Who is Super Recogniser: क्या आप इस बात पर गर्व करते हैं कि आप कभी किसी का चेहरा नहीं भूलते या सड़क पर चलते हुए सालों पुराने दोस्त को तुरंत पहचान लेते हैं? अगर ऐसा है तो फिर आप एक 'सुपर रिकग्नाइज़र' हैं. सुपर रिकग्नाइज़र उन चुनिंदा लोगों का एक खास समूह है जिन्हें जेनेटिक रूप से एक दुर्लभ कला विरासत में मिली होती है जिसकी वजह से उन्हें चेहरे पहचानने की असली सुपरपावर मिल जाती है. अब वैज्ञानिकों ने एक टेस्ट तैयार किया है, जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्या आपके पास भी ये दुर्लभ क्षमता है. नीचे दिया गया क्विज़ यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीनविच के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए मूल सुपर रिकग्नाइज़र टेस्ट का छोटा संस्करण है. बस आपको हर चेहरे को पांच सेकंड तक ध्यान से देखना है और फिर लाइन-अप में से वही व्यक्ति चुनना है. अगर आप 5 में से 5 सही कर लेते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपके पास प्रोफेशनल सुपर रिकग्नाइज़र बनने की काबिलियत है. तो देखते हैं कि आप कितने चेहरे पहचान पाते हैं?
सुपर रिकग्नाइज़र वे लोग हैं जिनकी चेहरे पहचानने की क्षमता आम जनता से कहीं बहुत ज्यादा होती है. ये दुर्लभ व्यक्ति धुंधली CCTV फुटेज में भी किसी को पहचान सकते हैं या बचपन की तस्वीर देखकर भीड़ में से बड़े हो चुके व्यक्ति को ढूंढ सकते हैं. यही वजह है कि मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने लगभग 140 सुपर रिकग्नाइज़र को नौकरी पर रखा है. 2011 के लंदन ग्रीष्मकालीन दंगों के दौरान इन लोगों ने संदिग्धों को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी. इनमें नकली तस्वीरें पकड़ने की भी अनोखी क्षमता होती है, इसलिए ये फर्जी आईडी, छेड़छाड़ की गई तस्वीरें या AI-जनरेटेड डीपफेक ढूंढने में बेहद उपयोगी होते हैं.
सुपर रिकग्नाइज़र बनने के लिए जन्मजात गुण चाहिए
हालिया एक अध्ययन में पता चला कि सिर्फ पांच मिनट की ट्रेनिंग के बाद सुपर रिकग्नाइज़र AI से बनी नकली चेहरों को 64 प्रतिशत मामलों में पकड़ लेते हैं.
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि सुपर रिकग्नाइज़र कोई खुद से नहीं बन सकता, इसके लिए आपको जन्मजात ऐसा होना पड़ता है. विविधता के संपर्क जैसे पर्यावरणीय कारक चेहरे पहचानने की क्षमता में जरूर भूमिका निभाते हैं शहरों के लोग छोटे कस्बों के लोगों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. लेकिन शोध बताते हैं कि सुपर रिकग्नाइज़र होना मुख्य रूप से आपके जीन पर निर्भर करता है. मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर जोश डेविस सुपर रिकग्नाइज़र के क्षेत्र में सबसे बड़े विशेषज्ञ हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीनविच में सुपर रिकग्नाइज़र प्रोजेक्ट के प्रमुख हैं.
प्रोफेसर जोश डेविस ने जुड़वां बच्चों पर किया अध्ययन
प्रोफेसर जोश डेविस ने डेली मेल को बताया, 'हमें जुड़वां बच्चों के अध्ययन (twin studies) से पता चलता है कि चेहरा पहचानने की क्षमता पर जेनेटिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि एकसमान जुड़वां बच्चे लगभग एकसमान ही टेस्ट स्कोर हासिल करते हैं.' वैज्ञानिक अभी तक यह ठीक-ठीक नहीं जान पाए हैं कि सुपर रिकग्नाइज़र को अलग क्या बनाता है? कोई सबूत नहीं मिला कि उनका दिमाग संरचनात्मक रूप से अलग होता है. लेकिन प्रोफेसर डेविस कहते हैं कि उनका दिमाग शायद 'दूसरे लोगों के दिमाग से अलग तरीके से वायर्ड (जुड़ा हुआ) होता है.' रिसर्चर्स ने पाया कि चेहरा देखने के लगभग 100 मिलीसेकंड बाद ही सुपर रिकग्नाइजर के दिमाग में गतिविधि का एक बड़ा उछाल आता है यानी उससे बहुत पहले जब आम लोग चेहरे के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर पूरा चेहरा समझ पाते हैं. प्रोफेसर डेविस कहते हैं, 'सुपर रिकग्नाइजर में यह ज़्यादा गतिविधि शायद इन हिस्सों और उनकी बनावट को तेजी से एक पूरे चेहरे में जोड़ने की अधिक दक्षता से जुड़ी होती है.'
क्या आप भी सुपर रिकग्नाइज़र हो सकते हैं?
अगर आप सुपर रिकग्नाइज़र हैं, तो आपको शायद पहले से ही पता होगा कि आपकी चेहरा पहचानने की क्षमता सामान्य से कहीं ज़्यादा है. प्रोफेसर डेविस कहते हैं, 'एक आम निशानी यह है कि सुपर रिकग्नाइज़र अपने दोस्तों-परिवार से कहीं बेहतर तरीके से यह पता लगा लेते हैं कि कोई B-लिस्ट या यहां तक कि C-लिस्ट एक्टर अलग-अलग फिल्मों और टीवी शो में कब-कब नज़र आता है.' उन्होंने आगे बताया, 'सुपर रिकग्नाइज़र बिना किसी मुश्किल के उन एक्टर्स को पहचान लेते हैं जो अलग-अलग ऐतिहासिक ड्रामों में आते हैं, भले ही कपड़े और मेकअप में बहुत बड़ा बदलाव हो. एक और आम निशानी यह है कि आप अचानक पुराने परिचितों को दशकों बाद भी पहचान लेते हैं.
लुईस ब्रुडर ने बताया कैसे वो फर्जी आईडी पकड़ने की ट्रेनिंग देती हैं?
लुईस ब्रुडर एक प्रमाणित सुपर रिकग्नाइजर हैं जो पहचान सत्यापन कंपनी Yoti में काम करती हैं और दूसरों को फर्जी आईडी पकड़ने की ट्रेनिंग देती हैं. श्रीमती ब्रुडर ने डेली मेल को बताया कि उन्हें हमेशा से पता था कि उनका 'चेहरे याद रखने का बहुत अच्छा मेमोरी' है. वे अक्सर उन लोगों को भी पहचान लेती थीं जिनसे वे बहुत कम समय के लिए मिली थीं, जिससे सामने वाले को शर्मिंदगी और उलझन होती थी क्योंकि उन्हें वे याद ही नहीं आती थीं.जब वे पार्ट-टाइम एक लोकल पब में काम करती थीं, तो उनकी यह खासियत हर नाबालिग शराब पीने वाले का सबसे बड़ा डर बन जाती थी. वे बताती हैं, 'एक बार कुछ लड़के आए, बहुत शालीन थे. मालिक ने जब आईडी मांगी तो सबने बड़े आज्ञाकारी ढंग से आईडी दिखाई दिखाई.' 'मुझे बस कुछ ठीक नहीं लगा, तो मैंने कहा, ‘क्या मैं थोड़ा देख सकती हूं?’.
लुईस ब्राइडर का नियम अगर शक है तो गिनती करो
सबकी आईडी चेक करने के बाद मैंने कहा, ‘अरे ये तो नकली है. ये वाली असली है, लेकिन क्या ये आपके भाई की है? आप बिल्कुल उन जैसे दिखते हैं!' हालांकि उन्हें अपनी इस प्रतिभा की असलियत तब पता चली जब उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीनविच के ऑनलाइन टेस्ट दिए. पहला छोटा टेस्ट टॉप करने के बाद उन्होंने और कठिन टेस्ट दिए, और अंत में उन्होंने प्रोफेशनल सुपर रिकग्नाइज़र के रूप में नया करियर शुरू कर दिया. अगर आपने भी पहला टेस्ट अच्छे अंकों से पास किया है और लगता है कि आपके पास भी यह काबिलियत है, तो सारे आगे के टेस्ट आप यहां सुपर रिकग्नाइज़र वेबसाइट पर दे सकते हैं. सौभाग्य से, AI की नकली तस्वीरों में कुछ खास निशानियां होती हैं जो धोखेबाज़ को पकड़ना आसान बनाती हैं. लुईस ब्रुडर का एक नियम है, 'अगर शक हो, तो गिनती करो.'
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