कोलकाता हाईकोर्ट का बड़ा आदेश! कंज्यूमर फोरम किसी को भी नहीं कर सकता गिरफ्तार

2 days ago

Last Updated:April 07, 2025, 10:23 IST

Consumer Forum Warrant Powers: कोलकाता हाईकोर्ट ने उपभोक्ता फोरम को गिरफ्तारी वारंट जारी करने से रोका है. जस्टिस सुव्रा घोष ने कहा कि फोरम सिविल कोर्ट की तरह सिविल जेल भेज सकता है.

कोलकाता हाईकोर्ट का बड़ा आदेश! कंज्यूमर फोरम किसी को भी नहीं कर सकता गिरफ्तार

कोलकाता हाईकोर्ट का उपभोक्ता फोरम पर अहम फैसला

हाइलाइट्स

उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकता: हाईकोर्टफोरम सिविल कोर्ट की तरह सिविल जेल भेज सकता हैहाईकोर्ट ने पुराने फैसले का हवाला दिया

कोलकाता: कोलकाता हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. कोलकाता हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि उपभोक्ता फोरम पुलिस कोर्ट की तरह गिरफ्तारी का वारंट जारी नहीं कर सकता. वह सिर्फ सिविल कोर्ट की तरह किसी को सिविल जेल में भेजने का आदेश दे सकता है. बता दें कि जस्टिस सुव्रा घोष ने बुधवार को एक आदेश में कहा कि कानून उपभोक्ता फोरम को क्रिमिनल प्रोसीजर के तहत गिरफ्तारी का वारंट जारी करने की इजाजत नहीं देता.

क्या है ये पूरा मामला?
बता दें कि यह पूरा मामला हुगली जिले के एक ऑटोमोबाइल कंपनी के ब्रांच मैनेजर से जुड़ा है. उपभोक्ता फोरम ने उनके खिलाफ वारंट निकाला था, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. कोर्ट ने पुराने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी आदेश को लागू कराना हो, तो CPC (सिविल प्रक्रिया संहिता) के तहत काम होगा. इसका मतलब है कि पैसे न चुकाने पर व्यक्ति को सिविल जेल भेजा जा सकता है या उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है.

2013 में एक व्यक्ति ने हुगली के एक शोरूम से ट्रैक्टर खरीदा. कुल कीमत थी ₹7,78,710. उसने ₹10,000 एडवांस दिया और ₹5,30,000 का लोन लिया. बाकी ₹2,18,716 उसे देने थे. बाद में उसने ₹1,93,000 और दे दिए, लेकिन ₹25,716 बकाया रह गए. इस बीच वो EMI नहीं चुका पाया, तो फाइनेंस कंपनी ने ट्रैक्टर जब्त कर लिया और 2015 में किसी और को बेच दिया.

ब्रांच मैनेजर के नाम गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया
2018 में खरीदार ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की. फोरम ने आदेश दिया कि ₹25,716 लेकर ट्रैक्टर और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वापस दो. लेकिन जब बात नहीं बनी, तो खरीदार ने फोरम में वारंट की अर्जी दी और 2019 में ब्रांच मैनेजर के नाम गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया.

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मैनेजर का कहना था कि उसे इस केस की कोई जानकारी नहीं थी. वो पक्षकार भी नहीं था. उसे तो वारंट के जरिए ही पता चला.हाईकोर्ट ने इस पर साफ किया कि उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी का वारंट नहीं निकाल सकता. उसे सिर्फ सिविल प्रक्रिया के तहत ही कदम उठाने का अधिकार है.

Location :

Kolkata,West Bengal

First Published :

April 07, 2025, 10:23 IST

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