Last Updated:July 29, 2025, 15:43 IST
Amit shah on operation Sindoor, CFSL Chandigarh: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि पहलगाम हमले के गुनाहगारों की पहचान पुख्ता हो गई और वे आतंकी मारे गए. इसमें केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाल...और पढ़ें

हाइलाइट्स
पहला हमले के आतंकियों की पहचान.चंडीगढ़ FSL ने पुख्ता की पहचान.ऑपरेशन महादेव में मारे गए दोषी.CFSL Chandigarh: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी. इस हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन महादेव शुरू किया, जिसमें 28 जुलाई 2025 को तीन आतंकियों सुलेमान शाह, हाशिम मूसा और जिब्रान को डाचिगाम जंगलों में मार गिराया गया, लेकिन यह पक्का कैसे हुआ कि ये वही आतंकी थे? इसका खुलासा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में किया.आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी…
दरअसल, इसका खुलासा केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) चंडीगढ़ ने किया. CFSL ने हमले की जगह से मिले गोली के खोखों और मारे गए आतंकियों के हथियारों (एक एम-9 अमेरिकन राइफल और दो एके-47 राइफल्स)की बैलिस्टिक जांच की. वैज्ञानिकों ने राइफल की नालियों और खोखों का मिलान किया जिससे पुष्टि हुई कि इन्हीं हथियारों से पहलगाम में हमला हुआ था. इस जांच ने ऑपरेशन महादेव को सफल साबित किया.
Amit Shah in Parliament: अमित शाह ने संसद में क्या कहा?
29 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव की पूरी कहानी बताई उन्होंने कहा कि 22 मई को IB को दाची गांव में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. हमारे जवान और IB ऑफिसर 22 मई से 22 जुलाई तक पहाड़ों में डटे रहे.आतंकियों की पहचान के लिए 4-5 राउंड सत्यापन किए गए. हमले की जगह से मिले खोखों को पहले ही चंडीगढ़ CFSL में जांच के लिए भेजा गया था.मारे गए आतंकियों के हथियारों एक एम-9 और दो एके-47—से रातभर फायरिंग कर नए खोखे बनाए गए. चंडीगढ़ CFSL से आज सुबह 4:46 बजे वैज्ञानिकों ने फोन कर पुष्टि की कि ये वही राइफलें थीं, जिनसे पहलगाम में हमला हुआ. राइफल की नालियों और खोखों का मिलान हो गया.शाह ने आगे कहा कि NIA ने आतंकियों को पनाह देने वालों को हिरासत में लिया था.चार लोगों ने पुष्टि की कि ये तीनों आतंकी हमले के जिम्मेदार थे, लेकिन हमने कोई जल्दबाजी नहीं की.CFSL की बैलिस्टिक रिपोर्ट ने साबित किया कि ये वही आतंकी थे.यह जांच न सिर्फ आतंकियों की पुष्टि के लिए अहम थी, बल्कि देश को यह भरोसा भी दिलाया कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां और फोरेंसिक टीमें कितनी सटीकता से काम करती हैं.
CFSL Chandigarh: चंडीगढ़ CFSL क्या है?
केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) चंडीगढ़ भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित फोरेंसिक लैब में से एक है.यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है और निदेशालय फोरेंसिक विज्ञान सेवाएं (DFSS) का हिस्सा है. CFSL चंडीगढ़ की स्थापना 1975 में हुई थी.यह भारत की पहली केंद्रीय फोरेंसिक लैब थी जिसे अपराध जांच में वैज्ञानिक तरीके लाने के लिए बनाया गया था.यह चंडीगढ़ के सेक्टर 36-ए में है.CFSL अपराध जांच में वैज्ञानिक सबूत जुटाने का काम करती है. इसका मुख्य काम बैलिस्टिक जांच यानी हथियारों,गोलियों और खोखों की जांच करना है.DNA का विश्लेषण करना है जिसके तहत अपराधियों की पहचान के लिए DNA टेस्टिंग होता है.इसके अलावा जाली दस्तावेज, हस्तलेख और स्याही की जांच करना,नशीले पदार्थों की जांच यानी ड्रग्स और केमिकल्स की टेस्टिंग करना, साइबर फोरेंसिक के तहत डिजिटल डिवाइस और साइबर क्राइम से जुड़े सबूत की जांच करना भी है. यही नहीं CFSL बम और विस्फोटकों की जांच भी करता है.यह लैब पुलिस, NIA, CBI और कोर्ट को वैज्ञानिक सबूत देकर अपराध सुलझाने में मदद करती है. पहलगाम जैसे मामलों में इसकी बैलिस्टिक जांच ने आतंकियों को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई.
सिर्फ जांच संस्थान है CFSL
CFSL चंडीगढ़ मुख्य रूप से एक अनुसंधान और जांच संस्थान है न कि कोई शिक्षण संस्थान. यहां कोई डिग्री या डिप्लोमा कोर्स नहीं चलता इसलिए आम तौर पर एडमिशन की प्रक्रिया नहीं है हालांकि, कुछ खास परिस्थितियों में ट्रेनिंग और इंटर्नशिप के मौके मिल सकते हैं.
CFSL Training:कौन ले सकता है ट्रेनिंग?
फोरेंसिक साइंस, क्रिमिनोलॉजी या संबंधित क्षेत्र (जैसे केमिस्ट्री, बायोलॉजी, फिजिक्स) में पढ़ाई करने वाले छात्र, शोधकर्ता या प्रोफेशनल पुलिस, ज्यूडिशियल ऑफिसर और जांच एजेंसियों के कर्मचारी भी ट्रेनिंग ले सकते हैं. CFSL समय-समय पर 1-6 महीने के शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करती है. इसके लिए DFSS या CFSL की आधिकारिक वेबसाइट cbi.gov.in/cfsl पर नोटिफिकेशन चेक करना होता है. कुछ मामलों में यूनिवर्सिटी या संस्थानों के साथ MoU के तहत ट्रेनिंग दी जाती है.इच्छुक उम्मीदवार को अपने संस्थान या विभाग के जरिए आवेदन करना होता है. इसमें CV, शैक्षिक योग्यता और रिकमंडेशन लेटर की जरूरत पड़ती है.ट्रेनिंग की फीस प्रोग्राम के आधार पर अलग-अलग होती है. आम तौर पर यह 10,000 से 50,000 रुपये तक हो सकती है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों या MoU के तहत ट्रेनिंग में छूट मिल सकती है.कुछ मामलों में फ्री ट्रेनिंग भी होती है.
Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
और पढ़ें