Last Updated:December 29, 2025, 13:27 IST
Indian Railway Late Train In Fog: सर्दी के मौसम में भारतीय रेलवे की ट्रेनें पटरियों पर रेंगने लगती हैं. घने कोहरे में गाड़ियां जहां-तहां लचार खड़ी रहती हैं. उसमें सवार यात्री भी भगवान भरोसे ही रहते हैं. 10 घंटे की यात्रा 24 से 30 घंटे में तय होती है क्योंकि कोहरे में कुछ ना दिखने की वजह से लोको पायलट भी लाचार रहते हैं. मगर, एक ऐसे डिवाइस की खोज हुई है, जिसकी मदद से गाड़ियां कोहरे में बुलेट की रफ्तार से भागेंगी.
कोहरे में लेट नहीं होंगी गाड़ियां. बुलेट की रफ्तार से भागेंगी ट्रेने, मिल गया है तीसरी आंख. (फाइल फोटो)Indian Railway News: सर्दियों का मौसम आते ही मानों रेलवे को ग्रहण लग जाता है. उत्तर भारत में चलने वाली गाड़ियां 10-10 से 12-12 घंटे लेट चलने लगती हैं. प्रीमियम गाड़ियां भी घंटों लेट हो जाती हैं. वजह होती है ठंड के मौसम में पड़ने वाले कोहरे. हर साल घने कोहरे के कारण सैकड़ों ट्रेनें घंटों देरी से चलती हैं. लेकिन, एक ऐसे तीसरी आंख की खोज हो चुकी है, जिसके मदद से ट्रेनें कोहरे में भी बुलेट की रफ्तार पकड़ लेंगी. दरअस, रेलवे पिछले साल जनवरी से ही 19,742 फॉग पास डिवाइस (Fog Pass Devices) के पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. हालांकि, अभी तक प्रैक्टिकली लागू नहीं किया जा सका है.
क्या है ‘फॉग पास डिवाइस’?
सरल भाषा में कहें तो यह लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) के लिए एक ‘सुपरहीरो टूल’ की तरह है. यह एक जीपीएस (GPS) आधारित नेविगेशन डिवाइस है, जो घने कोहरे में लोको पायलट को रास्ता दिखाता है. जब कोहरे के कारण बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता, तब यह डिवाइस लोको पायलट की ‘तीसरी आंख’ बनकर काम करता है.
ट्रैक पर रियल टाइम जानकारी
यह डिवाइस लोको पायलट को रीयल-टाइम जानकारी देता है. इसमें स्क्रीन पर डिस्प्ले और वॉयस गाइडेंस (आवाज़ के जरिए निर्देश) दोनों की सुविधा होती है. जैसे ही ट्रेन किसी सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (फाटक), स्पीड रिस्ट्रिक्शन जोन या न्यूट्रल सेक्शन के पास पहुंचने वाली होती है, यह डिवाइस 500 मीटर पहले ही लोको पायलट को अलर्ट कर देता है. यह भौगोलिक क्रम में आने वाले अगले तीन लैंडमार्क की जानकारी पहले ही स्क्रीन पर दिखा देता है, जिससे ड्राइवर पहले से सतर्क हो जाता है और ट्रेन की गति को नियंत्रित कर सकता है.
डिवाइस की खासियतें जो इसे बनाती हैं खास:
हर तरह के ट्रैक और ट्रेन के लिए उपयुक्त: चाहे रेलवे ट्रैक सिंगल हो या डबल, विद्युतीकृत (Electric) हो या नॉन-इलेक्ट्रिफाइड, यह डिवाइस हर जगह कारगर है. यह इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों के साथ-साथ ईएमयू (EMU), मेमू (MEMU) और डेमू (DEMU) जैसी सभी प्रकार की ट्रेनों में काम करता है. पोर्टेबल और हल्का: इसका वजन बैटरी समेत 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं है, जिससे लोको पायलट इसे आसानी से अपने साथ इंजन (लोकोमोटिव) तक ले जा सकते हैं. इसे लोकोमोटिव के कैब डेस्क पर आसानी से रखा जा सकता है. लंबा बैटरी बैकअप: इसमें इन-बिल्ट रिचार्जेबल बैटरी है, जो 18 घंटे तक का बैकअप देती है. यानी लंबी यात्रा के दौरान भी इसके बंद होने का डर नहीं रहता. मौसम की मार से बेअसर: यह एक स्टैंडअलोन सिस्टम है जिस पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ता. चाहे बाहर घना कोहरा हो, मूसलाधार बारिश हो या तेज धूप, यह डिवाइस अपनी सटीक जानकारी देता रहता है.यात्रियों को मिलेगी राहत
रेलवे का यह कदम यात्रियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. अक्सर कोहरे के कारण लोको पायलट को सिग्नल देखने के लिए ट्रेन की गति बहुत धीमी करनी पड़ती थी, जिससे ट्रेनें कई घंटे लेट हो जाती थीं. लेकिन अब फॉग पास डिवाइस की मदद से लोको पायलट को सिग्नल और बाधाओं की जानकारी पहले ही मिल जाएगी, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ सुरक्षित गति से ट्रेन चला सकेंगे. इससे न केवल ट्रेनों की लेटलतीफी कम होगी, बल्कि रेल यात्रा अधिक सुरक्षित भी बनेगी.
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दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 29, 2025, 13:27 IST

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