भारत और चीन के वॉरशिप एक ही दिन कोलंबो पहुंचे:INS मुंबई पर 410 क्रू मेंबर्स, ड्रैगन के 3 जंगी जहाजों पर 1473 लोगों का स्टाफ

3 weeks ago

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक ही दिन भारत और चीन के 4 वॉरशिप पहुंचे। इसमें से भारत का एक और चीन के 3 वॉरशिप हैं। श्रीलंकाई वेबसाइट डेली मिरर के मुताबिक भारतीय वॉरशिप और चीनी वॉरशिप्स 3 दिन की यात्रा पर कोलंबो पहुंचे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नौसेना का वॉरशिप INS मुंबई पहली बार श्रीलंका पहुंचा है। श्रीलंकाई नौसेना ने इसका स्वागत किया। ये इस साल आठवीं बार है जब किसी इंडियन शिप ने श्रीलंका का दौरा किया है।

चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना के तीन वॉरशिप हे फेई, वुझिशान और किलियानशान भी सोमवार सुबह ऑफिशियल विजिट पर कोलंबो पोर्ट पहुंचे।

INS मुंबई श्रीलंका के किसी पोर्ट पर पहली बार पहुंचा है। वह यहां पर 3 दिनों तक ठहरेगा।

INS मुंबई श्रीलंका के किसी पोर्ट पर पहली बार पहुंचा है। वह यहां पर 3 दिनों तक ठहरेगा।

कई कार्यक्रमों में भाग लेगा INS मुंबई
INS मुंबई 163 मीटर लंबा वॉरशिप है जिस पर 410 क्रू मेंबर्स हैं। यह जहाज डोर्नियर टोही शिप के लिए जरूरी पार्ट्स लेकर पहुंचा है। भारत ने अगस्त 2022 में श्रीलंका की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए डोर्नियर टोही शिप गिफ्ट किया था।

INS मुंबई, श्रीलंकाई नौसेना के साथ कुछ आयोजन में हिस्सा लेगा। रिपोर्ट के मुताबिक वॉरशिप के क्रू मेंबर्स श्रीलंका के कुछ पर्यटन केंद्रों का भी दौरा करेंगे।

29 अगस्त को आईएनएस श्रीलंकाई जहाज के साथ 'पैसेज एक्सरसाइज' में भी भाग लेगा। INS मुंबई भारत का स्वदेशी वॉरशिप है, जिसे साल 2001 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

1473 क्रू मेंबर्स के साथ 3 चीनी वॉरशिप श्रीलंका पहुंचे
चीन के तीनों वॉरशिप श्रीलंकाई नौसेना के साथ अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। इसमें सबसे बड़ा 'हे फेई' है। इसकी लंबाई 144.50 मीटर है, जिस पर 267 सदस्य क्रू मेंबर्स हैं। वॉरशिप ​​​​​​ वुझिशान 210 मीटर लंबा है, जिस पर 872 क्रू मेंबर्स हैं। वहीं, किलियानशान 210 मीटर लंबा वॉरशिप है, जिस पर 334 क्रू मेंबर्स हैं।

द हिन्दू बिजनेसलाइन के मुताबिक दोनों देशों के वॉरशिप का एक ही दिन कोलंबो पोर्ट पर आना काफी अनोखा है। दरअसल भारत लंबे समय से श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंता जताता रहा है।

चीन खुफिया जहाज को रिसर्च शिप कहता है
पिछले साल भारत ने कहा था कि चीन अपने रिसर्च वैसल्स के जरिए भारत की जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद श्रीलंका ने सितंबर 2023 में चीन के जहाजों को अपने देश में रुकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुछ महीने पहले श्रीलंका ने ये रोक हटा दी थी।

चीन के पास कई जासूसी जहाज हैं। वो भले ही कहता हो कि वो इन शिप का इस्तेमाल रिसर्च के लिए करता है, लेकिन इनमें पावरफुल मिलिट्री सर्विलांस सिस्टम होते हैं। मालदीव और श्रीलंकाई बंदरगाह पर पहुंचने वाले चीनी जहाजों की जद में आंध्रप्रदेश, केरल और तमिलनाडु के कई समुद्री तट आ जाते हैं।

तस्वीर युआंग वांग 5 की है। चीन के पास ऐसे 7 जासूसी शिप हैं। इनसे वो प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर की निगरानी कर सकता है। ये लैंड बेस्ड कमांडिंग सेंटर को जानकारी भेजते हैं।

तस्वीर युआंग वांग 5 की है। चीन के पास ऐसे 7 जासूसी शिप हैं। इनसे वो प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर की निगरानी कर सकता है। ये लैंड बेस्ड कमांडिंग सेंटर को जानकारी भेजते हैं।

जासूसी जहाजों को चीन की सेना ऑपरेट करती है
जासूसी जहाजों को चीन की सेना ऑपरेट करती हैचीनी जासूसी जहाज पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। ये शिप जासूसी कर बीजिंग के लैंड बेस्ड ट्रैकिंग स्टेशनों को पूरी जानकारी भेजते हैं। चीन युआन वांग क्लास शिप के जरिए सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को ट्रैक करता है।

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स यानी SSF ऑपरेट करती है। SSF थिएटर कमांड लेवल का ऑर्गेनाइजेशन है। यह PLA को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है।

चीन के जासूसी जहाज पावरफुल ट्रैकिंग शिप हैं। ये शिप अपनी आवाजाही तब शुरू करते हैं, जब भारत या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। शिप में हाईटेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। इससे यह 1,000 किमी दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है।

मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगा होता है। ये सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। यानी, एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।

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