Last Updated:April 08, 2025, 12:28 IST
West Bengal SSC Jobs: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 2016 के SSC भर्ती पैनल को रद्द कर दिया, जिससे 25,753 नौकरियां रद्द हो गईं. सेताबुद्दीन और अन्य ने भ्रष्टाचार के खिलाफ केस किया...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा, 26 हजार नौकरियां रद्द.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 SSC भर्ती पैनल रद्द किया.25,753 नौकरियां रद्द, नई परीक्षा देनी होगी.भ्रष्टाचार के खिलाफ केस में फैसला बरकरार.मुर्शिदाबाद: हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. लगभग 26 हजार नौकरियां रद्द हो गईं. यह फैसला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार की बेंच ने दिया. पिछले साल अप्रैल में सेताबुद्दीन द्वारा किए गए केस में SSC की भर्ती में भ्रष्टाचार के चलते, 2016 के पूरे पैनल को रद्द करने का आदेश दिया था.
2016 के पूरे पैनल को किया गया रद्द
बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट के जज देबांशु बसाक और जज मोहम्मद सब्बर रशीदी की डिवीजन बेंच ने ग्रुप C, ग्रुप D, X-X, XI-XII की सभी भर्तियों, यानी 2016 के पूरे पैनल को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 25,753 शिक्षक और शिक्षाकर्मियों की नौकरियां चली गईं, वही फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. सेताबुद्दीन मुर्शिदाबाद के डोमकल, शिवनगर के नूतनपाड़ा के रहने वाले हैं. सेताबुद्दीन के अलावा कोतुलपुर, बांकुड़ा के मोइदुल इस्लाम, बारासात के शहादुल हक, मालदा के दिलदार अली ने नौकरी से वंचित होने पर केस किया. साल 2021 में ये केस कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुआ. इनमें से एक सेताबुद्दीन भी थे.
सेताब मेरिट में थे 140वें नंबर पर, फिर भी नहीं मिली नौकरी
सेताब शुरू से ही बहुत होशियार थे. बचपन से उनके आंखों में बड़े-बड़े सपने थे. वो टीचर बनना चाहते थे. साल 2016 में वो मेरिट लिस्ट में 140वें नंबर पर थे. फिर भी उन्हें नौकरी नहीं मिली. जबकि उनके नीचे वालों को मिल गई. इसी वजह से उन्होंने हाईकोर्ट में केस किया.
सेताबुद्दीन ने बताया कि जब हमने केस किया, तब हाईकोर्ट ने नौकरी रद्द कर दी, लेकिन राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. हम हमेशा चाहते थे कि जो योग्य हैं, वो ही रहें. जो अयोग्य हैं, उन्हें हटाया जाए, लेकिन सरकार और आयोग ऐसा नहीं चाहते थे. पैसे लेकर अयोग्यों को नौकरी दी गई. हम सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां झटका लगा. पूरा पैनल रद्द हो गया.
“विरोध ज़रूरी है, सरकार को झुकना होगा”
फिर भी हमें उम्मीद है कि परीक्षा दोबारा होगी. जो लोग योग्य हैं, उन्हें जरूर नौकरी मिलेगी. अगर OMR की हार्ड कॉपी होती, तो दोबारा परीक्षा देने की जरूरत नहीं पड़ती. सामान्य योग्य उम्मीदवारों को उम्मीद थी कि कोर्ट सख्त है, पर परीक्षा दोबारा नहीं होगी, लेकिन जो फैसला आया, उसमें कहा गया कि नई परीक्षा देनी होगी और उसी से नौकरी मिलेगी. इसलिए जिनकी नौकरी गई है, उन्हें दुखी नहीं होना चाहिए. सेताबुद्दीन का कहना है, अगर सब मिलकर जोरदार विरोध करें, तो राज्य सरकार को झुकना ही पड़ेगा.
First Published :
April 08, 2025, 12:28 IST