क्यों IAF की पहली पसंद हैं 114 राफेल? समझिए पूरा समीकरण

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Last Updated:December 15, 2025, 03:31 IST

India Fighter Jet Deal: IAF के MRFA प्रोग्राम में राफेल सबसे आगे क्यों है? वजह है कम जोखिम, तेज तैनाती, G2G डील की सुविधा और मेक-इन-इंडिया के तहत गहराता औद्योगिक सहयोग. F4/F5 वैरिएंट, इंजन MRO और लोकल असेंबली के साथ राफेल भारत के रक्षा कवच को और मजबूत कर सकता है.

क्यों IAF की पहली पसंद हैं 114 राफेल? समझिए पूरा समीकरणहालिया रिपोर्ट्स में संकेत मिला है कि भारत 90 राफेल F4 और 24 राफेल F5 (ऑप्शन) पर विचार कर सकता है.

India Fighter Jet Deal: भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत बढ़ाने की कवायद में एक नाम बार-बार सबसे आगे आता है राफेल. मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रतियोगिता में कई दावेदारों के बीच राफेल की बढ़त सिर्फ तकनीक की वजह से नहीं, बल्कि तैयारी, भरोसे और निरंतरता के कारण मानी जा रही है. यही वजह है कि 114 नए फाइटर जेट्स के लिए राफेल को पहली पसंद बताया जा रहा है.

राफेल पहले से IAF में ऑपरेशनल है. इसके हथियार, मेंटेनेंस और पायलट ट्रेनिंग का इकोसिस्टम तैयार है. और अब मेक-इन-इंडिया के साथ इसका औद्योगिक दायरा भी गहराता दिख रहा है. सवाल यही है कि आखिर राफेल क्यों और कैसे IAF की जरूरतों पर खरा उतरता है?

क्यों राफेल IAF के लिए सबसे लो-रिस्क वाला विकल्प?

एयर मार्शल (रि.) अनिल चोपड़ा के अनुसार राफेल का सबसे बड़ा फायदा है कंटिन्यूटी. पहले से सेवा में मौजूद प्लेटफॉर्म होने के कारण किसी नए फाइटर को शामिल करने से जुड़ा ऑपरेशनल और लॉजिस्टिक बोझ नहीं बढ़ता. ऐसे समय में जब स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ एक चुनौती है. राफेल लो-रिस्क और हाई-रेडीनेस समाधान देता है.

कैसे G2G डील समय और अनिश्चितता घटाती है

राफेल के लिए सरकार-से-सरकार (G2G) समझौता अपेक्षाकृत जल्दी हो सकता है. क्योंकि पहले की बातचीत में प्राइस बेंचमार्क तय हो चुके हैं. इसका मतलब है कम कॉन्ट्रैक्चुअल रिस्क, कम समय और वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों के अनुरूप तेज डिलीवरी. नई कमर्शियल बिड्स की तुलना में यह रास्ता कहीं अधिक व्यावहारिक दिखता है.

राफेल के फ्यूजलाज सेक्शन भारत में बनाने की परियोजना पहले से मौजूद है.

फ्रांस के साथ कूटनीति और इंडस्ट्रियल सिग्नल क्या कहते हैं

भारत में फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ चल रही चर्चाओं से संकेत मिलते हैं कि बातचीत आगे बढ़ रही है भले ही रफ्तार नपी-तुली हो. खास बात यह है कि IAF के 114 राफेल और भारतीय नौसेना के 26 राफेल-एम मिलकर इतना बड़ा ऑर्डर बना सकते हैं. इससे भारत में फुल-स्केल असेंबली लाइन आर्थिक और रणनीतिक. दोनों रूप से संभव हो जाती है.

F4 और F5 वैरिएंट की चर्चा क्यों अहम है?

हालिया रिपोर्ट्स में यह संकेत भी मिला है कि भारत 90 राफेल F4 और 24 राफेल F5 (ऑप्शन) पर विचार कर सकता है. भले ही आधिकारिक पुष्टि न हो लेकिन यह अटकलें बताती हैं कि नई दिल्ली नेक्स्ट-जेन क्षमताओं के साथ आगे बढ़ना चाहती है. यह बेहतर सेंसर, नेटवर्किंग और अपग्रेडेड हथियारों के साथ होगा.

भारत में लोकलाइजेशन: सिर्फ ऑफसेट नहीं, असली मैन्युफैक्चरिंग

राफेल के फ्यूजलाज सेक्शन भारत में बनाने की परियोजना पहले से मौजूद है. यह सीमित ऑफसेट से आगे बढ़कर एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में बड़ा कदम है. इसके साथ ही सैफ्रान हैदराबाद में M88 इंजन के लिए MRO सुविधा स्थापित कर रहा है, जो भारतीय बेड़े के साथ-साथ क्षेत्रीय ऑपरेटर्स को भी सपोर्ट कर सकती है. इससे भारत रीजनल इंजन-सस्टेनेन्स हब बन सकता है.

सैफ्रान हैदराबाद में M88 इंजन के लिए MRO सुविधा स्थापित कर रहा है.

एक नजर में राफेल की बढ़त

पहले से IAF में ऑपरेशनल, तेज तैनाती संभव G2G डील से समय और कॉन्ट्रैक्ट रिस्क कम F4/F5 जैसे उन्नत वैरिएंट का विकल्प मेक-इन-इंडिया के तहत असेंबली और MRO नौसेना + वायुसेना मिलकर बड़ा ऑर्डर वॉल्यूम

रक्षा कवच क्यों होगा और मजबूत

राफेल सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि तैयारी, भरोसा और इंडस्ट्री बिल्ड-अप का पैकेज है. MRFA की जरूरत, समय की मांग और औद्योगिक क्षमता तीनों कसौटियों पर राफेल फिट बैठता है. यही वजह है कि 114 राफेल IAF की पहली पसंद बनते दिख रहे हैं और भारत का रक्षा कवच और मजबूत होने की दिशा में बढ़ रहा है.

रणनीतिक रोडमैप: आगे के कदम

स्क्वाड्रन गैप भरने के लिए त्वरित डिलीवरी लोकल असेंबली से आत्मनिर्भरता को बल इंजन MRO से अपटाइम और लागत नियंत्रण नेक्स्ट-जेन अपग्रेड्स से भविष्य-तैयारी

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Sumit Kumar

सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें

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December 15, 2025, 03:31 IST

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