बिबेक देबरॉय: बांग्लादेश से आए दादा-दादी,बाद में पोता बना टीम मोदी का 'चाणक्य'

3 weeks ago

नई दिल्ली: आर्थिक मोर्चे पर टीएम मोदी का चाणक्य अब इस दुनिया में नहीं रहा. वह शख्स अब हमारे बीच नहीं रहा, जिसने गरीबी के नए पैमाने की वकालत की थी. जिसने अपने सुझावों से रेलवे को फायदा पहुंचाया. जिसने भारत की तस्वीर बदलने में बड़ी भूमिका निभाई. जी हां, हम बात कर रहे हैं मशहूर अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का. बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बिबेक देबरॉय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख थे. यूं कहिए कि आर्थिक मोर्चे पर टीम मोदी के चाणक्य ही थे.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चीफ बिबेक देबरॉय दिल्ली एम्स में भर्ती थे. पीएम मोदी ने अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि अपने कार्यों के माध्यम से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी. वह उच्च कोटि के विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, आध्यात्मिकता जैसे अन्य विषयों पर महारत रखते थे. बता दें कि वह गरीबी नए पैमाने की वकालत करते थे. उन्होंने रेलवे में भी कई अहम सुझाव दिए थे. कुछ को मोदी सरकार ने लागू भी किया.

25 जनवरी 1955 को बिबेक देबरॉय का जन्म मेघालय के शिलांग में हुआ था. बिबेक देबरॉय ने नरेंद्रपुर के रामकृष्ण मिशन स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की. कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और फिर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी. वह पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के चांसलर भी रह चुके थे. वह कानूनी सुधारों पर वित्त मंत्रालय/यूएनडीपी परियोजना के निदेशक भी रहे.

जब मोदी सरकार ने योजना आयोग के बदले नीति आयोग लेकर आई तब वह देबरॉय को स्थायी सदस्य बनाया गया था. देबरॉय 2015 से 2019 तक नीति आयोग के स्थायी सदस्य रहे. इसके बाद वह पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के वह चेयरमैन बने. उनका काम भारत के आर्थिक मामलों पर पीएम मोदी को सुझाव देना था. इस तरह से वह आर्थिक मोर्चे पर मोदी टीम के चाणक्य थे. देबरॉय पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित थे. 5 जून 2019 तक वह नीति आयोग के सदस्य भी रहे.

सीएनबीसी की खबर के मुताबिक, वह कई पुस्तकों और लेखों के लेखक और संपादक थे और कई समाचार पत्रों के साथ सलाहकार/योगदानकर्ता संपादक भी थे. अर्थशास्त्री के साथ-साथ वह एक शानदार लेखक भी थे. उन्होंने महाभारत, रामायण और भगवद् गीता का संस्कृति से अंग्रेजी अनुवाद भी किया था.  उनके दादा-दादी बांग्लादेश से भारत आए थे. देबरॉय के पिता भारत सरकार की इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस में काम करते थे.

Tags: Delhi news, India news

FIRST PUBLISHED :

November 1, 2024, 12:03 IST

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