Last Updated:June 03, 2025, 20:13 IST
Justice Yashwant Varma Impeachment: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा. CJI ने राष्ट्रपति व PM को जांच समिति की रिपोर्ट भेज र...और पढ़ें

दिल्ली HC से ट्रांसफर के बाद अब इलाहाबाद HC में तैनात हैं जस्टिस यशवंत वर्मा. (File Photos)
नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट भी आ गई है. अब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संसद के आगामी सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू इस मसले पर सभी दलों से बात करेंगे. वहीं, बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (BLA) ने 2 जून को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी है. जब वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यरत थे, तब उनके लुटियन्स स्थित सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी. इस बरामदगी से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने जांच समिति के साथ साझा किए थे. जांच के दौरान वर्मा के आवास में 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे आग लगने की घटना भी सामने आई, जिसके बाद दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस की टीम वहां पहुंची थी. वहीं से जली हुई नकदी और अन्य सबूत बरामद हुए.
SC की इन-हाउस जांच रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट फाइनल की. समिति में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के सीजे GS संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं. रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा पर लगे नकदी बरामदगी के आरोपों को सही पाया गया.
जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली आवास से मिले थे जले हुए नोट. (File Photo)
इसके बाद 6 मई को जस्टिस वर्मा से उनका जवाब मांगा गया. लेकिन उनकी सफाई से संतुष्ट न होने पर पूर्व CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह रिपोर्ट भेज दी. साथ ही उनसे सिफारिश की गई कि वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए.
कानून और संवैधानिक प्रक्रिया क्या कहती है?
1991 के के वीरास्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया था कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करने से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेना अनिवार्य है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि ऐसे मामलों में राष्ट्रपति अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए सक्षम प्राधिकारी होते हैं, लेकिन यह निर्णय CJI की सलाह पर आधारित होना चाहिए.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने इसी फैसले का हवाला देते हुए FIR दर्ज करने और अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी है.
अब केंद्र सरकार संसद में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने जा रही है. प्रस्ताव पास करने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. यह प्रक्रिया भारत में बहुत दुर्लभ है, लेकिन अगर आरोप गंभीर हों और जांच रिपोर्ट पुष्ट करती हो, तो यह संभव है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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