शेख मुजीब की पुण्यतिथि पर सार्वजनिक छुट्टी रद्द, क्या है 15 अगस्त 1975 से जुड़ा दर्दनाक इतिहास?

1 month ago

15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार हत्या कर दी गई थी. देश में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता था और इस दिन को राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाया जाता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से 'राष्ट्रपिता' की विरासत को मिटाने की मुहिम सी चल रही है. पहले शेख मुजीब की मूर्तियों को तोड़ा गया, उनको समर्पित एक म्यूजियम को आग के हवाले कर दिया गया, एक्सप्रेसवे से उनकी नेमप्लेट भी हटाई गई, अब उनकी पुण्यतिथि पर होने वाली सार्वजनिक छुट्टी को अंतरिम सरकार ने रद्द कर दिया है. अपने ही 'राष्ट्रपिता' की पहचान को मिटाने की कोशिशों ने दुनिया को हैरान कर दिया है.

शेख हसीना ने समर्थकों से राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने को कहा
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना ने अपने समर्थकों से राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने की अपील की है. उन्होंने एक बयान में कहा, 'मैं आपसे अपील करती हूं कि 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को पूरी गरिमा और गंभीरता के साथ मनाएं. बंगबंधु भवन में पुष्प माला चढ़ाकर और प्रार्थना करके सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.'

छात्र नेताओं ने दी ये धमकी
छात्र आंदोलन के नेताओं ने 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रद्द करने के अंतरिम सरकार के फैसले के खिलाफ शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं के संभावित प्रदर्शन का विरोध करने का ऐलान किया है.

भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के प्रमुख समन्वयक सरजिस आलम ने कहा, ‘अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता गुरुवार को शोक दिवस मनाने के नाम पर अराजकता फैलाने की कोशिश करेंगे। हम ऐसी किसी भी कोशिश का विरोध करने के लिए सड़कों पर मौजूद रहेंगे।’

क्या हुआ था 15 अगस्त 1975 को?
15 अगस्त 1975 की सुबह अभी भोर नहीं हुई थी. टैंक की एक टीम धानमंडी में रोड 32 के हाउस 677 में स्थित राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आवास की ओर बढ़ रही थी.

पुलिस और सेना से बनी सुरक्षा कर्मियों की एक टुकड़ी वहां अपनी ड्यूटी निभा रही थी. उस रात तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक नूरुल इस्लाम खान गार्ड्स की निगरानी कर रहे थे।

घर के अंदर, सभी अभी भी सो रहे थे: राष्ट्रपति मुजीब, उनकी पत्नी शेख फजीलतुन्नसा मुजीब, उनके बेटे शेख कमाल, शेख जमाल और शेख रसेल, बहुएं और उनके भाई शेख नासर। उन्हें नहीं पता था कि वे अगले दिन की रोशनी देखने के लिए जीवित नहीं रहेंगे क्योंकि बर्बर हत्या को अंजाम देने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी.

कुछ टैंक रोड 32 के एंट्री गेट पर रुके जबकि कुछ अन्य अंदर चले गए, और निवास के गेट पर रुक गए।

बंगबंधु के निजी सहायक एएफएम मोहितुल इस्लाम निवास पर रात की ड्यूटी पर थे। अचानक फोन बजा, और उन्होंने नींद में ही फोन उठाया।

बंगबंधु ने पहली मंजिल पर अपने बेडरूम से फोन पर कहा, 'सेर्नियाबट [बंगबंधु के साले अब्दुर रब सेर्नियाबट] के घर पर हमला हुआ है!

"तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को बुलाओ.'
मोहितुल ने पुलिस को फ़ोन किया लेकिन बात नहीं हो पाई. तभी मुजीब दफ़्तर के कमरे में आए और पूछा कि क्या वे पुलिस कंट्रोल रूम से संपर्क कर सकते हैं. मोहितुल ने नकारात्मक जवाब दिया. मोहितुल को आखिरकार गोनो भवन एक्सचेंज की लाइन मिल गई. किसी ने वहां फ़ोन उठाया लेकिन बात नहीं की. अधीर होकर राष्ट्रपति ने खुद ही हैंडसेट उठाया और उसमें कहा: 'मैं राष्ट्रपति शेख मुजीब बोल रहा हूँ.'

तभी गोलियों की बौछार ने खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. असंतुष्ट सैन्य अधिकारियों के एक समूह द्वारा बंगबंधु की हत्या का अभियान शुरू हो चुका था.

सैनिकों ने बंगबंधु के अलावा उनकी पत्नी शेख फजीलतुन्नसा मुजीब, उनके बेटे शेख कमाल और उनकी पत्नी सुल्ताना कमाल खूकि, उनका दूसरा बेटे शेख जमाल और पत्नी रोजी की हत्या कर दी.

हत्यारों ने शेख मुजीब के 10 वर्ष के बेटे शेख रसेल को भी नहीं छोड़ा. इसके अलावा बंगबंधु के भाई शेख अबु नसर की हत्या कर दी गई.

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