Last Updated:March 12, 2025, 10:36 IST
Pension News: गोरखा सैनिक के देहांत के बाद क्या दूसरी पत्नी को पेंशन मिल सकती है? इसको लेकर सशस्त्र बल न्यायाधिकरण का बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायाधिकरण ने इस मामले में केन्द्र सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया ह...और पढ़ें

एएफटी ने एक गोरखा सैनिक की विधवा को पारिवारिक पेंशन देने का फैसला सुनाया है
हाइलाइट्स
कोर्ट ने गोरखा सैनिक की विधवा को पारिवारिक पेंशन पर सुनाया फैसला.केंद्र सरकार ने "मुलुकी ऐन" (नेपाल का कानूनी कोड) का हवाला दिया.आवेदक ने सैनिक की पहली पत्नी के भागने के बाद उससे शादी की थीचंडीगढ़: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) ने एक गोरखा सैनिक की विधवा को पारिवारिक पेंशन देने का फैसला सुनाया है, जिसमें सैनिक की पहली पत्नी किसी अन्य नेपाली नागरिक के साथ भाग जाने के बाद उसने दूसरी शादी की थी. न्यायाधिकरण ने माना कि दूसरी पत्नी, जिसने सैनिक के साथ चार दशकों से अधिक समय तक साथ बिताया, उसकी कानूनी पत्नी है और इसलिए पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार है. एएफटी लखनऊ की एक डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अमित कुमार और मेजर जनरल संजय सिंह शामिल थे ने यह आदेश दिया है. यह आदेश पूर्व राइफलमैन धन बहादुर गुरंग की विधवा देवकी माया गुरंग द्वारा दायर एक याचिका पर दिया गया.
क्या कहता है नेपाल का कानून?
इस मामले में पेंशन के लिए आवेदक की याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने “मुलुकी ऐन” (नेपाल का कानूनी कोड) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि ‘मुलुकी ऐन’ के संशोधित प्रावधान का हवाला दिया जो बहुविवाह पर रोक लगाते हैं. केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि नेपाल सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, सैनिक ने पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी की, जिसे बहुविवाह के रूप में वर्गीकृत किया गया.
सैनिक की विधवा की बहुविवाह के कारण पेंशन रोकी
हालांकि, एएफटी ने कहा कि आवेदक ने सैनिक की पहली पत्नी के भागने के बाद उससे शादी की थी. आवेदक ने सैनिक के साथ 43 साल तक साथ बिताया, उसे जीवनकाल के बकाया (एलटीए) का भुगतान किया गया और उसका नाम सैनिक के सेवा दस्तावेजों में दर्ज है. इसलिए, वह पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार है. इसके अलावा, कोई अन्य व्यक्ति पेंशन का दावा करने के लिए आगे नहीं आया है, इसलिए उसका दावा और मजबूत हो जाता है.
क्या है मामला?
आवेदक के पति ने 1959 में सेना में भर्ती होने से पहले बुढी माया गुरंग से शादी की थी. सेवा के दौरान, जब राइफलमैन को पारिवारिक आवास आवंटित किया गया, तो वह अपनी पत्नी और दो बच्चों को लाने के लिए छुट्टी पर गया. लेकिन जब वह अपने नेपाल स्थित घर पहुंचा, तो उसने पाया कि उसकी पत्नी बच्चों के साथ भाग गई थी और नेपाल के तनहुं जिले के धोरफफिर्दी के हरका बहादुर गुरंग के साथ रह रही थी. इसके बाद, सैनिक ने 10 अगस्त 1973 को देवकी माया गुरंग (आवेदक) से शादी की और इस विवाह से उनके दो बेटे और तीन बेटियां हुईं.
क्यों रोकी गई पेंशन?
25 नवंबर 2016 को सेवानिवृत्त हो चुके राइफलमैन गुरंग का निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद, 19 दिसंबर 2016 को आवेदक को जीवनकाल के बकाया (एलटीए) का भुगतान किया गया, लेकिन पारिवारिक पेंशन यह कहकर अस्वीकार कर दी गई कि मृतक सैनिक ने बहुविवाह किया था. एएफटी के समक्ष अपनी याचिका में, आवेदक ने कहा कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद साधारण पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार है. केंद्र सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भारतीय दूतावास, काठमांडू (नेपाल) द्वारा किए गए सत्यापन में पाया गया कि गुरंग ने अपने जीवनकाल में दो शादियां की थीं और वह उसकी अवैध पत्नी थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद, एएफटी ने पिछले महीने अपने आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह आवेदक को उसके पति की मृत्यु के अगले दिन, 26 नवंबर 2016 से साधारण पारिवारिक पेंशन प्रदान करे और सभी लाभ चार महीने के भीतर दे.
First Published :
March 12, 2025, 10:36 IST