डेंगू का डंक इस देश पर पड़ रहा बहुत भारी, अब तक 243 लोगों की ले ली जान; 86000 लोग हुए बीमार

1 hour ago

Bangladesh Directorate General of Health Services: बांग्लादेश में राजनीतिक ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहाल हैं. जिसकी वजह से बांग्लादेश में डेंगू से हो रही मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा है. पिछले 24 घंटों के अंदर और चार लोगों ने डेंगू की वजह से दम तोड़ दिया है. जिसके बाद 2025 में मच्छर से पनपी बीमारी से मरने वालों की संख्या अब 343 का आंकड़ा पार कर चुकी है. 

डेंगू का डंक 
यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश की तरफ से स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के हवाले से बताया 'ताजा डेंगू के मामलों के चलते 920 से ज्यादा मरीजों को वायरल फीवर की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, इसके साथ ही अब बांग्लादेश में डेंगू के मरीजों की कुल संख्या 86924 पहुंच गई है. डीजीएचएस के अनुसार बांग्लादेश में डेंगू के सबसे ज्यादा मरीज ढाका नॉर्थ सिटी कॉर्पोरेशन में हैं, जिनकी संख्या 211 है. इसके अलावा ढाका साउथ सिटी कॉर्पोरेशन में भी 151 मरीज मौजूद हैं. इस तरह ये आंकड़े ढाका डिविजन में 147 के साथ-साथ बारिशाल डिवीजन में देखने को मिले हैं. बांग्लादेश में डेंगू की वजह से 2024 में भी 575 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 2023 में 1705 लोग डेंगू की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं. 

मच्छरों का प्रजनन जिम्मेदार
कुछ समय पहले डीजीएचएस के महानिदेशक अबू जाफर ने 2025 में डेंगू के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है और मृत्यु दर कम बताई थी. बांग्लादेश में लगातार डेंगू के डंक से बीमार लोग बीमार हो रहे हैं जिसके लिए मच्छरों का प्रजनन और उनका लार्वा सबसे बड़ा कारण है. महानिदेशक की तरफ से उसको नष्ट करना भी सबसे महत्वपूर्ण बताया गया था. फिलहाल बांग्लादेश में डेंगू को लेकर तो नसीहतों का दौर चल रहा है लेकिन इसके अलावा भी देश कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को लेकर उदासीन नजर आ रहा है. 

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बाल मजदूरी के आंकड़े 

दरअसल, बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो और यूनिसेफ की ओर से एक मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे 2025 जारी किया गया है, जिसमें बांग्लादेश बाल श्रम, विषाक्त शीशे के संपर्क के अलावा कुपोषण और दूषित जल का दंश भी झेल रहा है. ढाका ट्रिब्यून ने इस सर्वे में लगभग 63000 बांग्लादेशी परिवारों को कवर किया गया. जिसमें 12 लाख ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं और जिन बच्चों की उम्र 12 से 59 महीने की है उनमें से हर चौथे बच्चे के रक्त में सीसा अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है.

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