न ड्यूटी रूम न अटैच्ड टॉयलेट, हॉस्पिटल में कितने अनसेफ डॉक्टर्स? जानें सर्वे

2 weeks ago

नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल कांड से डॉक्टरों की सुरक्षा का विषय फिर चर्चा में है. सड़कों पर छोड़िए, अस्पतालों में भी डॉक्टर सेफ नहीं हैं. खुद आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टडी में यह बात सामने आई है. आईएमए की स्टडी की मानें तो रात की शिफ्ट में उनके एक तिहाई डॉक्टर, जिनमें ज्यादातर लेडी डॉक्टर हैं, काफी अनसेफ फील करती हैं. आईएमए का कहना है कि 3,885 डॉक्टरों में 35 फीसदी से अधिक डॉक्टर (ज्यादातर लेडी डॉक्टर) रात की शिफ्ट में अनसेफ या बहुत अनसेफ महसूस करते हैं. इतना ही नहीं, कुछ डॉक्टरों ने तो यह भी कहा कि उन्हें सेल्फ डिफेंस के लिए हथियार रखने की भी जरूरत महसूस हुई.

दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर की घटना के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक सर्वे कराया है. इस सर्वे में डॉक्टरों से नाइट शिफ्ट की परेशानियों और सुरक्षा चिंताओं को लेकर सवाल किए गए थे. सर्वे में यह बात सामने आई कि 45 प्रतिशत डॉक्टरों ने बताया कि नाइट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम नहीं मिलता था. कुछ डॉक्टरों ने कहा कि वे चाकू भी रखते हैं.

आईएमए का दावा है कि इस सर्वे में 3,885 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया और यह संगठन की ओर से किया गया अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है. रिसर्च सेल केरल स्टेट आईएमए के चेयरमैन डॉ. राजीव जयदेवन और उनकी टीम द्वारा तैयार किए गए इस सर्वे के नतीजों को आईएमए के केरल मेडिकल जर्नल के अक्टूबर 2024 अंक में प्रकाशन के लिए मंजूरी मिल गई है. सर्वे में शामिल लोग 22 से अधिक राज्यों से थे. इनमें से 85 प्रतिशत की उम्र 35 साल से कम थी, जबकि 61 प्रतिशत इंटर्न या पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर थे. सर्वे में महिलाओं की संख्या 63 प्रतिशत रही. यह एमबीबीएस के कुछ कोर्स में महिला-पुरुष के अनुपात के बराबर है.

सर्वे की मानें तो अस्पतालों में 24.1 फीसदी डॉक्टरों ने खुद को असुरक्षित और 11.4 फीसदी डॉक्टरों ने खुद को बहुत असुरक्षित महसूस करने की बात कही है. इस तरह से एक तिहाई डॉक्टर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. असुरक्षित महसूस करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है. हालांकि, 20 से 30 साल के डॉक्टरों में यह डर कम था. इस ग्रुप में अझिकत इंटर्न और पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर शामिल हैं. 45 प्रतिशत डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें नाइट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम नहीं मिलता. जिन डॉक्टरों को ड्यूटी रूम मिला था, उनमें सुरक्षा की भावना अधिक देखने को मिली.

सर्वे में डॉक्टरों ने बताया कि कुछ ड्यूटी रूम ऐसे होते थे, जहां अक्सर भीड़ होती है, प्राइवेसी की कमी होती है. कुछ जगहों पर तो दरवाजे में ताले भी नहीं होते. इस वजह से डॉक्टरों को आराम करने के लिए रात में दूसरी जगह देखनी पड़ती थी. एक तिहाई ड्यूटी रूम में तो बाथरूम तक नहीं था. इतना ही नहीं, आधे से अधिक (53 फीसदी) मामलों में ड्यूटी रूम वार्ड या कैजुअल्टी एरिया से काफी दूर थे. करीब एक-तिहाई ड्यूटी रूम में अटैच्ड बाथरूम नहीं थे. इसका मतलब है कि डॉक्टरों को देर रात इन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए बाहर जाना पड़ता था.

डॉक्टरों ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए हैं. इनमें ट्रेंड सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना, पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करना, केंद्रीय सुरक्षा कानून (सीपीए) लागू करना, दर्शकों की संख्या को सीमित करना, अलार्म सिस्टम लगाना और ताले वाले सुरक्षित ड्यूटी रूम जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं. डॉ. जयदेवन ने बताया कि ऑनलाइन सर्वे गूगल फॉर्म के जरिए भारत भर के सरकारी और निजी, दोनों तरह के डॉक्टरों को भेजा गया था. 24 घंटे के अंदर 3,885 डॉक्टरों के जवाब मिले.

Tags: Doctor murder, Doctors strike, Indian Medical Association, Kolkata News

FIRST PUBLISHED :

August 30, 2024, 11:32 IST

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