रियल एस्टेट के लिए शानदार जगह... गाजा को लेकर फिर टपकी ट्रंप की लार, कह डाली बड़ी बात

1 week ago

Trump on Gaza: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर गाजा पर अपने नियंत्रण की बात दोहराई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को गाजा पट्टी का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेना चाहिए. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को 'बेहद महत्वपूर्ण और शानदार ज़मीन का टुकड़ा' बताते हुआ कहा था अमेरिका जैसे देश का वहां शांति बल बनकर मौजूद रहना अच्छा होगा.

फिलिस्तीनियों का क्या होगा?

ट्रंप ने यह भी सुझाव दिया कि गाजा में रहने वाले लगभग 20 लाख फिलिस्तीनियों को अन्य देशों में बसाया जा सकता है. उनके मुताबिक कई देश ऐसे हैं जो इन्हें अपनाने के लिए तैयार होंगे. हालांकि इस योजना को अरब देशों, खासकर मिस्र और जॉर्डन ने सख्ती से खारिज कर दिया है. इन देशों का कहना है कि वे फिलिस्तीनियों को अपने यहां बसाने के पक्ष में नहीं हैं.

नेतन्याहू ने नहीं किया सीधे समर्थन

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस योजना का सीधे समर्थन नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा कि गाजा को लेकर अब एक नया रास्ता अपनाने की जरूरत है. उन्होंने हमास के प्रभाव को खत्म करने की इजराइल की नीति को दोहराया और कहा कि वे गाजा के भविष्य को लेकर बातचीत के लिए तैयार हैं. नेतन्याहू ने यह भी बताया कि हमास के जरिए पकड़े गए बंधकों को छुड़ाने के लिए बातचीत जारी है और एक नई डील पर काम हो रहा है.

मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया

फ्रांस, जॉर्डन और मिस्र के नेताओं ने पहले ही एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि गाजा पर फिलिस्तीनी प्रशासन को नियंत्रण देना चाहिए. उन्होंने फिलिस्तीनी संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही और चेतावनी दी कि एकतरफा फैसले क्षेत्र को और अस्थिर कर सकते हैं.

इससे पहले क्या बोले थे ट्रंप

इससे पहले फरवरी में ट्रंप ने गाजा को एक आर्थिक हब बनाने का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा था कि अमेरिका वहां खतरनाक चीजों को हटाएगा, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगा और नौकरियां व घर बनाएगा. उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट बताया. अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर भी उन्होंने यही कहा था कि फिलिस्तीनियों को महफूज और आधुनिक इलाकों में बसाया जाएगा, साथ ही अमेरिका इस विकास को नेतृत्व देगा, बिना किसी सैन्य मौजूदगी के. हालांकि ट्रंप की इस योजना को अब तक भारी विरोध झेलना पड़ा है.

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