Last Updated:April 08, 2025, 09:53 IST
Waqf Law Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ कानून पर तत्काल सुनवाई की मांग की, लेकिन सीजेआई संजीव खन्ना ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया.

कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के सामने याचिकाओं की तत्काल लिस्टिंग की मौखिक रूप से मांग की.
हाइलाइट्स
वक्फ कानून पर तत्काल सुनवाई की मांग अस्वीकार.सीजेआई ने प्रोटोकॉल का हवाला देकर मौखिक निवेदन को नकारा.वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल.वक्फ कानून को लेकर देशभर में इन दिनों हंगामा मचा है. इस कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय के नेता और धर्मगुरु खास तौर से चिंता जता रहे हैं. संसद से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित होते ही इसकी संवैधानिक वैध्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जियों का अंबार लग गया. शीर्ष अदालत में सोमवार वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई, लेकिन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनकी एक न सुनी.
कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के सामने सभी याचिकाओं की तत्काल लिस्टिंग की मौखिक रूप से मांग की, लेकिन सीजेआई खन्ना ने साफ शब्दों में कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट में ‘तत्काल सुनवाई के लिए एक मजबूत और व्यवस्थित प्रणाली’ पहले से मौजूद है और मौखिक निवेदन की कोई आवश्यकता नहीं है.
सिब्बल की मांग और सीजेआई का जवाब
कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि उन्होंने याचिका की अर्जेंसी के लिए पत्र पहले ही भेज दिया है, जिस पर सीजेआई खन्ना ने जवाब दिया, ‘मैं पत्र देखूंगा और जरूरी कदम उठाए जाएंगे. हर दोपहर मेरे समक्ष ऐसी अर्जियां प्रस्तुत की जाती हैं. मौखिक रूप से कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है.’
इस पर अदालत में एक संक्षिप्त किंतु स्पष्ट संदेश गया- न्यायिक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर ‘हाई-प्रोफाइल’ याचिकाएं भी प्राथमिकता नहीं पा सकतीं.
वक्फ कानून के खिलाफ ओवैसी-मदनी भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ओर से वकील निजाम पाशा पेश हुए और उन्होंने भी समान याचिका की तत्काल सुनवाई की मांग की. लेकिन CJI ने एक बार फिर प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए आग्रह को अस्वीकार कर दिया.
पेश की गई याचिकाएं हाल ही में संसद से पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देती हैं, जिसे 4 अप्रैल को संसद से पारित और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बना दिया गया.
याचिकाओं में कहा गया है कि नए संशोधनों से धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन होता है. याचिकाकर्ताओं में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, केरल की धार्मिक संस्था समस्त केरल जमीयतुल उलेमा और दिल्ली के विधायक अमानतुल्लाह खान शामिल हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 08, 2025, 09:53 IST