लद्दाख में बना 'मिनी मंगल', ISRO का हाई-ऑल्टिट्यूड एनालॉग मिशन ‘HOPE’ क्या है?

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Last Updated:August 02, 2025, 15:43 IST

ISRO HOPE Mission: ISRO का HOPE मिशन लद्दाख के त्सो कर में 10 दिन तक चलेगा. यहां मंगल जैसे एनवायरनमेंट में ट्रेनिंग दी जाएगी. इसका मकसद फिजिकल-मेंटल रिस्पॉन्स, मिशन प्रोटोकॉल और टेक्नोलॉजी को रियल कंडीशंस में ट...और पढ़ें

लद्दाख में बना 'मिनी मंगल', ISRO का हाई-ऑल्टिट्यूड एनालॉग मिशन ‘HOPE’ क्या है?HOPE : मंगल ग्रह जैसे वातावरण में इंसानी मिशन की तैयारी का अनोखा अभ्यास. (Photo : ISRO)

हाइलाइट्स

ISRO का HOPE मिशन लद्दाख में 10 दिन चलेगा.मिशन का मकसद फिजिकल-मेंटल रिस्पॉन्स टेस्ट करना है.HOPE मिशन मंगल जैसी कंडीशंस में ट्रेनिंग देगा.

नई दिल्ली: ISRO की नजरें अब ह्यूमन स्पेसफ्लाइट और मंगल मिशन पर हैं. चांद और मंगल की प्लानिंग अब सिर्फ रॉकेट से नहीं, रियल एक्सरसाइज से हो रही है. इसी सोच का हिस्सा है HOPE, एक हाई-ऑल्टिट्यूड एनालॉग मिशन. इसे 31 जुलाई को लद्दाख के त्सो कर (Tso Kar, Ladakh) में लॉन्च किया गया. ISRO चीफ डॉ. वी. नारायणन ने इसे इनॉगरेट किया. इस मिशन की ड्यूरेशन 10 दिन की है, 1 से 10 अगस्त तक. और इसकी लोकेशन है 4530 मीटर ऊंचाई वाला त्सो कर. ये जगह किसी दूसरी दुनिया जैसी लगती है. ठंड, कम ऑक्सीजन, सूखा एनवायरनमेंट. एकदम मंगल ग्रह जैसा.

क्या है HOPE मिशन का मकसद?

अब बात करें मिशन के गोल की. तो ये कोई रोवर भेजने वाला मिशन नहीं है. ये एक रियल-लाइफ ट्रेनिंग है, जिसमें इंसानों को स्पेस जैसी कंडीशंस में रखा जाएगा. ताकि देखा जा सके कि बॉडी और माइंड कैसे रिस्पॉन्ड करता है. ISRO इसे एक Mars Simulation Exercise मानता है. इसका फोकस है, ह्यूमन बॉडी की लिमिट्स को टेस्ट करना. मिशन प्रोटोकॉल को वेरिफाई करना. और टेक्नोलॉजी को प्रैक्टिकल कंडीशंस में चलाना.

Dr. V. Narayanan, Chairman, ISRO and Secretary, Department of Space, formally inaugurated ISRO’s high-altitude analog mission HOPE on 31st July 2025.
The mission is scheduled to be conducted from 1st to 10th August 2025 at Tso Kar, Ladakh (elevation: 4,530 metres).
Set in one of… pic.twitter.com/zMYeoBdUkT

लद्दाख में ‘मिनी मंगल’ है?

लद्दाख की ये जगह रॉ है, रफ है, और सुपर टफ है. कम ऑक्सीजन है. टेम्प्रेचर एक्स्ट्रीम है. मौसम अचानक बदलता है. यही सारी चीज़ें मंगल की सर्फेस से मैच करती हैं. NASA और ESA भी ऐसे एनवायरनमेंट्स में ट्रेनिंग करते हैं. और अब ISRO भी उसी रास्ते पर है. HOPE मिशन में जो एक्टिविटी होगी, वो बहुत टारगेटेड है.

फिजियोलॉजी एक्सरसाइज: पता लगाया जाएगा कि हाई ऑल्टिट्यूड पर बॉडी कैसे बिहेव करती है.

साइकोलॉजिकल चेक: टीमवर्क, स्ट्रेस मैनेजमेंट और डिसीजन मेकिंग को ऑब्जर्व किया जाएगा.

टेक्नोलॉजी टेस्ट: स्पेशल डिवाइसेज़, सूट्स, हेल्थ गियर… सब कुछ रियल सिचुएशन में टेस्ट किया जाएगा.

मिशन सिमुलेशन: इमरजेंसी सिचुएशन के लिए रेस्पॉन्स को भी मॉनिटर किया जाएगा.

ये पूरा मिशन एक साइलेंट लेकिन स्ट्रॉन्ग स्टेटमेंट है कि ISRO एक्शन मोड में है. गगनयान मिशन के साथ-साथ लूनर और मार्स मिशन भी प्रस्तावित हैं. लेकिन वहां जाने से पहले यहां ट्रेनिंग जरूरी है.

HOPE से क्या फायदा होगा?

HOPE से ISRO को दो फायदे होंगे. पहला- मिशन के लिए रियल डेटा मिलेगा. दूसरा- एक्सपर्ट्स को लाइव सिचुएशन में ट्रेनिंग. इससे जब इंडिया स्पेस में ह्यूमन भेजेगा, तो रिस्क कम होंगे. और हां, एक और बात. ये सिर्फ इंडिया के लिए नहीं, बल्कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर भी बड़ा स्टेप है. क्योंकि ऐसे मिशन ग्लोबली रेजिस्टर्ड होते हैं. ISRO की ये एक्सरसाइज इंडिया को उस क्लब में शामिल करती है, जो फ्यूचर एक्सप्लोरेशन की रेस में सबसे आगे हैं.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 02, 2025, 15:42 IST

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लद्दाख में बना 'मिनी मंगल', ISRO का हाई-ऑल्टिट्यूड एनालॉग मिशन ‘HOPE’ क्या है?

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