Last Updated:December 15, 2025, 17:10 IST
Banke Bihari Timing Row: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बांके बिहारी जी मंदिर में दर्शन के समय और मंदिर की परंपराओं को लेकर कोर्ट द्वारा गठित समिति के फैसलों पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर हाई पावर्ड टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की बेंच ने प्राथमिक तौर पर माना कि वर्तमान व्यवस्था देवता का शोषण करने के बराबर है.
सीजेआई सूर्यकांत ने श्री बांके बिहारी की दर्शन टाइमिंग को लेकर सुनवाई कीनई दिल्ली. वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी जी मंदिर में दर्शन के समय और परंपराओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने धार्मिक व्यवस्था, आस्था और प्रबंधन के बीच चल रही बहस को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने बेहद तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा व्यवस्था देवता के शोषण के समान है. यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें मंदिर प्रबंधन से जुड़े पक्षों ने कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी के कुछ फैसलों पर आपत्ति जताई.
CJI सूर्यकांत ने ‘देवता के शोषण’ की बात क्यों कही?
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर को दोपहर 12 बजे बंद करने के बाद भी देवता को एक मिनट का भी विश्राम नहीं मिलता. इसी समय देवता का सबसे ज्यादा शोषण होता है. कोर्ट ने इस बात पर भी गंभीर सवाल उठाया कि जो अमीर लोग सबसे ज्यादा पैसे दे सकते हैं, उन्हें विशेष पूजा की अनुमति दे दी जाती है. पीठ का संकेत साफ था क्या आस्था का पैमाना दान की राशि से तय होना चाहिए? और क्या मंदिर की परंपराएं इस तरह बदली जा सकती हैं कि उससे देवता और सामान्य श्रद्धालु, दोनों के अधिकार प्रभावित हों?
क्यों सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला?
यह याचिका ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से दायर की गई. यह समिति उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश 2025 के तहत गठित की गई है. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगस्त 2025 में गठित हाई पावर्ड कमेटी के कुछ फैसलों पर आपत्ति जताई है खासतौर पर दर्शन के समय में बदलाव, मंदिर की पारंपरिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप को लेकर.
मंदिर पक्ष की क्या दलील?
मंदिर प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता बेहद जरूरी है. दर्शन के समय में बदलाव कर दिया गया है, जो परंपराओं को प्रभावित करता है. उन्होंने तर्क दिया कि बांके बिहारी मंदिर की पूजा-पद्धति और संचालन 1939 की प्रबंधन योजना के तहत दशकों से चलता आ रहा है, जिसमें दर्शन का समय], पूजा की विधि, सेवायतों की भूमिका, मंदिर की वित्तीय व्यवस्था सब कुछ स्पष्ट रूप से तय है.
क्या है पूरा पेच?
उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के जरिए राज्य सरकार मंदिर की व्यवस्था को सरकारी नियंत्रण वाले ट्रस्ट के अधीन लाना चाहती है. इसी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सरकार को धार्मिक संस्थानों में इतनी दखलअंदाजी का अधिकार है? क्या इससे सदियों पुरानी परंपराएं कमजोर होंगी? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर खुद सुनवाई से इनकार कर दिया था और मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट को भेज दिया था.
हाईपावर्ड कमेटी का रोल
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में मंदिर के रोजमर्रा के संचालन की निगरानी के लिए पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट जज अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक हाई पावर्ड कमेटी बनाई थी. इस कमेटी को जिम्मेदारी दी गई थी कि साफ पानी, शौचालय और शरण स्थलों की व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण के लिए अलग गलियारे, बुजुर्ग और कमजोर श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं, मंदिर और आसपास के क्षेत्र के समग्र विकास की योजना और जरूरत पड़ने पर भूमि अधिग्रहण किया जाए.
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अरुण बिंजोला इस वक्त न्यूज 18 में बतौर एसोसिएट एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिए हैं और पिछले 10 सालों से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्यूज 1...और पढ़ें
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 15, 2025, 17:10 IST

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