लिटिल ग्रोन-अप ट्रेंड से बदलें पैरेंटिंग स्टाइल

8 hours ago

नई दिल्ली(इंटरनेट डेस्क) विशाल यादव। हाल फिलहाल में आपने भी ऐसी रील्स या शॉर्ट वीडियोस जरूर देखी होंगी जिसमें छोटे छोटे चाइनीज बच्चे प्ले स्कूल में खेलने के बजाय कई तरह के काम करते दिख रहे हैं। इन कामों में खाना बनाने से लेकर साफ सफाई तक ऐसी एक्टिविटीज शामिल हैं। जिसमें छोटे बच्चे लहसुन छील रहे है, प्राइमरी स्कूल के बच्चे अपने हाथों से डम्पलिंग्स बना रहे है। जो उन्हें लाइफ के लिए स्किल्ड बना रही हैं। बच्चों को उनकी जिम्मेदारी सीखना और ऐक्टिविटीज के जरिए स्किल्स सीखना उनके डेवलपमेंट में भी अहम हिस्सा निभाता है। ये ट्रेंड अब इंटरनेशनल लेवल पर भी अटेंशन ले रहा है और लोग सोचने लगे हैं आखिर ऐसा हो क्या रहा है?


'Xiaozhi': चीन में शुरू हुआ 'लिटिल ग्रोन-अप' मूवमेंट

हाल ही में चीन में एक ऐस कल्चरल मूवमेंट बनता जा रहा है जिसमें सेल्फ-डिपेंडेंसी, डिसप्लिन और ग्रैटिटूड को जरूरी माना जा रहा है। इसको बढ़ावा देने के लिए पेरेंट्स, टीचर्स के साथ ही सरकार भी बच्चों को खुद के काम खुद करने की सीख दे रही है। इसे एक तरह से पेरेंट्स के लिए आभार जताने का तरीका भी माना जा रहा है। इस ट्रेंड को 'Xiaozhi' या 'लिटिल ग्रोन-अप' ट्रेंड कहा जा रहा है, जिसमें बच्चों को शुरू से ही लाइफ स्किल्स सिखाए जाते हैं। ये मूवमेंट सीधे तौर पर उस पुराने ट्रेंड के खिलाफ है जिसे 'Little Emperor Syndrome' कहा जाता था। जिसमें चाइना की वन-चाइल्ड पॉलिसी के चलते बच्चे ओवर-पैंपर्ड और अंडर-डिसिप्लिन्ड होते थे।

ऐसे आया यह बदलाव

1। पैरेंटिंग स्टाइल में बदला

मिलेनियल पेरेंट्स अब हाई-प्रेशर और सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करने वाले बचपन से हट रहे हैं। अब नानी और दादी पर डिपेंड होने की बजाय बच्चे खुद खाना बना रहे हैं, सफाई कर रहे हैं और घर की जिम्मेदारियों को समझ भी रहे हैं। जिससे उनमें इंडिपेंडेंस और इमोशनल इंटेलिजेंस डेवलप हो रही है।

2। सरकारी और एजुकेशनल सपोर्ट

2021 में चाइना के एजुकेशन मिनिस्ट्री ने labour education को स्कूलों में कंपलसरी कर दिया था। जिससे अब बच्चों को सिर्फ मैथ्स या साइंस में ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी ग्रेड मिलता है कि वो कितना अच्छा खाना बना सकते हैं या साफ-सफाई में कितने अच्छे हैं।

3। सोशल मीडिया का इफेक्ट

चाइना के Douyin (TikTok का वर्जन) जैसे प्लेटफॉर्म पर हजारों वीडियोज हैं। जिनमें बच्चे बड़ों जैसे काम कर रहे हैं। ये वीडियोज वायरल होते हैं और दूसरे पेरेंट्स को भी इंस्पायर करते हैं कि वो अपने बच्चों को ट्रेन्ड करें।

4। स्माल फैमिली और अर्बनिजैशन


अब जब दोनों पेरेंट्स वर्किंग होते हैं और घर में एक या दो ही बच्चे होते हैं, तो बच्चों का जिम्मेदार होना अब कोई एक्स्ट्रा चीज नहीं बल्कि जरूरत बन गई है।

दूसरे देश भी अपनाते है ऐसी पैरेंटिंग स्टाइल


जापान में बचपन से सीखाने लगते है अनुशासल

1। यहां पर स्कूल में बच्चे खुद क्लासरूम और वॉशरूम साफ करते हैं।
2। स्कूलों में कोई जेनिटर नहीं होता, सफाई को ही नैतिक शिक्षा का हिस्सा माना जाता है।
3। 6 साल के बच्चे अकेले स्कूल जाते हैं, ग्रोसरी शॉपिंग करते हैं और यहां तक कि ट्रेन से ट्रैवल भी करते हैं।

Netflix शो 'Old Enough!' में भी दिखाया गया है कि कैसे छोटे बच्चे अकेले बाहर जाकर एरंड्स कंप्लीट करते हैं। वहां बच्चों को ट्रस्ट और ऑटोनॉमी बहुत जल्दी दे दी जाती है।


साउथ कोरिया में स्ट्रक्चर्ड पर प्रेशर वाला माहौल

यहां बच्चे पढ़ाई को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हैं, लेकिन घर के कामों में भी उनका योगदान रहता है। बड़े भाई-बहनों की देखभाल, किचन में मदद करना कॉमन है। वहां भी बड़ों का सम्मान और अनुशासन कॉन्फ्यूशियस सोच का हिस्सा है, जो चाइनीज कल्चर से मेल खाता है।


स्कैंडेनेविया में फ्रीडम के साथ जिम्मेदारी भी

यहां के बच्चे बहुत जल्दी फ्रीडम पाते हैं, लेकिन उन्हें अपने फैसलों के नतीजे भी समझाए जाते हैं। पेरेंटिंग का तरीका डेमोक्रेटिक होता है लेकिन डिसिप्लिन में कोई समझौता नहीं किया जाता। यहां मकसद होता है बच्चों को सेल्फ इंडिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट बनाना।


इसलिए जरूरी है यह ट्रेंड

आज जब बच्चे स्क्रीन और ओवर-शेड्यूल्ड लाइफ में फंसे हैं, तब चीन, जापान या दूसरे देशों का ये झुकाव रियल वर्ल्ड स्किल्स की ओर एक जरूरी बदलाव है। बच्चों को खाना बनाना, सफाई करना और दूसरों की देखभाल करना सिखाना सिर्फ पेरेंट्स का बोझ हल्का करना नहीं है। ये उन्हें एक अनप्रेडिक्टेबल दुनिया के लिए तैयार करना है। इन जिम्मेदारियों से बच्चों में सेल्फ्कॉन्फिडन्स, विज्डम और रीयल लाइप अंडरस्टैंडिंग की समझ आती है। जो किसी भी किताबी ज्ञान से कहीं ज्यादा इंपॉर्टेंट है।

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