Last Updated:January 27, 2025, 07:10 IST
Indian Railways- देश में सेमी हाई स्पीड यानी वंदेभारत जैसी ट्रेनें फर्राटे भर रही हैं, वहीं बुलेट ट्रेन दौड़ाने का काम भी तेजी से चल रहा है. इनके साथ ही नैरो गेज ट्रेनें भी कई जगह चल रही हैं. आइए जानें , इनक...और पढ़ें
रेलवे इन ट्रेनों में लगातार बढ़ा रहा है सुविधाएं.
नई दिल्ली. देश में भारतीय रेलवे का नेटवर्क करीब 1.26 किमी फैल चुका है. गुड्स और पैसेंजर ट्रेनों को मिलाकर 20000 से अधिक है. राजधानी, शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के साथ सेमी हाईस्पीड ट्रेन यानी वंदेभारत एक्सप्रेस भी दौड़ रही है. बुलेट ट्रेन का काम भी तेजी से चल रहा है. लेकिन यह बात शायद कम ही लोगों को मालूम होगी कि इस बदलाव के बावजूद कई जगह छोटी लाइन ( नैरोगेज ट्रेन) चल रही है. रेल मंत्रालय इन ट्रेनों में सुविधाएं और बेहतर करने जा रहा है. आइए जानें-
रेल मंत्रालय के अनुसार पहाड़ी इलाकों में कई जगह नैरो गेज पर ट्रेन चल रही है. इन लाइनों की लंबाई करीब 200 किमी. है. इनमें कालका शिमला, माथेरान लाइट और दार्जलिंग हिमालयन रेल लाइन शामिल हैं. ये ट्रेनों स्थानीय लोगों के लिए जहां ट्रांसपोर्ट का प्रमुख साधन हैं, वहीं, पयर्टन की दृष्टि से खास है. यहां जाने वाले पर्यटक इन ट्रेनों में बैठकर वादियों का आनंद लेते हैं. इसी वजह से भारतीय रेलवे इन ट्रेनों में सुविधाएं बढ़ाने पर फोकस कर रहा है. कई जगह विस्टाडोम कोच लगाए गए हैं. इतना ही नहीं पहली देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन भी इसी लाइन ( कालका-शिमला) में चलाई जाएगी.
माथेरान लाइट रेलवे यानी खिलौना रेल
मध्य रेलवे की ‘माथेरान लाइट रेलवे’ को खिलौना रेल भी कहा जाता है. यह मुंबई से लगभग 90 किमी दूरी पर स्थित नरेल से प्रारंभ होकर माथेरान तक जाती जाती है. लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह रेल लाइन 121 छोटे-बड़े पुलों गुजरती है. इस रेलमार्ग में एक मात्र सुरंग है जो किस सुरंग के नाम से प्रसिद्ध है. छह कोच वाली माथेरान रेल 12 किमी/घंटा से गति से 20 किमी की दूरी लगभग दो घंटे में पूरी करती है. इस रेल लाइन पर तीन स्टेशन-जुमापट्टी, वाटर पाइर और अमन लॉज है.
96 किमी. लंबी है कालका शिमला रेल लाइन
पर्वतीय रेल सेवाओं में से कालका-शिमला रेल सेवा एक फेमस रे लाइन है. इसे भी ट्वाय ट्रेन कहा जाता है. अनेक घुमावदार ट्रैक से गुजरने वाली यह रेल सेवा पर्यटकों के लिए खास है. यूनेस्कों ने इस रेल सेवा को नवंबर 2008 में अपनी विश्व हेरीटेज साइट की सूची में शामिल कर लिया है. यह रेल लाइन 96 किमी. लंबी है.
दार्जिलिंग हिमालयन रेल पहली हिल रेलवे
यह रेल लाइन देश की पहली ‘हिल रेलवे’ है.यह ट्रेन पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच चलाई जाती है. इस रेलमार्ग की कुल लंबाई 88 किमी. है। शुरू में इसे ‘दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे’ के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम बदलकर ‘दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे’ कर दिया गया. इस रेलमार्ग की सिलीगुड़ी में ऊंचाई 100 मीटर है जबकि दार्जिलिंग में इसकी 2,200 मीटर है. यूनेस्कों ने 2 दिसम्बर1999 में अपनी विश्व हेरीटेज साइट में शामिल कर लिया है.
Location :
Shimla,Himachal Pradesh
First Published :
January 27, 2025, 07:10 IST