Last Updated:December 26, 2025, 19:41 IST
पीएम मोदी ने कहा कि साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते रहते हैं.नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों (पुत्रों) का सर्वोच्च बलिदान क्रूर मुगल सल्तनत के खिलाफ भारत के अदम्य साहस, शौर्य और वीरता की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है. वीर बाल दिवस के मौके पर साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश उन वीर सपूतों को याद कर रहा है जो भारत के अदम्य साहस, वीरता और शौर्य के शिखर का प्रतिनिधित्व करते हैं.
उन्होंने कहा, “आज हम अपने राष्ट्र के गौरव, वीर साहिबजादों को याद करते हैं. वे भारत के अदम्य साहस और शौर्य के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक हैं. उन वीर साहिबजादों ने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया. वे क्रूर मुगल सल्तनत के खिलाफ चट्टान की तरह ऐसे खड़े रहे कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया. जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वह राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता है.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि साहिबजादों की उम्र उस समय काफी कम थी, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब की क्रूरता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा, “औरंगजेब जानता था कि यदि वह भारत की जनता में भय उत्पन्न करना चाहता है और उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर करना चाहता है, तो उसे सबसे पहले भारतीयों का मनोबल तोड़ना होगा. इसीलिए उसने साहिबजादों को अपना निशाना बनाया. लेकिन औरंगजेब और उसके सिपहसालार यह भूल गए थे कि हमारे गुरु साधारण मनुष्य नहीं थे. वे तपस्या और त्याग के साक्षात अवतार थे.”
पीएम मोदी ने कहा कि माता गुजरी जी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते रहते हैं. उन्होंने कहा, “साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी को बहुत कम उम्र में ही उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा था. यह संघर्ष महज सत्ता के लिए नहीं था, बल्कि भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच टकराव था. यह सत्य और असत्य की लड़ाई थी.”
प्रधानमंत्री ने श्री गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के अवसर पर नौ जनवरी 2022 को घोषणा की थी कि उनके पुत्रों साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा, जिनका अद्वितीय बलिदान आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करता है. वीर बाल दिवस के मौके पर भारत सरकार देशभर में सहभागितापूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है, जिनका उद्देश्य नागरिकों को साहिबजादों के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान से रूबरू कराना तथा भारत के इतिहास के इन युवा नायकों के अदम्य साहस, त्याग और वीरता का सम्मान करना तथा उन्हें स्मरण करना है.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 26, 2025, 19:41 IST

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