नई दिल्ली: इस साल G7 की बैठक इटली में ही. भले ही भारत जी7 का सदस्य नहीं है, लेकिन विशेष आमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल होने के लिए इटली गए थे. इस बैठक में भारत एक प्लान पर मुहर लगी है. दरअसल पिछले साल सितंबर के महीने में जब भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी. इस दौरान भारत की ओर से ऐसा प्रस्ताव पेश किया किया था. इसी को G7 में मंजूरी मिल गई है.
दरअसल जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने एक वैश्विक आर्थिक गलियारे का प्रस्ताव रखा था. ये एक तरह से भारत के पुराने ‘मसाला रूट’ को रिवाइव करने की कवायद है. जी20 में पारित ‘भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर’ (IMEC) को लेकर जी7 देशों ने प्रतिबद्धता जताई गई है.
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क्या है IMEC?
IMEC एक कनेक्टिविटी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत, अरब प्रायद्वीप, भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोप के बीच व्यापार को बेहतर बनाने और संभावित रूप से अफ्रीकी महाद्वीप तक अधिक पहुंच खोलने के लिए एक कॉरिडोर है. इसमें बुनियादी ढांचे, बंदरगाह, रेलवे, सड़कें, समुद्री लाइनें और पाइपलाइन विकसित करना शामिल है.
IMEC के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर सितंबर 2023 में नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फ्रांस, जर्मनी, इटली, अमेरिका और EU द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. MoU पर हस्ताक्षर करने वालों के अलावा, इज़राइल और ग्रीस ने भी इसमें शामिल होने के बारे में उत्साह व्यक्त किया है.
चीन कैसे है चुनौती?
IMEC को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के सामने रणनीतिक प्रभाव हासिल करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों द्वारा एक पहल के रूप में भी देखा जाता है, जिसे पारदर्शिता की कमी और राष्ट्रों की संप्रभुता की अवहेलना के लिए बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ा है.
भले ही अमेरिका BRI के जवाब में IMEC को आगे बढ़ा रहा है, लेकिन IMEC के प्रस्तावित मार्ग पर चीन का पहले से ही काफी प्रभाव है. IMEC में एक महत्वपूर्ण कड़ी ग्रीक बंदरगाह पीरियस है, जो पूर्वी यूरोप का सबसे बड़ा बंदरगाह है. जो इज़राइल के हाइफ़ा बंदरगाह से आने वाले कार्गो को प्राप्त करेगा. चीनी शिपिंग कंपनी कॉस्को 2016 से बंदरगाह में बहुसंख्यक हिस्सेदार है, जब ग्रीक सरकार ने कंपनी को दो-तिहाई हिस्सेदारी बेची थी. इस प्रकार, कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के अनुसार, इस चीनी कंपनी के पास बंदरगाह का भविष्य तय करने और घाटों और टर्मिनलों को नियंत्रित करने की सभी शक्तियां हैं.
चीन और अरब खाड़ी के बीच गहरे वित्तीय संबंध IMEC के भविष्य को सीमित कर सकते हैं. चीन और सऊदी अरब के बीच व्यापार 2022 में 106 बिलियन डॉलर से अधिक था, जो अमेरिका-सऊदी व्यापार के मूल्य से लगभग दोगुना है. चीन ने सऊदी अरब के सबसे बड़े बंदरगाह रेड सी गेटवे टर्मिनल में 20% की अल्पमत हिस्सेदारी भी हासिल कर ली है. अकेले 2022 में गैर-तेल चीन-यूएई व्यापार का मूल्य 72 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, और चीन पहले ही कई विकास योजनाओं में निवेश कर चुका है. इसलिए IMEC के लिए चीन एक चुनौती के रूप में है.
Tags: G7 Meeting, PM Modi
FIRST PUBLISHED :
June 16, 2024, 13:43 IST