नीतीश ने BJP के साथ ही 'अड्डी' क्यों गाड़ ली, साइलेंट तेवर कब होगा वाइब्रेंट?

2 weeks ago

हाइलाइट्स

हिंदुत्व के अपने कोर एजेंडे पर बढ़ रही बीजेपी पर नीतीश कुमार ने साधा है मौन. भगवा और वक्फ बोर्ड जैसे मुद्दों पर भी नीतीश कुमार की पार्टी का बैलेंस व्यवहार.

पटना. बिहार एनडीए की हाल की राजनीति देखेंगे तो दो बातें साफ तौर पर दिखती है कि बीजेपी अपने कोर एजेंडों पर लगातार काम कर रही है, वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू इसपर बिल्कुल ही बैलैंस एक्ट कर रही है. दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार का वह बयान भी बार-बार गूंजता रहता है जो हर दस दिन में वह आजकल जरूर दोहरा देते हैं कि इस बार वह इधर-उधर नहीं होंगे, बीजेपी के साथ ही रहेंगे. बिहार की राजनीति में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार ने बीजेपी के कोर एजेंडों के साथ समझौता कर लिया है या फिर कुछ और बात है?

दरअसल, हाल में गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर भी जेडीयू की ओर से उतना विरोध नहीं दिखा जैसा पहले हुआ करता था. भागलपुर में मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने की बात पर भी जेडीयू ने तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी. इससे पहले की राजनीति में ऐसा नहीं होता था और ऐसे मुद्दों पर जेडीयू मुखर विरोध करती थी. इसके भी आगे वक्फ संशोधन बिल पर भी जेडीयू एक प्रकार से केंद्र सरकार के सपोर्ट में खड़ी दिख रही है. खास बात नीतीश कुमार का लगातार आ रहा वह बयान भी है जिसमें वह कहते हैं कि बीजेपी के साथ ही रहेंगे.

नीतीश के मौन पर भी बैकफुट पर आई बीजेपी
बता दें कि विगत 18 अक्टूबर से लेकर 22 अक्टूबर तक मुस्लिम प्रभाव वाले 5 जिलों में जब गिरिराज सिंह ने हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाली तो जदयू की ओर से संयमित प्रतिक्रिया दी गई. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में किसी के स्वाभिमान को खतरा नहीं है. हालांकि, जेडीयू की ओर से मुखर विरोध तो नहीं हुआ, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी के साइलेंट प्रोटेस्ट पर ही भाजपा ने गिरिराज सिंह की यात्रा से कन्नी काट ली. इसके बाद गिरिराज सिंह की स्वाभिमान यात्रा का अगले चरण की घोषणा भी नहीं की गई है.

वक्फ बिल पर मुस्लिम संगठनों को नीतीश पर भरोसा
जाहिर है गिरिराज की यात्रा पर अघोषित बैन से बिहार की राजनीति की एक तस्वीर को तो दिखती ही है कि तमाम बातों के बावजूद नीतीश कुमार का मौन विरोध भी असर करता है. हालांकि, इसके पैरलल भाजपा अपने कोर एजेंडों पर आगे भी बढ़ रही है. वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर भी नीतीश कुमार की जेडीयू के रुख के खास मायने हैं. मुस्लिम संगठनों के नेता नीतीश कुमार से दो-तीन मुलाकातें कर चुके हैं, लेकिन इस पर जदयू की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, संसद में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के वक्तव्य से ऐसा लगता है कि जेडीयू केंद्र सरकार के साथ खड़ी है.

नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया का इंतजार किसको?
हालांकि, मुस्लिम संगठन यह लगातार कह रहे हैं कि वह नीतीश कुमार को इस मसले पर मनाएंगे और उनकी टिप्पणी भी आएगी. हालांकि, ऐसा लगता है कि वर्तमान राजनीति के तहत नीतीश कुमार इस पर खुले तौर पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं. इसके पीछे की वजह यह भी है कि केंद्र और बिहार, दोनों ही जगहों में जदयू और भाजपा की मिलीजुली सरकार है. लेकिन नीतीश कुमार की छवि चूंकि सबको साथ लेकर चलने की रही है और हिंदू-मुस्लिम राजनीति से उनका हमेशा से परहेज रहा है, ऐसे में कहा जा रहा है कि समय आने पर नीतीश कुमार स्वयं और उनकी पार्टी भी इस पर कुछ प्रतिक्रिया अवश्य देगी.

भगवा लहराने पर दूर-दूर पास-पास की राजनीति
हाल में ही भागलपुर में मस्जिद पर भगवा लहराया गया तो बवाल मचा. तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरा, लेकिन जो आरोपी था उसको गिरफ्तार करवाया गया और नीतीश कुमार ने यह साफ संदेश दिया कि यहां हिंदू मुस्लिम की राजनीति नहीं चलेगी. लेकिन इसके साथ ही आपको यह भी देखना पड़ेगा कि भाजपा और उसके समर्थित लोग अपने एजेंडे को भी बढ़ा रहे हैं. वहीं नीतीश कुमार भी दूर-दूर पास पास वाली राजनीति पर आगे बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि इस सियासत के कई मायने पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय प्रकाश डालते हैं.

नीतीश कुमार तो अब भी दिखा रहे हैं ‘साइलेंट तेवर’
रवि उपाध्याय कहते हैं, नीतीश कुमार इस बात को समझ रहे हैं कि उनके क्या करना है. सामने उपचुनाव है और आने वाले समय में विधानसभा चुनाव भी है. जैसे ही उपचुनाव खत्म होगा इसके बाद विभिन्न मामलों पर अपना स्टैंड क्लियर कर सकते हैं. नीतीश कुमार सबको साथ लेकर चलने की नीति पर चलते हैं. हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर भी नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से विरोध हुआ है और कहा गया कि बिहार में इस यात्रा की जरूरत नहीं है यहां सबका स्वाभिमान सुरक्षित है. जाहिर है बिहार में. साइलेंट तेवर नीतीश अब भी दिखा रहे हैं, इसलिए बीजेपी चेत जाती है.

नीतीश झुके पर केंद्र भी नीतीश के आगे नतमस्तक!
रवि उपाध्याय कहते हैं कि आप इसको ऐसे समझ सकते हैं कि नीतीश कुमार सामने से नहीं, लेकिन बैकडोर से अपनी ही चला रहे हैं. गिरिराज सिंह की यात्रा से बीजेपी ने किनारा किया और अगले फेज के लिए अभी कोई प्रोग्राम नहीं है. नीतीश कुमार भी यह जानते हैं कि अभी केंद्र सरकार के लिए नरेंद्र मोदी की भाजपा में बड़े स्टेक होल्डर नीतीश कुमार ही हैं. नीतीश कुमार को साथ रखना जरूरी तो है ही साथ ही मजबूरी भी है. नीतीश कुमार की हर बात को मानना इसी जरूरी और मजबूरी का हिस्सा है. हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने जो भी डिमांड केंद्र के समक्ष रखी है वह पूरी की गई है.

नीतीश की राजनीति चंद्रबाबू से बिल्कुल अलग
रवि उपाध्याय कहते हैं कि राजनीतिक का मतलब अवसर होता है. नीतीश कुमार की यूएसपी सबको साथ लेकर चलने की रही है. इस लिहाज से 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले स्टैंड लेते हुए दिखाई पड़ सकते हैं. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक परिस्थिति में अंतर है. यहां मुसलमानों की बड़ी आबादी है और बिहार में मुसलमानों का नीतीश कुमार पर विश्वास और भरोसा है. कब्रिस्तान की घेराबंदी हो या फिर उर्दू शिक्षकों की बहाली… मुसलमानों का बड़ा तबका यह नहीं भूलेगा. साथ ही नीतीश कुमार अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए इस बड़े वर्ग को दरकिनार तो बिल्कुल ही नहीं करेंगे.

नीतीश के मौन तेवर का सियासी सबब भी तो समझिये
रवि उपाध्याय कहते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार की राजनीति को ऐसे भी समझ सकते हैं कि मुसलमानों को कमल से परहेज जरूर होता है, लेकिन जहां भी जेडीयू तीर का उम्मीदवार होता है, उसे मुसलमानों के बड़े तबके का समर्थन मिल जाता है. अभी नीतीश कुमार के तेवर तल्ख नहीं हैं, क्योंकि वह बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. वर्तमान में विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी है इसलिए अभी ‘मौन तेवर’ है. नीतीश को यह पता है कि फिलहाल बीजेपी के साथ आगे बढ़ने पर उनकी राजनीति को नई रफ्तार मिल पाएगी. जैसे ही उनको (नीतीश कुमार को) अवसर मिलेगा यह ‘साइलेंट तेवर’ वाइब्रेंट हो सकता है, नीतीश कुमार सिर्फ अवसर की ताक में हैं.

Tags: Bihar NDA, Bihar News, Bihar politics, CM Nitish Kumar

FIRST PUBLISHED :

November 5, 2024, 16:45 IST

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