चित्तौड़गढ़. चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर लगभग 493 साल बाद हजारों राजपूतों की उपस्थिति के बीच धार्मिक और पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ राजतिलक की रस्म का आयोजन किया गया. यह आयोजन दुर्ग पर फतह प्रकाश महल प्रांगण में हुआ. इसमें उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म अदा की गई. विश्वराज सिंह मेवाड़ इस गद्दी पर बैठने वाले एकलिंगनाथजी के 77वें महाराणा हुए हैं. मेवाड़ के महाराणा खुद को भगवान एकलिंग का दीवान मानते हैं.
सोमवार को कार्यक्रम में मेवाड़ के राव उमराव और ठिकानेदार पारंपरिक वेशभूषा में दुर्ग पर पहुंचे. वहीं देश के कई राजपरिवारों के मुखिया या प्रतिनिधि, सामाजिक, शिक्षा, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों के भी कई प्रमुख चेहरे, मेवाड़ के कई संत-महात्मा और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. इससे पहले 16वीं सदी में चित्तौड़गढ़ के राजटीले पर महाराणा सांगा के बेटे महाराणा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था.
प्राचीन राजधानी होने का गौरव जीवंत हो उठा
आज विश्वराज सिंह मेवाड़ की राजतिलक की रस्म के साथ चित्तौड़ के मेवाड़ की प्राचीन राजधानी होने का गौरव जीवंत हो उठा. मेवाड़ की परंपरा अनुसार सलूंबर रावत देवव्रत सिंह राजतिलक की परंपरा निभाई. उसके बाद उमराव, बत्तीसा, अन्य सरदार और सभी समाजों के प्रमुख लोगो ने नजराने पेश किये. इस मौके पर मौजूद अतिथियों ने आयोजन को इतिहास दौहराने वाला बताते हुए विश्वराज सिंह पर एकलिंग दीवान का दायित्व निर्वहन करने का विश्वास जताया.
पूर्व राजपरिवार के प्रति इलाके के लोगों में आज भी श्रद्धा का भाव है
उल्लेखनीय है कि महेन्द्र सिंह मेवाड़ का बीते दिनों लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. महेन्द्र सिंह मेवाड़ चित्तौड़गढ़ के सांसद भी रहे थे. चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रही है. महेन्द्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वराज सिंह मेवाड़ वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक हैं. उनकी पत्नी महिमा सिंह राजमसंद से सांसद हैं. मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के प्रति इलाके के लोगों में आज भी श्रद्धा का भाव है.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 16:14 IST