Last Updated:April 08, 2025, 10:13 IST
Changes In Collegium System: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जले हुए कैश मिलने के बाद न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठे थे. इसके बाद सीजेआई ने कोलेजियम सिस्टम में बड़ा ...और पढ़ें

सीजेआई ने हाईकोर्ट में जजों को नियुक्त करने से पहले उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया है.
हाइलाइट्स
सीजेआई ने कोलेजियम सिस्टम में बदलाव किए.उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेकर जांच की जा रही है.अब हाईकोर्ट जज बनना पहले से मुश्किल हो गया है.Changes In Collegium System: पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में जले हुए कैश बरामद होने के बाद न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और जजों की नियुक्ति में कथित पारदर्शिता नहीं होने के मसले की चर्चा फिर से तेज हो गई. जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम पर भी सवाल उठाए गए. कई जानकारों ने जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम को पूरी तरह खत्म करने की तक मांग कर दी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम भी अपनी तरफ से कुछ कदम उठाता दिख रहा है. वह जजों की नियुक्ति से पहले उम्मीदवारों के बारे में जांच-पड़ताल करने और इंटरव्यू करने की रणनीति अपनाई है.
इम्स ऑफ इंडिया में इस बारे में रिपोर्ट छपी है. इसमें कहा गया है कि पहले अगर हाईकोर्ट कोलेजियम किसी वकील के नाम की सिफारिश कर देता था, तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) की अगुआई वाला तीन सदस्यों का कोलेजियम उसे आसानी से मंजूरी दे देता था. पिछले तीन दशकों में हाईकोर्ट कोलेजियम द्वारा सुझाए गए 85-90 फीसदी नामों को मंजूरी मिली है. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. हाईकोर्ट जज बनना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है. अब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम सिर्फ 50 फीसदी से कम नामों को ही जज बनने के लिए चुन रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अब उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया जा रहा है. इस इंटरव्यू में उनकी योग्यता, सोच और जज बनने की उनकी काबिलियत को परखा जाता है.
पहले ऐसी थी व्यवस्था
पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की जांच बहुत साधारण होती थी. वे सिर्फ दो चीजों पर ध्यान देते थे – पहला, वकील ने कितने बड़े और महत्वपूर्ण केस लड़े हैं, और दूसरा, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की रिपोर्ट में उनकी छवि कैसी है. आईबी की रिपोर्ट में वकील की वकीलों के समुदाय में क्या प्रतिष्ठा है, यह भी देखा जाता था. उस समय हाईकोर्ट कोलेजियम से आए ज्यादातर नाम मंजूर हो जाते थे. सिर्फ 10-15 फीसदी नाम ही खारिज होते थे, जिनकी आईबी रिपोर्ट खराब होती थी या जिनकी कमाई कम होती थी, जिससे लगता था कि उनकी प्रैक्टिस ठीक नहीं है. उस समय जांच इतनी सामान्य थी कि करीब एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक मौजूदा सीजेआई की बहन को हाईकोर्ट जज बना दिया था. उनकी सालाना कमाई 1 लाख रुपये से भी कम थी, फिर भी उन्हें मंजूरी मिल गई. जज बनने से उन्हें पेंशन भी मिलने वाली थी.
लेकिन अब यह प्रक्रिया सख्त हो गई है. पिछले महीने सीजेआई बने जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत के साथ मिलकर एक नया नियम शुरू किया. अब हाईकोर्ट कोलेजियम से आए नामों का व्यक्तिगत इंटरव्यू लिया जाता है. इस इंटरव्यू का मकसद यह समझना है कि उम्मीदवार की कानूनी सोच क्या है और वे जज बनने के लिए कितने उपयुक्त हैं. यह कदम उठाना जरूरी हो गया था, क्योंकि कुछ जजों के बयानों और फैसलों से विवाद बढ़ रहे थे. कुछ जजों ने ऐसे फैसले दिए जो बहुत चौंकाने वाले थे, जैसे रेप की कोशिश को गलत तरीके से समझाना. इसके अलावा, कुछ मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आई थीं. इन सब समस्याओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को खुद कार्रवाई करनी पड़ी.
First Published :
April 08, 2025, 10:13 IST