Last Updated:December 12, 2025, 14:44 IST
When Delhi Became Capity City Of India: दिल्ली आज ही के दिन देश की राजधानी बनी थी. अंग्रेजों ने देश की बागडोर को अपने कब्जे में लेने के लिए कोलकाता से दिल्ली राजधानी स्थानांतरित किया था. जॉर्ज पंचम की घोषणा के बाद भी मुगलों की तंग गलियों वाली दिल्ली को देश की राजधानी बनाना आसान नहीं था. मगर, अंग्रेज के इस सपने को मशहूर आर्किटेक्ट सर एडविन लुट्यंस ने तैयार किया. इसे तैयार करने में 20 साल लगे. आज भी इनके द्वारा तैयार किए गए दिल्ली को लुट्यंस की दिल्ली कहा जाता है. इसके छाप जब आप राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और इंडिया गेट की तरफ जाते हैं, तो दिखता है.
संसद और राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली का इलाका आजादी के समय. Delhi First Time Capital City Of India This Day: दिल्ली भारत की शान है. दिल्ली भारत की राजधानी है. लेकिन, क्या आपको पता है कि मुगलों के बाद दिल्ली भारत की राजधानी नहीं हुआ करती थी. भारत की राजधानी कोलकता हुआ करती थी. अंग्रेजों ने भारत की राजधानी को दिल्ली शिफ्ट किया था. किंग जॉर्ज V ने 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली को भारत की नेशनल कैपिटल घोषित किया, और नॉर्थ दिल्ली में किंग्सवे कैंप के पास निरंकारी कॉलोनी की तरफ बुराड़ी के पास बने कोरोनेशन पार्क में कोलकाता की जगह दिल्ली को बनाया. किंग जॉर्ज V का भारत के सम्राट के तौर पर राज्याभिषेक 12 दिसंबर, 1911 को हुआ और अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट कर दी. अंग्रेजों ने मुगल शासकों से दरबार या शाही तमाशे का कॉन्सेप्ट अपनाया और इस जगह को दरबार लगाने की जगह बनाया.
हालांकि, मुगल काल के होने नाते दिल्ली देश की पुराने शहरों में से एक था. यहां की तंग गलियों से देश (जिसमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल थे) पर शासन करना आसान नहीं थी. तब दिल्ली को एक नए शहर के रूम में विकसित करने के लिए दो मशहूर आर्किटेक्ट सर एडविन लुट्यंस (मुख्य आर्किटेक्ट) और सर हर्बर्ट बेकर (सहायक आर्किटेक्ट) बुलाया गया.
जब लुट्यंस को दिल्ली बनाने की जिम्मेदारी दी गई, तो उन्होंने कहा था, ‘मैं एक ऐसा शहर बनाऊंगा जो रोम और पेरिस को भी मात दे देगी. उनका कहना था कि नई दिल्ली पूरी तरह प्लान्ड हो.कोई पुरानी तंग गलियां नहीं होंगी. उन्होंने नई दिल्ली को कुछ इसी प्रकार डिजाइन किया, जिसे हम आज भी देख सकते हैं. आज भी इस क्षेत्र में घुसने के बाद अलग ही एहसास होता है.
उनकी डिजाइन की प्रमुख खासियतें कुछ इस प्रकार थी, जिसे आप आज 113 साल बाद भी देख सकते हैं-
रायसीना हिल (किंग्सवे)
आज का राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट वाला इलाका लुट्यंस ने इसे ऊंचाई पर बनाया ताकि दूर से दिखे, मतलब पावर का प्रतीक दो किलोमीटर लंबी किंग्सवे (अब कर्तव्य पथ). इसके दोनों तरफ लाल बलुआ पत्थर की इमारतें बनी हुईंहेक्सागोनल प्लान (षट्कोणीय लेआउट)
लुट्यंस ने नई दिल्ली को छह कोनों वाले ग्रिड में बंटा दिया. इस नए शहर की चौड़ी सड़कें, गोल चौराहे और हर तरफ ग्रीन बेल्ट बनाया गया था. इस शहर की मुख्य सड़कें 100-200 फीट चौड़ी थीं, जो आज भी दिल्ली की सबसे चौड़ी सड़कें हैं.बंगला स्टाइल + इंडो-सारासेनिक मिश्रण
चूंकि लुट्यंस को भारतीय डिजाइन पसंद नहीं था, लेकिन दबाव में उन्होंने मुगल मेहराब, जाली, छतरी और जयपुर के गुलाबी पत्थर का मिश्रण कर बिल्डिंग का निर्माण किया. ये भवन ही राष्ट्रपति भवन है. इसमें 340 कमरे, 4 मंजिल, 700 फुट लंबा है. उस समय दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी निवास था.
इसे दो हिस्सों में बांटा गया
उत्तरी हिस्से में सरकारी इमारतें, जैसे कि सेक्रेटेरिएट (नॉर्थ और साउथ ब्लॉक) और संसद भवन बना. वहीं, दक्षिणी हिस्से में अधिकारियों के बंगले बनाए गए. इसमें 4000 से ज्यादा बंगले और हर एक में बगीचा बनाया गया.निर्माण में क्या-क्या हुआ
इसका निर्माण 1912-1931 तक चला यानी कि 19 साल तक चला. इसे बनाने में 30,000 मजदूर लगे. लागत: 14 मिलियन पौंड (उस समय की सबसे महंगी राजधानी). पूरा इलाका 85 वर्ग किमी में फैला है.1931 में उद्घाटन
20 फरवरी 1931 को वायसराय लॉर्ड इर्विन ने नई दिल्ली का औपचारिक उद्घाटन किया था. लुट्यंस ने इसके उद्घाटन में कहा कि मेरे जीवन का सबसे बड़ा काम है. आज भी जब आप कर्तव्य पथ पर खड़े होते हैं, तो इसके दाईं-बाईं लाल बलुआ इमारतें, सामने इंडिया गेट और पीछे राष्ट्रपति भवन सब लुट्यंस की ही देन है.
अंग्रेजों का ऐतिहासिक पार्क
इस पार्क में 1877 में, क्वीन विक्टोरिया को भारत की महारानी घोषित किया गया था. 1903 में, क्वीन विक्टोरिया के बेटे एडवर्ड VII का राज्याभिषेक दिल्ली दरबार में हुआ था. दोनों मौकों पर दिल्ली दरबार बुलाया गया, जो एक शानदार शो था. इसमें हैदराबाद के निजाम, भोपाल की बेगम, बड़ौदा के गायकवाड़ और कई और लोग नए शासकों का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे.
दिल्ली बनी भारत की राजधानी
12 दिसंबर 1911 को, 57 एकड़ की जगह पर तीसरा और आखिरी दिल्ली दरबार लगा, जिसमें खुद किंग जॉर्ज V शामिल हुए थे. सोने के सिंहासन पर, सोने की छतरी के नीचे, राजा ने भारत सरकार की सीट को कलकत्ता से पुरानी राजधानी दिल्ली में ट्रांसफर करने की घोषणा की. इसे मुगल बादशाहों की राजधानी शाहजहांबाद के दक्षिण-पश्चिम में बनाया गया था, और आखिरकार 12 दिसंबर 1911 को यह ब्रिटिश की राजधानी बन गई.
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दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
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December 12, 2025, 14:44 IST

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