कोई जज के मुंह में शब्द डालता है तो... सिब्बल की दलीलों पर SC ऐसा क्यों बोल?

1 week ago

Last Updated:April 10, 2025, 11:14 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की दलीलों पर जज ने कहा कि हम मीडिया हाउस को निर्देश नहीं दे सकते कि वह रिपोर्ट को हटा लें क्योंकि वह जज को पसंद नहीं है. कोर्टरूम में क्या-क्या ...और पढ़ें

कोई जज के मुंह में शब्द डालता है तो... सिब्बल की दलीलों पर SC ऐसा क्यों बोल?

सुप्रीम कोर्ट में जब कपिल सिब्बल ने दी दलीलें तो बेंच ने क्या आदेश दिया.

हाइलाइट्स

हाईकोर्ट का आदेश मीडिया की स्वतंत्रता पर ठंडा प्रभाव डालेगा: सिब्बलजस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की बेंच ने की मामले की सुनवाई.इस बेंच ने ही कांग्रेस सांसद के केस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर फैसला सुनाया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत मीडिया हाउस को किसी रिपोर्ट को हटाने का निर्देश नहीं दे सकती, भले ही जज को वह रिपोर्ट पसंद न हो. ऐसा आदेश तभी दिया जा सकता है जब यह पाया जाए कि रिपोर्ट अवमाननापूर्ण है. इस मामले में विकिमीडिया की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों कहा कि अगर कोई जज के मुंह में शब्द डालता है तो….

विकिमीडिया की ओर से पेश हुए एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश मीडिया की स्वतंत्रता पर ठंडा प्रभाव डालेगा. उन्होंने अदालत को बताया कि पेज पर लिखी गई सामग्री अन्य मीडिया आउटलेट्स से ली गई थी और फुटनोट में इसका उल्लेख भी किया गया था. फिर भी हाईकोर्ट ने उनके मुवक्किल के खिलाफ आदेश पारित किया और ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल बनाम विकिमीडिया फाउंडेशन’ शीर्षक वाले पेज को हटाने का निर्देश दिया.

जज इसका जवाब नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट
इस पर जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि हम आपसे सहमत हैं. मान लीजिए कि कोई मेरे (जज) या मेरे भाई के बारे में एक समाचार प्रकाशित करता है कि हमने अदालत में किसी को धमकी दी, तो हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. केवल एक बात है कि अगर कोई जज के मुंह में शब्द डालता है तो जज इसका जवाब नहीं दे सकता. इसी SC बेंच ने हाल ही में कांग्रेस सांसद के मामले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर फैसला सुनाया है.

क्या है मामला?
अदालत विकिमीडिया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें विकिमीडिया को हाईकोर्ट की कार्यवाही पर एक पेज हटाने का निर्देश दिया गया था. खुद का उदाहरण देते हुए बेंच ने कहा कि उसे हर दिन आलोचना का सामना करना पड़ता है, कोई कहता है कि वह ‘संवेदनहीन’ है तो कोई कहता है कि उसके पास ‘पूर्वाग्रहित धारणाएं’ हैं, लेकिन कंधे इतने चौड़े हैं कि ऐसी आलोचनाओं का सामना कर सकें और इससे उन पर कोई असर नहीं पड़ता.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि अदालत के पास कुछ सामग्री को हटाने का निर्देश देने की शक्ति नहीं है. शर्त यह है कि पहले यह पाया जाए कि वह सामग्री अवमानना की श्रेणी में आती है. सुप्रीम कोर्ट ने विकिमीडिया की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि इसी बेंच ने हाल ही में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका पर एक आदेश पारित किया था और कहा था कि अदालतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए, भले ही जजों को सामग्री पसंद न हो.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 10, 2025, 11:14 IST

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