Hungary ICC exit: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कई कारणों से चर्चा में रहते हैं. लंबे समय से वे गाजा वार को लेकर केंद्र में रहे. अमेरिका से रिश्ते और फिर मिडिल ईस्ट में तनाव.. इन सबके बीच नेतन्याहू को हाल ही में हंगरी में रेड कार्पेट वेलकम दिया गया. खास बात है कि नेतन्याहू के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ICC ने वॉरंट जारी कर रखा है इसके बावजूद हंगरी ने ICC के आदेश को नजरअंदाज करते हुए उन्हें पूरा राजकीय सम्मान दिया. इसके बाद हंगरी की सरकार ने अब अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है. अगर हंगरी इस फैसले को अमलीजामा पहनाता है तो वह ICC से बाहर निकलने वाला तीसरा देश बन जाएगा.
हंगरी बाहर निकलने जा रहा..
दरअसल ICC की स्थापना 2002 में हेग में हुई थी जिसका मकसद युद्ध अपराधों मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार जैसे गंभीर मामलों की सुनवाई करना है. हंगरी ने 1999 में इस कोर्ट की आधारशिला रखने वाले रोम स्टैच्यूट पर हस्ताक्षर किए थे और 2001 में इसे औपचारिक रूप से स्वीकार किया था. अब जब हंगरी इस संस्था से बाहर निकलने जा रहा है तो उसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव को इसकी सूचना देनी होगी और यह प्रक्रिया एक साल में पूरी होगी.
जिम्मेदारी खत्म नहीं होती..
न्यूज एजेंसी ने बताया कि हालांकि कोर्ट से बाहर निकलने का ऐलान करने से हंगरी की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. यूनिवर्सिटी ऑफ एम्स्टर्डम के प्रोफेसर गोरन स्लुटर के मुताबिक जब तक हंगरी आधिकारिक रूप से सदस्य बना रहेगा उसे चल रही जांचों और गिरफ्तारियों में सहयोग देना होगा. इसमें नेतन्याहू की गिरफ्तारी भी शामिल है. हंगरी के डिप्टी पीएम जोल्ट सेम्जेन ने संसद में इस फैसले के लिए विधेयक पेश कर दिया है जिसके पास होने की पूरी संभावना है.
ICC ने फैसले की आलोचना की..
उधर ICC ने हंगरी के इस फैसले की आलोचना की है. कोर्ट के प्रवक्ता ने कहा कि हंगरी की जिम्मेदारी अभी भी बनी हुई है और उसे सहयोग करना चाहिए. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी कहा कि हंगरी के पास अब भी नेतन्याहू को गिरफ्तार करने का मौका है भले ही वह कितना भी असंभव क्यों न लगे. संगठन ने बाकी ICC सदस्य देशों और खासतौर पर यूरोपीय यूनियन से हंगरी पर दबाव डालने की अपील की है. यदि हंगरी ICC से बाहर निकलता है तो वह यूरोपीय यूनियन का पहला ऐसा देश होगा.