अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमरेली के लाठी में उद्योगपति सवजीभाई ढोलकिया के बेटे की शादी में शामिल हुए. इस दौरान पीएम मोदी ने जाने-माने आध्यात्मिक गुरु और रामचरित मानस के प्रचारक मोरारी बापू से भी मुलाकात की और चर्चा की. इसके बाद मोरारी बापू का एक अहम बयान सामने आया है.
अकेले यात्रा का निर्णय: मोरारी बापू
मोरारी बापू ने कहा, “मैं केवल अपने त्रिभुवन दादा की पगड़ी, उनकी दी हुई पोथी और पादुका से जुड़ा हूं. मैं रामकथा का सार यानी सत्य, प्रेम और करुणा का संदेश लेकर दुनिया भर में अकेले घूमता हूं. मैं किसी समूह, पार्टी या संगठन से संबंधित नहीं हूं और हमेशा अकेले यात्रा करता हूं. मैंने हमेशा सभी के साथ एक ईमानदार दूरी बनाए रखी है.”
तलगाजर्दा में सभी का स्वागत
उन्होंने कहा, “यह (तलगाजर्दा) हनुमानजी का स्थान है और यहां कोई भी आ सकता है. मेरे मंच पर सभी का स्वागत है. सत्य, प्रेम और करुणा पर मेरा कोई एकाधिकार नहीं है. इस संदेश का उपयोग कोई भी कर सकता है.” वहीं, गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने सोनलबेन पटेल, इंद्रनील राज्यगुरु, प्रदीपभाई दवे, पंकजभाई पटेल और श्रुतिबेन के साथ तलगाजर्दा में मोरारी बापू से मुलाकात की थी. इसके बाद मोरारी बापू ने कहा था, “मुझे उनके कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है. मैं अपने मंच और तलगाजर्दा में सभी का स्वागत करता हूं.”
मोरारी बापू का परिचय
मोरारी बापू का जन्म 25 सितंबर 1946 को सौराष्ट्र के महुवा के पास तलगाजर्दा में एक वैष्णव बावा साधु निम्बार्क परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रभुदास हरियाणी और माता का नाम सावित्रीबेन था. उनके दादा त्रिभुवनदास को रामायण से अत्यधिक प्रेम था. मोरारी बापू का विवाह नर्मदा देवी से हुआ है, और उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. पहले वे परिवार के भरण-पोषण के लिए रामकथा से दान लेते थे, लेकिन 1977 से उन्होंने कोई दान न लेने का संकल्प कर लिया.
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FIRST PUBLISHED :
November 5, 2024, 14:46 IST