देश के दूसरे और सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में एक लाल बहादुर शास्त्री को पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में युद्ध का सामना करना पड़ा था. इसके बाद अगले साल जब भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद में समझौता हुआ तो वहीं पर शास्त्री जी का निधन हो गया. इसके करीब 30 सालों बाद जब शास्त्री जी के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल शास्त्री जब तीन दिनों के लिए पाकिस्तान गए तो उनके साथ क्या हुआ. वो उनको अपने जीवन में अब भी क्यों याद आता है.
अनिल शास्त्री ने रविवार को नोएडा में “भगवान श्री चित्रगुप्त प्रकटोत्सव दिवस” के कार्यक्रम में अपने जीवन और भारत की बदलती इमेज से जुड़े कई किस्से सुनाए. उसी में पाकिस्तान का किस्सा भी है.
पाकिस्तान में उन्हें क्या समझा गया
मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अनिल शास्त्री ने बताया कि 90 के दशक में वह अपनी पत्नी के साथ तीन दिनों के लिए पाकिस्तान गए. वह जिस दुकान या होटल या रेस्टोरेंट में जाते थे, वहां उनके जाते ही लोग समझ जाते थे कि वो हिंदुस्तानी हैं, उसकी वजह ये भी थी कि उनकी पत्नी के माथे पर लाल बिंदी होती थी. जो हिंदुस्तानी और हिंदू होने की सबसे बड़ी पहचान थी.
हर जगह प्यार और सम्मान
उन्होंने बताया कि उन्हें हैरानी होती थी कि हर कोई बहुत प्रेम से मिलता और हर जगह ही बिना कहें 30 – 40 परसेंट की छूट मिल जाती. किसी को तब तक ये पता नहीं चला था कि वो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हैं. इसी बीच पाकिस्तान के किसी टीवी चैनल में उनका आधे घंटे का इंटरव्यू लिया गया. ये आनएयर हो गया.
नोएडा में “भगवान श्री चित्रगुप्त प्रकटोत्सव दिवस” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल शास्त्री.
फिर टीवी पर इंटरव्यू आने के बाद क्या हुआ
इसके बाद तो हालात एकदम बदल गए. अब वो जहां गए, वहां ना केवल शानदार तरीके से स्वागत किया गया बल्कि सड़कों पर लोग उन्हें दे्खकर हाथ हिलाते थे, अभिवादन करते थे. उन्होंने कहा, ये वाकई ऐसा यादगार दौरा था, जो आज भी उन्हें भुलाए नहीं भूलता. इतना प्यार और इतना आदर. साथ में उन्होंने चुटकी ली कि पाकिस्तान में मैने तब खुद को जितनी खास सेलिब्रिटी महसूस किया, वैसा तो भारत में कभी कर पाया.
लंदन के होटल का किस्सा
उन्होंने कहा कि 90 के दशक के बाद भारत की इमेज विदेशों में बदलने लगी. ये अनुभव भी वहां के दौरों में साफ होता था. हर जगह भारत को एक नई नजर से देखा जाने लगा था. इससे जुड़ा भी एक किस्सा उन्होंने सुनाया. ये बात 90 के दशक की है. वह अपनी पत्नी के साथ लंदन गए हुए थे. एक होटल में ठहरे थे. उन्होंने बताया, लंदन में यूं तो सबकुछ ठीक ठाक रेट पर ही मिल जाता है लेकिन अच्छे होटलों में दो चीज बहुत महंगी है, वो है दूध और पानी.
क्या हुआ रात में लौटते हुए
मैं रात में होटल लौट रहा था. हमें रास्ते में दूध और पानी की बोतलें लेना था, क्योंकि होटल में वो जितनी महंगी थी, उसमें उतना पैसा खर्च करने का कोई मतलब नहीं था लेकिन कार में लौटते समय रात हो चुकी थी. दस बज चुके थे. ज्यादातर शॉप्स के शटर गिर गए थे. एक शटर ऐसा दिखा जो आधा बंद था. मैने वहां कार रुकवाई. अंदर गया. दुकानदार ने मुझको देखते ही कहा, समय हो गया. अब कुछ नहीं मिल सकता. आपको दिखना चाहिए कि मैं दुकान बंद करने ही वाला हूं.
तब दुकानदार ने भारत को लेकर क्या कहा
मैने उससे फिर आग्रह किया, अगर संभव हो तो वाटर और मिल्क की बॉटल खरीद लेने दें. दुकानदार ने उन्हें ऊपर से लेकर नीचे तक देखा. उसके मन में पता नहीं क्या आया कि उसने कहा, अच्छा आप ले लीजिए, जो भी लेना हो ले लीजिए. मैने दूध और पानी की बोतल खरीदी. पैसा दिया. इतना करने के बाद उसने कहा कि क्या आप जानते हैं कि मैने क्यों आपको सामान लेने दिया. मैने पूछा – क्यों. जवाब था, आपके कोट पर लगे तिरंगे के टैग को देखकर. मैं आपके देश का आदर करता हूं.
क्योंकि वो प्रधानमंत्री का बेटा है
दो और किस्से उन्होंने पिता से जुड़े हुए बताए, उनके पिता यानि लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने ही बने थे. उनके ही आवास पर प्रेस कांफ्रेंस थी. पत्रकार सवाल पूछते रहे. इस बीच एक सवाल ये आया, शास्त्रीजी आप तो खादी पहनते हैं लेकिन आपका बेटा तो टेरीलीन की शर्ट पहनता है. उन दिनों टेरीलीन के कपड़े बहुत हिट थे. पिताजी ने जवाब दिया, मैं जिस घर से ताल्लुक रखता था, जिस बैकग्राउंड से आया, उसमें अभाव थे, लेकिन मेरा बेटा एक प्रधानमंत्री का बेटा है, इसलिए वो टेरीलीन पहन सकता है, इस पर खूब ठहाके लगे.
मिरांडा की लड़कियां जब पीएम हाउस चली आईं
एक किस्सा उनके स्टीफेंस कॉलेज और मिरांडा की लड़कियों से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के कोलंबस से इंटर के बाद उन्होंने डिग्री की पढ़ाई के करने के लिए स्टीफेंस में एडमिशन लिया. पास ही मिरांडा था. तो हम लोग और हमारे दोस्तों की मुलाकात मिरांडा की लड़कियों से होने लगी, क्योंकि उनका कॉलेज भी वहीं पर था. हमारी पहचान भी वहां की लड़कियों से हो गई.
लड़कियों से मिलने से मना कर दिया
एक दिन की मिरांडा की चार पांच लड़कियां उनसे मिलने सीधे प्रधानमंत्री आवास आ गईं. तब आजकल की तरह पीएम हाउस की सुरक्षा नहीं होती थी. बस गेट पर दो तीन गार्ड खड़े रहते थे. गेट से फोन आया कि अनिल से मिलने मिरांडा की चार पांच लड़कियां आई हुई हैं. मैं डर ही गया, क्योंकि पिताजी के आने का भी समय हो रहा था. लिहाजा उन्होंने गेट पर कहलवा भेजा कि उनसे कह दो मैं घर पर नहीं हूं.
लाल बहादुर शास्त्री उन लड़कियों से मिले
तभी लाल बहादुर शास्त्री की कार अंदर घुसी, उन्होंने देखा कि गेट पर चार पांच लड़कियां खड़ी हैं, तो उन्होंने कार रोक पूछा, वो किससे मिलने आई हैं. अंदर आए तो मुझको बुलाया कि तुमसे मिलने बाहर तुम्हारी पहचान की लड़कियां आई हैं, तुमने मना कर दिया. ये नहीं करना चाहिए. किसी से मिलने जुलने में कोई बुराई नहीं होती, फिर घर आए को लौटाते भी नहीं. उनकी ये बात मैने फिर गांठ बांध ली. उनको बुलाया. बिठाया, सत्कार किया. उसका नतीजा ये हुआ कि मैने अपने बेटे को इस मामले में पूरी छूट दी.
मौजूदा सरकार की तारीफ और चुटकी भी
कुछ बातें उन्होंने और कीं. अच्छा काम करने के लिए मौजूदा सरकार की तारीफ की. ये भी कहा कि लोग अक्सर पूछते हैं कि मैं कैसे कांग्रेस में ही हूं, दूसरे नेता तो खूब पार्टियां बदल रहे हैं. इस मामले में शत्रुध्न सिन्हा को लेकर चुटकी ली. पहले वो बीजेपी में थे. फिर कांग्रेस में आ गए. अब तृणमूल में हैं. लेकिन मैं ऐसा नहीं करता. मेरा दिल गवारा नहीं करता, लिहाजा जहां हूं, वहीं ठीक हूं.