'गरीब का केस हो तो आधी रात को भी बुला लो', CJI सूर्यकांत की टिप्पणी और 2015 की

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Last Updated:December 13, 2025, 12:06 IST

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में अक्‍सर ही ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनका दूरगामी महत्‍व होता है. खासकर संविधान और कानून पर असर डालने वाले मामलों में शीर्ष अदालत की ओर से कई बार स्‍वत: संज्ञान लेकर भी मामले की सुनवाई की जाती है. मौजूदा CJI जस्टिस सूर्यकांत ने हाल में ही एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि गरीबों के लिए वे आधी रात तक बैठने के लिए तैयार हैं. उनकी इस टिप्‍पणी से 10 साल पुरानी एक घटना की याद ताजा हो गई, जिसमें अप्रत्‍याशित तौर पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुबह 3 बजे बैठी थी.

'गरीब का केस हो तो आधी रात को भी बुला लो', CJI सूर्यकांत की टिप्पणी और 2015 कीSupreme Court: साल 2015 में एक ऐसा मामला सामने आया था, जब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुबह तीन बजे बैठी थी. (फाइल फोटो/PTI)

Supreme Court: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने हाल में ही एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकताओं को स्‍पष्‍ट किया था. उन्‍होंने एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा था कि गरीब लोगों को न्याय दिलाना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. इसके लिए यदि जरूरत पड़ी तो वे उनके लिए अदालत में आधी रात तक भी बैठ सकते हैं. सीजेआई ने यह टिप्‍पणी तिलक सिंह डांगी नाम के एक शख्‍स की याचिका खारिज करते समय की थी. CJI ने कहा था कि मेरे कोर्ट में लग्जरी यानी अमीरों की मुकदमेबाजी के लिए कोई जगह नहीं है. उन्‍होंने कहा था, ‘मैं यहां सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे सबसे छोटे और सबसे गरीब याचियों के लिए हूं. जरूरत पड़ी तो मैं उनके लिए आधी रात तक भी यहीं बैठूंगा.’ उनकी इस टिप्‍पणी ने 15 साल पुराने एक मामले की बरबस ही याद दिला दी, जब सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुबह 3 बजे बैठी थी. प्रशांत भूषण जैसे सीनियर लॉयर की ओर से दायर याचिका पर शीर्ष अदालत को यह कदम उठाना पड़ा था.

पहली बार ऐसा हुआ था कि याकूब मेमन को फांसी से बचाने की आखिरी याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को 30 जुलाई 2015 को आधी रात के बाद 3 बजे खोला गया. यह याचिका 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसकी भूमिका से जुड़ी थी. करीब 90 मिनट तक चली सुनवाई के बाद जजों ने याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील खारिज कर दी. इसके बाद उसे सुबह 7 बजे से कुछ पहले नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी. आधी रात के बाद दिल्ली में काफी हलचल रही. सामाजिक कार्यकर्ता और कई वकील पहले तत्‍कालीन CJI एचएल दत्तू के घर पहुंचे थे, फिर तुगलक रोड स्थित सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा के आवास गए और अंत में कुछ किलोमीटर दूर सुप्रीम कोर्ट भवन पहुंचे.

भारत के प्रधान न्‍यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि वे गरीब फरियादियों के लिए आधी रात तक भी बैठने को तैयार हैं. (फाइल फोटो/PTI)

कोर्ट नंबर- 4 में ऐतिहासिक सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 4 में तीन जजों की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. यह पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट को रात 3 बजे किसी मामले की सुनवाई के लिए खोला गया. शाम को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याकूब मेमन की दया याचिका को खारिज कर दिया था, जो उन्हें उसी दिन पहले मिली थी. याकूब मेमन के वकीलों और समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि दया याचिका खारिज होने के कम से कम 14 दिन तक फांसी नहीं दी जा सकती. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि महाराष्ट्र जेल नियमावली के अनुसार दया याचिका खारिज होने और फांसी के बीच सात दिन का अंतर होना चाहिए, जिसका पालन नहीं किया गया.

हर दलील खारिज

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया और कहा था कि याकूब मेमन को याचिका दायर करने के लिए पहले ही पर्याप्त मौके दिए जा चुके थे. इस घटना से एक दिन पहले देर रात नई याचिका दाखिल की गई, जिसके बाद CJI दत्तू ने उसी तीन जजों की पीठ को (जिसने पहले भी उसकी अपील खारिज की थी) आखिरी याचिका सुनने का निर्देश दिया. याकूब मेमन को 2007 में 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों की फंडिंग में भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था. उसका भाई टाइगर मेमन और धमाकों के मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम अब तक फरार हैं.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 13, 2025, 12:06 IST

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