Last Updated:April 11, 2025, 15:59 IST
High Court News: पति-पत्नी हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार, शादी के एक साल के बाद भीतर तलाक की याचिका दाखिल नहीं कर सकते हैं. पर ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा है कि एक साल के कूलिंग पीरियड से पहले तलाक दिया जा सकता है बस इस...और पढ़ें

तलाक की याचिका पर हाईकोर्ट ने क्या कहा, जानें?
हाइलाइट्स
ऐसे मामलों में याचिका को मंजूरी देने का अधिकार अदालत के पास सुरक्षित है.धारा 14 जो शादी के एक साल के भीतर तलाक की याचिका दाखिल करने पर रोक लगाती है.न्यायमूर्ति बिभु प्रसाद राउत्रे और चित्तारंजन दाश की खंडपीठ ने दिया फैसला.भुवनेश्वर. अगर पति-पत्नी शादी के एक साल के भीतर एक दूसरे अलग होना चाहते हैं तो यह संभव नहीं है, क्योंकि हिंदू मैरेज एक्ट इसकी इजाजत नहीं देता है. पर अगर कोई शादीशुदा जोड़ा शादी के एक साल के भीतर तलाक चाहता है तो उसके लिए अलग से एक याचिका दाखिल करनी होगी यह टिप्पणी ओडिशा हाईकोर्ट ने की है.
कोर्ट ने कहा है कि पति-पत्नी कहा है कि एक साल का वेटिंग पीरियड को माफ करवाने के लिए ‘असाधारण कठिनाई’ या ‘असाधारण क्रूरता’ का हवाला देते हुए एक अलग आवेदन दाखिल करना होगा. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों में याचिका को मंजूरी देने का अधिकार अदालत के पास सुरक्षित है.
एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए, जिसने अपनी शादी के एक साल के भीतर तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट से खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) की धारा 14 जो शादी के एक साल के भीतर तलाक की याचिका दाखिल करने पर रोक लगाती है. एक गैर-अवरोधक धारा के साथ शुरू होती है, जिसका मतलब है कि यह 1955 के कानून के अन्य सभी प्रावधानों को निरस्त करती है.
शादी के एक साल के भीतर नहीं मिलता तलाक
न्यायमूर्ति बिभु प्रसाद राउत्रे और चित्तारंजन दाश की खंडपीठ ने 7 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट रूप से न केवल अदालत को शादी के एक साल के भीतर तलाक की याचिका पर विचार करने से रोकता है, बल्कि किसी पक्ष को ऐसी याचिका प्रस्तुत करने से भी रोकता है. यह वैधानिक रोक तब तक पूर्ण है जब तक कि एक विशिष्ट अनुमति के लिए आवेदन दाखिल और स्वीकृत नहीं किया जाता.
अदालत ने आगे कहा कि एचएमए की धारा 14(1) हालांकि इस रोक में छूट की अनुमति देती है, जब याचिकाकर्ता असाधारण कठिनाई का सामना करने या दूसरे पक्ष की असाधारण क्रूरता को साबित कर सकता है. याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी की शादी 13 मई, 2020 को हुई थी. हालांकि, थोड़े समय के भीतर दंपति के बीच वैवाहिक विवाद उत्पन्न हो गए, जिससे दोनों पक्षों से गंभीर आरोप और विवाद सामने आए.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
April 11, 2025, 15:59 IST