Last Updated:April 11, 2025, 16:26 IST
Former CJI DY Chandrachud News: पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मुताबिक, उन्हें अपनी बेटियों के लिए ढंग का घर खोजने में बड़ी दिक्कत हो रही है. पूर्व सीजेआई की दो दिव्यांग बेटियां हैं.

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का परिवार (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
पूर्व CJI चंद्रचूड़ को दिल्ली में घर खोजने में दिक्कत हो रही है.30 अप्रैल तक चंद्रचूड़ को सरकारी आवास खाली करना है.चंद्रचूड़ की दोनों बेटियां दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं.नई दिल्ली: देश के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान बेहद निजी और भावुक अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि वो दिल्ली में अपने लिए ऐसा घर खोजने में नाकाम रहे हैं जो उनकी दो दिव्यांग बेटियों की जरूरतों को पूरा कर सके. 30 अप्रैल तक उन्हें सरकारी आवास खाली करना है, लेकिन अब तक उन्हें उपयुक्त घर नहीं मिला है. दिल्ली में ‘Mission Accessibility’ द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में बोलते हुए पूर्व CJI ने कहा, ‘हमारी दो खूबसूरत बेटियां हैं, जिनकी विशेष जरूरतें हैं. लेकिन हर सार्वजनिक जगह एक जैसी है. हमारी समाज ने दिव्यांगजनों को लंबे समय तक अनदेखा किया है.’ उनकी बेटियां* प्रियांका और माही nemaline myopathy नामक एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित हैं.
मां ने छोड़ दिया था, जस्टिस चंद्रचूड़ ने लिया गोद
पूर्व चीफ जस्टिस ने बताया कि जब वो इलाहाबाद हाईकोर्ट में थे, तब उन्होंने इन बेटियों को गोद लिया था. पूर्व सीजेआई ने याद किया, ‘जब पहली बार देखा, तो वो हड्डी और मांस का ढांचा मात्र थीं. मां ने उन्हें छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि ये बेटियां जिंदा नहीं रहेंगी.’ उन्होंने एक मार्मिक घटना भी साझा की, जब बड़ी बेटी ने अपनी छोटी बहन को दर्दनाक टेस्ट से बचाने की गुहार की थी. ‘मेरी बड़ी बेटी बार-बार कह रही थी- मैं नहीं चाहती मेरी बहन को ये सब सहना पड़े.’
चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे उनकी बेटियों ने उनके जीवन को नया नजरिया दिया. उन्होंने उन्हें वीगनिज़्म (veganism) अपनाने, जानवरों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की राह दिखाई.
पूर्व CJI ने सुप्रीम कोर्ट में Mitti Café की शुरुआत की, जहां दिव्यांगजनों को नौकरी दी जाती है. उन्होंने कहा, ‘हमने दिखाया कि दिव्यांग होना कोई बाधा नहीं. वो सेवा देने में भी सक्षम हैं, केवल सेवा लेने वाले नहीं.’ उन्होंने RPWD (दिव्यांग अधिकार अधिनियम) कानून की समीक्षा की ज़रूरत पर भी जोर दिया. उनका कहना था कि अब रोज़गार निजी क्षेत्र की ओर जा रहा है, ऐसे में कानून को समय के साथ बदलना होगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 11, 2025, 16:25 IST