शिवराज पाटिल: वो गृह मंत्री, जो टेरर अटैक के बीच सूट बदलने के लिए हुए बदनाम

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Last Updated:December 12, 2025, 10:08 IST

Shivraj Patil: मनमोहन सिंह ने जब पहली बार बतौर प्रधानमंत्री देश की कमान संभाली थी तो शिवराज पाटिल को गृह मंत्रालय की बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी. उस दौरान कई आतंकवादी हमले हुए. इससे न केवल मनमोहन सरकार, बल्कि शिवराज पाटिल की कायर्क्षमता पर भी गंभीर सवाल उठे थे. दिल्‍ली सीरियल ब्‍लास्‍ट के समय बार-बार ड्रेस बदलने की घटना पाटील के पॉलिटिकल करियर पर चिपक सा गया.

 वो गृह मंत्री, जो टेरर अटैक के बीच सूट बदलने के लिए हुए बदनामShivraj Patil: लातूर से 7 बार सांसदी का चुनाव जीतने वाले शिवराज पाटिल देश के गृह मंत्री रहे थे. (फाइल फोटो/PTI)

Shivraj Patil: भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं जो विवादों से हमेशा के लिए जुड़ गए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री शिवराज विश्वनाथ पाटिल ऐसा ही एक नाम है. शिवराज पाटील का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. साल 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले पाटील को आतंकवाद से निपटने में नाकामी और खासकर एक अजीबोगरीब विवाद ने बदनाम कर दिया. लोग उन्हें उस गृह मंत्री के तौर पर याद करते हैं जो आतंकी हमलों के बीच ‘सूट बदलने’ में व्यस्त रहे. यह विवाद दिल्ली सीरियल ब्लास्ट से शुरू हुआ था. 26/11 के मुंबई हमलों के बाद उनको अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था. उन्‍होंने आखिरकार 30 नवंबर 2008 को हमले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. बता दें कि शिवराज पाटील लातूर से 7 बार सांसद चुने गए थे.

शिवराज पाटिल का राजनीतिक सफर लंबा और शानदार रहा. साल 1935 में महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकूर गांव में जन्मे पाटिल ने 1980 से लगातार सात लोकसभा चुनाव जीते. वे लोकसभा स्पीकर भी रहे और इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी की सरकारों में मंत्री बने. 2004 में यूपीए सरकार बनने पर उन्हें गृह मंत्रालय सौंपा गया, जो उनकी जिंदगी का सबसे विवादास्पद दौर साबित हुआ. उस समय वे लोकसभा चुनाव हार चुके थे, फिर भी सोनिया गांधी के करीबी होने के कारण उन्हें यह महत्वपूर्ण पद मिला.

26/11 मुंबई अटैक के दौरान शिवराज पाटिल ही देश के होम मिनिस्‍टर थे. (फाइल फोटो/PTI)

क्‍या है सूट बदलने का विवाद?

पाटिल के कार्यकाल में देश लगातार आतंकवादी हमलों की चपेट में रहा. 2005 से 2008 के बीच हैदराबाद, मालेगांव, जयपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरु और दिल्ली में कई सीरियल ब्लास्ट हुए. इन हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए. सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी पर सवाल उठते रहे. विपक्षी भाजपा ने पाटील को लगातार निशाना बनाया. लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए. उस रात दिल्ली के कई इलाकों में धमाके हुए, दर्जनों लोग मारे गए. पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल था, लेकिन टीवी चैनलों पर गृह मंत्री शिवराज पाटील अलग-अलग ड्रेस में नजर आए.

सीरियल ड्रेसर का तमगा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उस दिन पाटिल ने कम से कम तीन बार सूट बदला. पहले सफेद बंद गला, फिर काला और फिर दोबारा सफेद. वे अलग-अलग ब्लास्ट साइट्स पर पहुंचे और हर बार नई ड्रेस में टीवी कैमरों के सामने आए. आलोचकों ने कहा कि जब देश संकट में है, लोग मर रहे हैं, तब गृह मंत्री फैशन पर ध्यान दे रहे हैं. इकोनॉमिक टाइम्स ने लिखा था, ‘टीवी चैनल तबाही के दृश्य दिखा रहे थे, लेकिन गृह मंत्री शिवराज पाटिल अपने वार्डरोब में व्यस्त थे.’ जोक चलने लगे कि पाटिल कपड़े प्रेस करवा रहे थे, जबकि दिल्ली जल रही थी. विपक्ष ने इसे लापरवाही का प्रतीक बताया. भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि असली मुद्दा उनके कपड़े नहीं, बल्कि काम है. लेकिन यह विवाद पाटिल की छवि पर गहरा धब्बा बन गया. लोग उन्हें ‘सीरियल ड्रेसर’ कहने लगे.

मुंबई आतंकी हमले के बाद शिवराज पाटिल को इस्‍तीफा देना पड़ा था.

ताबूत में एक और कील

यह विवाद दिल्ली तक सीमित नहीं रहा. मात्र दो महीने बाद 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर सबसे भयावह आतंकी हमला हुआ. लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे जगहों पर हमला बोला. तीन दिन तक चली मुठभेड़ में 166 लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए. एनएसजी कमांडो ने ऑपरेशन चलाया, लेकिन देरी के आरोप लगे. विपक्ष और मीडिया ने गृह मंत्रालय पर सवाल उठाए. कहा गया कि एनएसजी को दिल्ली से मुंबई भेजने में देरी हुई. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि हमले के समय पाटिल कपड़े बदलने या टीवी अपीयरेंस के लिए तैयार होने में व्यस्त थे. हालांकि, पाटिल ने बाद में सफाई दी कि वे तीन घंटे के अंदर एनएसजी कमांडो के साथ मुंबई पहुंच गए थे, लेकिन जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ.

आखिरकार देना पड़ा इस्‍तीफा

मुंबई हमलों ने यूपीए सरकार की नींद उड़ा दी. कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में पाटिल पर तीखी आलोचना हुई. कई मंत्रियों ने कहा कि उच्च स्तर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए. आखिरकार 30 नवंबर 2008 को शिवराज पाटिल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी ली. उनकी जगह पी. चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया गया. अमेरिकी राजदूत की विकीलीक्स केबल में पाटील को ‘स्पेक्टेक्युलरली इनेप्ट’ बताया गया था. इस्तीफे के बाद पाटिल राजनीतिक वनवास में चले गए. 2010 में उन्हें पंजाब का गवर्नर बनाया गया, जहां वे 2015 तक रहे. 2014 में अपनी आत्मकथा में उन्होंने 26/11 का जिक्र तक नहीं किया, जो एक और विवाद का कारण बना. बाद में उन्होंने कहा कि आतंक से निपटने में राजनीतिक समझदारी और सेना की ताकत का इस्तेमाल किया गया. लेकिन जनता की नजर में वे वो गृह मंत्री बने रहे जिन्होंने संकट के समय फैशन को तरजीह दी.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

Location :

Mumbai,Maharashtra

First Published :

December 12, 2025, 09:49 IST

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