राख में दबी थी 80 साल पुरानी चीख; बाल से हुई लड़की की पहचान, हिरोशिमा बमबारी में गई थी जान

3 hours ago

Hiroshima Bombing: अगर आप के हाथ वो चीज लग जाए इसका आप सालों से इंतजार कर रहे हों तो आपको कैसा लगेगा? अक्सर खोई हुई चीजों को पाकर लोग काफी ज्यादा खुश हो जाते हैं. ऐसे ही एक मामले से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. हिरोशिमा शहर में 1945 में हुए भीषण बम धमाके की वजह से लाखों लोग मारे गए थे. उस समय 13 साल की एक बच्ची की भी मौत हो गई थी. जिसकी पहचान 80 साल बाद हो पाई है. ऐसा कैसे हुआ? जानते हैं पूरे मामले को विस्तार के साथ. 

लड़की की हुई पहचान
इसे लेकर अधिकारियों ने बताया कि लगभग आठ दशकों के बाद हिरोशिमा पर एटम बॉम्बिंग की विक्टिम के बाल और राख की पहचान एक 13 साल की लड़की के तौर पर हुई है. शहर के एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि यह पहली बार था जब DNA एनालिसिस से 6 अगस्त 1945 की बॉम्बिंग की विक्टिम की पहचान सफलतापूर्वक हुई थी.  उसकी पहचान तब कन्फर्म हुई जब उसके 60 साल के भतीजे शुजी काजियामा ने मई में हिरोशिमा अधिकारियों से कॉन्टैक्ट किया.

मिलाया गया DNA
भतीजे ने आगे बताया कि उन्हें पीस मेमोरियल पार्क में एक नाम दिखा जो उनकी जीवित बहन से मिलता-जुलता था. उन्हें शक हुआ कि नाम गलत दर्ज हो गया है. राख और बालों को लावारिस अवशेषों में मिचिको काजियामा के नाम से रखा गया था. बालों से DNA निकालकर कानागावा डेंटल यूनिवर्सिटी में टेस्ट किया गया. इसे हात्सुए की 91 साल की जीवित बहन के DNA से मिलाया गया. जिसके बाद उसकी पहचान हुई. 

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बना रहे हैं योजना
मुझे उम्मीद है कि हमारी जैसी ही स्थिति वाले दूसरे परिवारों को भी अपने प्रियजनों के अवशेष वापस मिलेंगे. परिजन उसके अवशेष वापस पाने के लिए अप्लाई करने की योजना बना रहे हैं. हिरोशिमा के अधिकारियों ने कहा कि वे बमबारी के और पीड़ितों की पहचान करने की उम्मीद में, रिक्वेस्ट करने पर सुरक्षित बालों का DNA टेस्ट करना जारी रखेंगे.

बमबारी में गई थी जान
Independent की रिपोर्ट के मुताबिक हात्सुए अपनी दादी के साथ दादी के साथ हिरोशिमा में रह रही थीं. 1945 में जब हिरोशिमा पर हमला हुआ तो उनकी जान चली गई. उनकी दादी और कई सहेलियां भी उनकी साथ मारी गईं. इस हमले में करीब 1.5 लाख लोग मारे गए थे.

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