Last Updated:June 21, 2025, 16:14 IST
Babbar Khalsa Terrorists: बब्बर खासला के एक आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश करके पुलिस ने 6 महंगी ग्लॉक पिस्तौलों को बरामद किया है. इसके साथ ही आतंकियों की ग्लॉक पिस्तौल के लिए दीवानगी सामने आई है.

बब्बर खालसा के आतंकियों को ग्लॉक पिस्टल बहुत पसंद है. (Image:Reuters)
चंडीगढ़. अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस को बड़ी सफलता हासिल हुई है. पुलिस ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. जिसका संचालन ब्रिटेन स्थित हैंडलर धरम सिंह उर्फ धर्म संधू द्वारा किया जा रहा था. जो पाकिस्तान स्थित आतंकी हरविंदर रिंदा का करीबी सहयोगी है. इस मामले में एक स्थानीय ऑपरेटिव ओंकार सिंह को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने 6 अत्याधुनिक पिस्तौलें बरामद की हैं. इनमें 4 ग्लॉक 9MM पिस्टल और 2 PX5 (.30 बोर) के हथियार हैं. इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की गई है और व्यापक नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है.
ग्लॉक पिस्टल इतनी पापुलर क्यों?
ग्लॉक पिस्टल वजन में हल्का और निशाने में अचूक हथियार है. इसलिए इसे सेना में भी इस्तेमाल किया जाता है. सेना के साथ आम लोगों के लिए भी इस पिस्टल को बेचा जाता है. इसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. मगर आतंकी संगठन इसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रास्ते तस्करी करके लाते हैं. इसे आतंकी संगठनों के बीच एक स्टेटस सिंबल भी माना जाने लगा है. इसलिए खालिस्तानी आतंकी संगठन हों या कोई दूसरे माफिया अपराधी संगठन, उनके लिए ग्लॉक पिस्टल के समान कोई दूसरा उपयोगी हथियार नहीं है. इसलिए वे इसे महंगे दामों पर खरीदने में भी कोई कोताही नहीं बरतते हैं.
ग्लॉक पिस्टल का दाम?
ग्लॉक पिस्टल को ऑस्ट्रिया की एक कंपनी ग्लॉक वेपन बनाती है. ये मिलिट्री कैटेगरी की सबसे छोटी पिस्टल मानी जाती है. ऑस्ट्रिया के साथ अमेरिका, इंग्लैंड और भारत समेत दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में सुरक्षा बल इसका उपयोग करते हैं. ग्लॉक पिस्टल को पॉलीमर से बनाया जाता है. इसलिए ये वजन में बहुत हल्की होती हैं. ग्लॉक पिस्टल में एक मैगजीन में 17 गोलियां होती हैं. इसका दाम 40 से 70 हजार होता है लेकिन ब्लैक मार्केट में इसकी कीमत 2 लाख रुपये तक पहुंच जाती है.
आतंकियों को इतनी पसंद क्यों?
ग्लॉक पिस्टल को सेना और पुलिस के साथ आतंकियों के बीच इतनी ज्यादा लोकप्रियता इसलिए हासिल है क्योंकि ये हथियार संभालने, इस्तेमाल करने में आसान है. इसे छुपाना भी काफी आसान होता है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों होती हुई ग्लॉक पिस्टल भारत में आतंकियों के हाथों में पहुंच जाती है. इसके अचूक निशाने और हल्के होने के साथ ही एक मैगजीन में 17 गोलियां होने के कारण इसे बार-बार लोड नहीं करना होता है. इसलिए आतंकियों की पहली पसंद ग्लॉक पिस्टल बनती जा रही है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...
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