China-Sri lanka: श्रीलंका में चुनाव के बाद जो सरकार बनी है, उसका झुकाव चीन की तरफ ज्यादा है. श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके भले ही कह चुके हों कि श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा, लेकिन श्रीलंकाई सरकार ने मंगलवार को चीन के मिलिट्री ट्रेनिंग वाले जहाज को कोलंबो आने की इजाजत दे दी. श्रीलंकाई सरकार ने इस कदम का बचाव किया है.
श्रीलंका ने कही ये बात
श्रीलंका के नए विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने इस मामले पर कहा कि यह फैसला देश के कूटनीतिक संबंधों के दायरे में आता है और इस तरह की यात्राओं से कोई खतरा नहीं है. वह ‘चाइनीज़ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना के ट्रेनिंग वॉरशिप पो लैंग के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे जो मंगलवार को कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा था.
एक बयान में कहा गया कि यह समुद्री यात्रा का हिस्सा है, जिसका मकसद नेवी सैनिकों की पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाना और अन्य देशों के साथ नौसैन्य आदान-प्रदान करना है. कैबिनेट प्रवक्ता हेराथ ने कहा कि श्रीलंका सभी देशों के साथ संतुलित राजनयिक संबंध बनाए रखता है. उन्होंने कहा कि चीनी सैन्य प्रशिक्षण पोत को श्रीलंका आने की अनुमति देने का सरकार का निर्णय देश की कूटनीतिक प्रतिबद्धताओं के दायरे में आता है.
पिछली सरकार ने लगाया था बैन
हेराथ ने कहा, 'हमें मिलिट्री ट्रेनिंग वॉरशिप्स को इजाजत देने में खुशी होती है. वे कोई खतरा पैदा नहीं करते. हमने जर्मनी और अमेरिका से सैन्य जहाजों को आते देखा है.'
पिछली सरकार ने श्रीलंका के स्पेशल इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) में विदेशी वैज्ञानिक अनुसंधान सर्वेक्षण जहाजों को एंट्री की इजाजत देने पर रोक लगा दी थी. तत्कालीन विदेश मंत्री अली साबरी ने जुलाई में कहा था कि श्रीलंका को इस प्रतिबंध की समीक्षा करनी है और यह फैसला लेना है कि इसे जारी रखा जाए या हटा दिया जाए. भारत ने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में कई चीनी अनुसंधान जहाजों की मौजूदगी पर बार-बार चिंता जताई है. हेराथ ने कहा कि श्रीलंका राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बनाए रखने के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग जहाजों की यात्राओं की इजाजत जारी रखेगा.