खाड़ी देशों का 'गेटवे' ओमान, वो मुस्लिम देश जहां मौजूद है 125 साल पुराना मंदिर

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नई दिल्ली/मस्कट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओमान की यात्रा पर जा रहे हैं. यह दौरा सिर्फ एक कूटनीतिक रस्म नहीं है. यह हजारों साल पुराने रिश्तों को नया रंग देने की कोशिश है. ओमान खाड़ी देशों में भारत का सबसे पुराना और सबसे भरोसेमंद दोस्त है. जब भी भारत को अरब सागर में मदद की जरूरत पड़ी, ओमान हमेशा खड़ा रहा. पीएम मोदी का यह दौरा रणनीतिक रूप से बहुत अहम माना जा रहा है. चीन की बढ़ती हरकतों के बीच ओमान का साथ होना भारत के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है. मस्कट की गलियों से लेकर दिल्ली के दरबार तक इस दोस्ती की चर्चा है. इतिहास गवाह है कि जब दुनिया में नक्शे नहीं बने थे, तब भी भारत और ओमान के बीच जहाज चला करते थे. आइए जानते हैं कि आखिर ओमान भारत के लिए इतना खास क्यों है.

लकड़ी की नाव और मसालों की खुशबू, कैसे शुरू हुआ भारत-ओमान का रिश्ता?

भारत और ओमान का रिश्ता आज का नहीं है. यह रिश्ता सिंधु घाटी सभ्यता के समय का है. तब ओमान को ‘मगन’ कहा जाता था. गुजरात के लोथल बंदरगाह से जहाज ओमान जाते थे. उस समय इंजन वाले जहाज नहीं होते थे. लकड़ी की नावें होती थीं. जिन्हें ‘धो’ (Dhow) कहा जाता था. ये नावें हवा के सहारे चलती थीं. भारतीय नाविक मॉनसून की हवाओं का इस्तेमाल करना जानते थे. वे हवा के रुख के साथ ओमान पहुंचते थे.

भारत से मसाले, कपड़ा और अनाज ओमान जाता था. बदले में वहां से खजूर और मोती भारत आते थे. यह व्यापार इतना गहरा था कि ओमान के कई पुराने परिवारों की जड़ें आज भी गुजरात के कच्छ और मांडवी में मिलती हैं.

दुक्म पोर्ट: समंदर में भारत का अभेद्य किला, चीन क्यों है परेशान?

पीएम मोदी की इस यात्रा में सबसे ज्यादा चर्चा ‘दुक्म पोर्ट’ की हो रही है. ओमान ने भारत को इस पोर्ट के इस्तेमाल की इजाजत दे रखी है. यह पोर्ट रणनीतिक रूप से बहुत अहम है. यह अरब सागर के ठीक मुहाने पर है. यहां से भारत पूरे हिंद महासागर पर नजर रख सकता है. भारतीय नौसेना के जहाज यहां रुक सकते हैं. मरम्मत करवा सकते हैं और रसद ले सकते हैं.

चीन जिबूती और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जरिए भारत को घेरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन भारत ने दुक्म पोर्ट के जरिए चीन की चाल को काट दिया है. यह पोर्ट भारत के लिए समंदर में एक अभेद्य किले जैसा है. पीएम मोदी के दौरे से इस सहयोग को और मजबूती मिलेगी. दुश्मनों की नींद उड़ना तय है.

वो सुल्तान जिन्होंने भारत में की थी पढ़ाई

ओमान के शाही परिवार का भारत से गहरा भावनात्मक लगाव रहा है. ओमान के दिवंगत सुल्तान काबूस बिन सईद ने अपनी पढ़ाई भारत में की थी. वे पुणे में पढ़े थे. उन्हें भारत से इतना प्रेम था कि वे अक्सर भारत को अपना दूसरा घर कहते थे. उनके पिता भी भारत में रहे थे. आज भी ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक भारत को विशेष महत्व देते हैं. जब भी भारत का कोई प्रधानमंत्री ओमान जाता है तो प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत किया जाता है. मस्कट में एक बहुत पुराना शिव मंदिर है. यह मंदिर करीब 125 साल पुराना है. इसे मोतीश्वर मंदिर कहा जाता है. खाड़ी के किसी मुस्लिम देश में इतना पुराना मंदिर होना बताता है कि वहां भारत के लोगों को कितना सम्मान मिलता है. पीएम मोदी भी इस मंदिर में जा चुके हैं.

कच्छी भाषा और ओमान का बाजार: क्या आपको पता है ये राज?

अगर आप मस्कट के पुराने बाजार ‘मुतराह सूक’ में जाएंगे तो हैरान रह जाएंगे. वहां आपको कई दुकानदार आपस में ‘कच्छी’ भाषा बोलते हुए मिल जाएंगे. ये वो लोग हैं जिनके पूर्वज सदियों पहले गुजरात से ओमान गए थे. उन्हें वहां की नागरिकता मिल गई है. उन्हें ‘लवातिया’ कहा जाता है. लेकिन उन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति नहीं छोड़ी है. वे ओमान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. ओमान के लोग भारतीय खाने के भी दीवाने हैं. वहां की बिरयानी और कबाब में आपको भारतीय मसालों का स्वाद मिलेगा. यह रिश्ता सिर्फ कागजों पर नहीं है. यह वहां की हवा और मिट्टी में घुला हुआ है.

ओमान ने भारत के लिए खोल दिए खजाने, पीएम मोदी के स्वागत में बिछाई पलकें (AI की मदद से बनाई गई सांकेतिक तस्वीर)

तेल, गैस और 6000 कंपनियां: ओमान में भारत का आर्थिक दम

ओमान भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है. भारत अपनी जरूरत का काफी तेल और गैस ओमान से खरीदता है. लेकिन अब बात सिर्फ तेल तक सीमित नहीं है. ओमान में 6000 से ज्यादा भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं. वहां के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स भारतीय इंजीनियर बना रहे हैं. ओमान में करीब 7 लाख भारतीय रहते हैं. ये लोग वहां की तरक्की में पसीना बहाते हैं. वे हर साल अरबों डॉलर भारत भेजते हैं.

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान डिजिटल पेमेंट पर भी बात होगी. भारत का रुपे कार्ड (RuPay Card) ओमान में स्वीकार किया जाता है. यह आर्थिक रिश्तों की गहराई को दिखाता है. दोनों देश अब फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की तरफ भी बढ़ रहे हैं.

सेनाओं का तालमेल: रेगिस्तान में गरजते हैं भारतीय शेर

भारत और ओमान के रक्षा संबंध बहुत मजबूत हैं. तीनों सेनाएं (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) एक-दूसरे के साथ युद्धाभ्यास करती हैं. ‘अल नजेह’ और ‘नसीम अल बहर’ जैसे सैन्य अभ्यास दोनों देशों की ताकत दिखाते हैं. ओमान के अधिकारी भारत के सैन्य संस्थानों में ट्रेनिंग लेते हैं. ओमान खाड़ी का अकेला ऐसा देश है जिसके साथ भारत की तीनों सेनाएं द्विपक्षीय अभ्यास करती हैं. यह भरोसा पाकिस्तान को सबसे ज्यादा चुभता है. क्योंकि एक मुस्लिम देश होने के बावजूद ओमान पाकिस्तान से ज्यादा भारत पर भरोसा करता है. पीएम मोदी इस रक्षा सहयोग को अगले लेवल पर ले जाना चाहते हैं. इसमें स्पेस टेक्नोलॉजी और मिसाइल सिस्टम पर भी बात हो सकती है.

समुद्री लुटेरों का काल: भारत और ओमान की जुगलबंदी

अरब सागर में समुद्री लुटेरों का खतरा हमेशा बना रहता है. सोमालिया के पास से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को खतरा होता है. भारत और ओमान की नौसेना मिलकर इन लुटेरों का मुकाबला करती हैं. दोनों देश खुफिया जानकारी साझा करते हैं. ओमान भारत को अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने देता है. यह सुविधा बहुत कम देशों को मिलती है. जब भी यमन या किसी दूसरे देश में संकट आता है तो ओमान भारत के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन का बेस बनता है.

खाड़ी का दरवाजा: ओमान क्यों है इतना अहम?

ओमान को ‘गेटवे ऑफ गल्फ’ यानी खाड़ी का दरवाजा कहा जाता है. यह होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) के पास स्थित है. दुनिया का एक बड़ा हिस्सा तेल व्यापार इसी रास्ते से होता है. ओमान के पास जिसके अच्छे संबंध होंगे, उसका इस रूट पर दबदबा रहेगा. पीएम मोदी इस बात को बखूबी समझते हैं. इसलिए उन्होंने अपनी विदेश नीति में ओमान को टॉप प्रायोरिटी पर रखा है. ओमान की नीति हमेशा से तटस्थ रहने की रही है. वह किसी के झगड़े में नहीं पड़ता. इसलिए वह ईरान और अमेरिका जैसे दुश्मनों के बीच भी बातचीत करवा सकता है. भारत के लिए ऐसा दोस्त बहुत कीमती है. अब जमाना बदल रहा है. तेल खत्म होने वाला है. इसलिए भारत और ओमान अब भविष्य की ऊर्जा पर काम कर रहे हैं. ओमान के पास बहुत सारी धूप और खाली जमीन है. वहां ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की अपार संभावनाएं हैं. भारत की कंपनियां वहां ग्रीन अमोनिया और हाइड्रोजन प्लांट लगा रही हैं. पीएम मोदी की इस यात्रा में रिन्यूएबल एनर्जी पर बड़े समझौते हो सकते हैं. भारत चाहता है कि ओमान की ऊर्जा सुरक्षा में उसकी हिस्सेदारी बनी रहे. यह पार्टनरशिप आने वाले 50 सालों का रोडमैप तैयार करेगी.

ओमान के साथ यह दोस्ती बताती है कि भारत की पहुंच अब अपनी सीमाओं से बहुत आगे निकल चुकी है. भारत अब दूसरे देशों में पोर्ट बना रहा है. वहां अपनी नौसेना तैनात कर रहा है. ओमान ने भारत को जो सम्मान दिया है, वह बेमिसाल है.

Over the next three days, will be going to Jordan, Ethiopia and Oman. These are three valued partners with whom India has age-old civilisational ties and strong bilateral relations.https://t.co/QSkwR9m6IZ

मस्कट में पीएम मोदी का भव्य स्वागत यह साबित करेगा कि भारत का कद दुनिया में कितना बढ़ गया है. यह यात्रा पुराने सिल्क रूट की यादों को ताजा करेगी और आधुनिक कूटनीति का नया अध्याय लिखेगी.

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