, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों पर इसका असर पडे़गा.

हरियाणा में बीजपी अगर तीसरी बार कांग्रेस को पटखनी देकर सत्ता में आती है तो कांग्रेस के लिए बड़ा सदमा होगा. लेकिन, कांग्रेस से भी बड़ा सदमा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लग सकता है. क्योंकि, केजरीवाल बीजेपी की हार का जश्न तीन दिन से मना रहे थे. लेकिन, मंगलवार को बीजेपी की बढ़त से उनको सदमा लगा.

दिल्ली में अब ‘आप’ का क्या होगा?
हरियाणा चुनाव में जीत का सीधा असर अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर पर भी पड़ेगा. दिल्ली में आतिशी मार्लेना को दिल्ली का सीएम बनाना, अरविंद केजरीवाल के वरदान साबितद होगा या भूल यह तो दिल्ली विधानसभा के नतीजे के बाद ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत ने दिल्ली में बीजेेपी को नई ऊर्जा देगी.

सोमवार तक हरियाणा में एग्जिट पोल के नतीजों से आम आदमी पार्टी काफी उत्साहित नजर आ रही थी, लेकिन आज के परिणाम ने आम आदमी पार्टी को सदमा लग सकता है. आम आदमी पार्टी के नेता जो कल तक एग्जिट पोल के नतीजे पर खुशी मना रहे थे. अरविंद केजरीवाल के लिए भी लोगों से टीवी देखने की बात कर डबल इंजन की सरकार को फेल होने की बात कर रहे थे. अचानक हरियाणा चुनाव के नतीजे के बाद गायब हो गए.

किसने डंका मारा?
हरियाणा में अगर बीजेपी जीतती है तो अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली में इस बार मुश्किल हो सकता है. इसके राजनीतिक मायने भी हैं. क्योंकि, दिल्ली में इस साल के आखिर में या फिर मार्च 2025 तक चुनाव होने वाले हैं. हरियाणा के चुनाव परिणाम दिल्ली को इसलिए बाधित कर सकता है कि क्योंकि एक तो यह हरियाणा सटा हुआ है. दूसरा, हरियाणा की तरह दिल्ली में जाट और दलित वोटरों की अच्छी खासी आबादी है. इसके बारे में कहा जाता है कि जाट और दलित का एक बड़ा तबका हरियाणा में बीजेपी से छिटकता जा रहा है.

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आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जेल से निकलने के बाद लगातार अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते नजर आए. शुरुआत में ये खबर आई कि राहुल गांधी चाहते हैं कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े ताकि मध्य प्रदेश वाली स्थिति से बचा जाए. लेकिन, दोनों में बात नहीं बन पाई. कहा जा रहा है कि आम आदमी 5-7 सीट पर तैयार नहीं थी. आप की मांग थी कम से कम 12-15 सीटों पर चुनाव लड़ने की.

दिल्ली की 70 सीटों पर भी होगा खेला
अगर चुनाव परिणाम एक्जिट पोल के हिसाब से आते हैं तो आम आदमी पार्टी के कम से कम 60-70 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो सकती है. क्योंकि इस बार सीधा मुकाबला बीजेपी औऱ कांग्रेस के बीच हुई है. जो भी दलें इसके आलावा चुनाव लड़ी है, वह वोट कटवा साबित हुई हैं. आम आदमी पार्टी इस बार हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ी थी. पार्टी ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि. साल 2019 में पार्टी ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन एक भी सीट हासिल कर नहीं सकी.

Tags: Aap vs bjp, Arvind kejriwal, Haryana election 2024

FIRST PUBLISHED :

October 8, 2024, 10:55 IST

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