नई दिल्ली (IAS Officers in News). साल 2025 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी देशभर में सुर्खियों में रहे. इस साल साबित हो गया कि नौकरशाही अब केवल सुशासन का माध्यम नहीं है, बल्कि कठोर राजनीतिक टकरावों और सार्वजनिक विवादों का अखाड़ा भी बन चुकी है. जहां एक तरफ कई आईएएस अफसरों ने अपने शानदार कामों और इनोवेशन से देश का नाम रौशन किया, वहीं कुछ अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोपों और उनके मर्यादाहीन बयानों ने IAS सेवा की शुचिता पर सवाल खड़े किए.
इस साल आईएएस अधिकारियों की चर्चा दो विपरीत ध्रुवों पर केंद्रित रही. एक तरफ ग्लोबल मंच पर सम्मान और जमीनी स्तर पर प्रभावी बदलाव लाने वाले आईएएस अधिकारी थे तो वहीं दूसरी तरफ विवादास्पद बयानों, रिश्वतखोरी के आरोपों और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कुछ अधिकारी लगातार सुर्खियों में रहे. इससे पता चलता है कि बदलते दौर में IAS अधिकारियों की भूमिका कितनी कॉम्प्लेक्स हो गई है, जहां उन्हें प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ नैतिक और सार्वजनिक आचार संहिता का भी कठोरता से पालन करना होता है.
2025 में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले 10 आईएएस अफसर
साल 2025 खत्म होने वाला है. यह साल अलग-अलग वजहों से हमेशा याद रखा जाएगा. ब्यूरेक्रेसी की बात करें तो 15 आईएएस अफसर अपने सही-गलत कामों के चलते इस साल ट्रेंडिंग न्यूज़ का हिस्सा रहे. जानिए 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले 10 आईएएस अफसरों के बारे में.
1. सुप्रिया साहू (आईएएस, तमिलनाडु कैडर)
चर्चा का कारण: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का 2025 ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार जीतना.
योगदान: उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण को सुधारने में नेतृत्व किया. साथ ही उन्होंने ‘ऑपरेशन ब्लू माउंटेन’ के तहत एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर रोक लगाई.
2. डॉ. आर. सेल्वाकुमार (IAS, बिहार कैडर)
चर्चा का कारण: उन्हें ऐसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था में ऊंचा पद मिला, जो दुनियाभर में टिकाऊ विकास (पर्यावरण को बचाते हुए तरक्की) को बढ़ावा देती है.
योगदान: शिक्षा और ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्रों में अभिनव मॉडल लागू करना.
3. राजेश कुमार (आईएएस, उत्तर प्रदेश कैडर)
चर्चा का कारण: सरकारी सेवाओं की डिलीवरी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सफल और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल.
योगदान: शिकायत निवारण के लिए AI-आधारित प्लेटफॉर्म डेवलप करना, जिससे प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और तेजी आई.
4. टीना डाबी (IAS, राजस्थान कैडर)
चर्चा का कारण: देश की सबसे चर्चित आईएएस अधिकारियों में से एक टीना डाबी 2 करोड़ की पुरस्कार राशि को लेकर इस साल चर्चा में रहीं.
5. नवीन अग्रवाल (आईएएस, ओडिशा कैडर)
चर्चा का कारण: डिजास्टर मैनेजमेंट में उनकी तुरंत और प्रभावी प्रतिक्रिया और ‘जीरो कैजुअल्टी’ (Zero Casualty) स्ट्रैटेजी की सफलता.
6. नागार्जुन गौड़ा (आईएएस, मध्य प्रदेश कैडर)
चर्चा का मुख्य कारण: उन पर ₹51 करोड़ के जुर्माने को मात्र ₹4,032 में बदलने और इस कार्य के बदले ₹10 करोड़ की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगा.
विवाद का सार: RTI कार्यकर्ताओं ने उन पर एक सड़क निर्माण कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया, हालांकि, नागार्जुन गौड़ा ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे गलतफहमी और दुर्भावनापूर्ण बताया, लेकिन यह मामला पूरे साल सुर्खियों में रहा.
7. संतोष वर्मा (IAS, मध्य प्रदेश कैडर)
चर्चा का मुख्य कारण: ब्राह्मण समुदाय की बेटियों को लेकर अत्यधिक विवादास्पद और आपत्तिजनक बयान देना, जिसके बाद उन्हें पद से हटाने की मांग की जा रही है.
परिणाम: उनके बयानों को सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाला माना गया. उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग हुई. उनके बयान आरक्षण और सामाजिक समानता के मुद्दे पर केंद्रित थे, लेकिन भाषा की मर्यादा भंग होने के कारण उन्हें कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
8. स्मिता सभरवाल (आईएएस, तेलंगाना कैडर)
चर्चा का कारण: उच्च पद पर नियुक्ति और राजनीतिक नेतृत्व के साथ उनकी करीबी.
परिणाम: उनके प्रशासनिक फैसलों को कभी-कभी राजनीति से प्रेरित होने के आरोपों के कारण विवादों में घसीटा गया, जिससे प्रशासन की निष्पक्षता पर बहस छिड़ी.
9. अपराजिता सिंह (IAS, राजस्थान कैडर)
चर्चा का कारण: शिक्षा क्षेत्र में ड्रॉप-आउट दर को कम करने के लिए सफल बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक हस्तक्षेप मॉडल का कार्यान्वयन.
10. लीना जॉर्ज (IAS, आंध्र प्रदेश कैडर)
चर्चा का कारण: राज्य के वित्तीय घाटे को कम करने और सरकारी खर्च में पारदर्शिता लाने के लिए किए गए कड़े सुधार.

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