गोवा के 'गुनाहगारों' को क्या थाईलैंड से खींच लाएगा इंटरपोल, कितना बड़ा चैलेंज?

1 hour ago

नई दिल्ली. गोवा नाइट क्लब में 25 लोगों की मौत का जिम्मेदार सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा की तलाश अब तेज हो गई है. गोवा पुलिस ने सीबीआई को एक पत्र लिखा है, जिसमें थाईलैंड भागे लूथरा ब्रदर्स को इंडिया लाने की बात कही गई है. अब इस मामले में इंटरपोल की भूमिका अहम होने वाली है. गोवा नाइट क्लब हादसे के कुछ ही घंटे के बाद बाद क्लब के मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा थाईलैंड भाग गया था. दिल्ली स्थित उसके घर में ताला लटका पड़ा है. खास बात यह है कि एक कुत्ता के अलावे दिल्ली वाले घर में लूथरा परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं है.

अब भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई दोनों को भारत लाने के लिए इंटरपोल से मदद मांगने जा रही है. भारत में सीबीआई ही वह नोडल एजेंसी है, जो इंटरपोल से ब्लू, यलो, ब्लैक और रेड कॉर्नर नोटिस जारी कररने के लिए सिफारिश करती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या लूथरा बंधुओं को सीबीआई भारत खींच कर लाएगी? या फिर इनका भी हाल 283 भगोड़े जैसा होने वाला है? लूथरा बंधुओं को भारत लाना आसान होगा और उन्हें लंबी प्रत्यर्पण या डिपोर्टेशन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है?

पुलिस मामले की जांच कर रही है.

इंटरपोल की भूमिका और ‘रेड कॉर्नर नोटिस’

बता दें कि भगोड़े अपराधियों को वापस देश लाने की जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल के हाथों में होगी. कानून के जानकार मानते हैं कि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन सीबीआई के माध्यम से इंटरपोल की मदद लेना एक मानक प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. लूथरा बंधुओं की गिरफ्तारी के लिए सबसे पहला कदम इंटरपोल ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करेगी फिर ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ जारी कर सकती है.

सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा की तलाश तेज

इंटरपोल मामलों के जानकार सौरभ कुमार कहते हैं, ‘रेड कॉर्नर नोटिस एक अंतर्राष्ट्रीय वारंट नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर के सदस्य देशों की पुलिस से एक अनुरोध है कि वे व्यक्ति को हिरासत में लें और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू होने तक उसे गिरफ्तार करें. इंटरपोल मैरिट के हिसाब से और गिरफ्तार शख्स की जानकारी के हिसाब से नोटिस जारी करती है. बता दें कि यलो कॉर्नर नोटिस (YCN) लापता व्यक्ति के लिए, खासकर नाबालिगों को ढूंढ़ने या ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने के लिए जारी किया जाता है जो खुद की पहचान बताने में असमर्थ हैं. वहीं, ब्लू कॉर्नर नोटिस पहचान और ठिकाना के लिए होता है. किसी आपराधिक मामले में शामिल व्यक्ति के पहचान, ठिकाने और गतिविधियों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी हासिल करने के लिए जारी होता है.

दिल्‍ली में फायर सेफ्टी से जुड़े मानकों पर स्थिति काफी खराब है.

क्या इंटरपोल भारत को मदद करेगा?

सीबीआई सबसे पहले लूथरा बंधुओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट हासिल करेगी और फिर उसे इंटरपोल को भेजेगी. जैसे ही RCN जारी होगा, लूथरा बंधु जिस भी देश में होंगे, वहां की स्थानीय पुलिस उन्हें हिरासत में ले सकती है. कानून के जानकार मानते हैं कि लूथरा बंधुओं को भारत वापस लाने के दो मुख्य रास्ते हैं. पहला, प्रत्यर्पण और डिपोर्टेशन यह एक लंबी और कानूनी प्रक्रिया है, जो भारत के उस देश के साथ ‘प्रत्यर्पण संधि’ पर निर्भर करती है जहां आरोपी ने शरण ली है. यह प्रक्रिया अक्सर राजनीतिक दबाव या मानवाधिकार के आधार पर चुनौतीपूर्ण बन जाती है.

क्या थाईलैंड के साथ प्रत्यर्पण संधि है?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राहुल सिंह कहते हैं, ‘प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में व्यक्ति को उस देश की अदालत में जवाब देना पड़ता है कि उसे भारत क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए. इस पूरी प्रक्रिया में कई महीने या साल लग सकते है. वहीं, डिपोर्टेशन आमतौर पर एक तेज रास्ता है. यदि लूथरा बंधुओं के वीजा की समय सीमा समाप्त हो गई है या वे अवैध रूप से रह रहे हैं तो मेजबान देश उन्हें ‘डिपोर्ट’ कर सकता है. डिपोर्टेशन एक प्रशासनिक फैसला होता है, जो प्रत्यर्पण से ज्यादा तेजी से होता है.

गोवा पुलिस ने ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइट क्लब के दो मालिकों और उसके मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

क्या कहते हैं कानून के जानकार?

कानून के जानकार मानते हैं कि भले ही लूथरा बंधुओं को वापस लाने में लंबी कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़े, लेकिन गंभीर अपराधों के मामले में आमतौर पर इंटरपोल के सहयोग से सफलता मिलती है. यह अब लूथरा बंधुओं द्वारा चुने गए देश और भारत की जांच एजेंसियों की दस्तावेजीकरण और कानूनी पैरवी पर निर्भर करता है. भारत और थाईलैंड में प्रत्यर्पण संधि पहले से है. लेकिन थाईलैंड का कानून में बड़ा पेंच है. बीते कई सालों से भारतीय जांच एजेंसियों को 283 मोस्ट वांटेड की तलाश है, जिसमें कई थाईलैंड में कई मोस्ट वॉन्टेड रह रहे हैं.

इंटरपोल का फुल फॉर्म अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन ( Criminal Police Organization) है. इसे आमतौर पर बस इंटरपोल ही कहा जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी पुलिस संगठन है, जो 192 सदस्य देशों की पुलिस को अंतरराष्ट्रीय अपराध से लड़ने में मदद करता है. फ्रांस के लियॉन शहर में इंटरपोल को मुख्यालय है. इसका मुख्य उद्देश्य उन व्यक्तियों को खोजना है जो आपराधिक जांच के संबंध में वांछित या भगोड़े हैं.

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