सीधी टक्कर नहीं, तीनतरफा फाइट भी नहीं बिहार की इस सीट पर 'चौकोर मुकाबला'

7 hours ago

Last Updated:October 25, 2025, 16:03 IST

Bihar Chunav Munger Vidhansabha Seat : मुंगेर विधानसभा की सियासत इस बार बेहद दिलचस्प मोड़ पर है. बिहार चुनाव 2025 के रण में यह सीट उन कुछ चुनिंदा सीटों में शामिल है जहां मुकाबला चार-पक्षीय हो गया है. खास बात यह है कि महागठबंधन और एनडीए के पारंपरिक मुकाबले के बीच अब AIMIM और जनसुराज पार्टी ने भी ताल ठोक दी है, जिससे समीकरण पूरी तरह उलझ गए हैं.

सीधी टक्कर नहीं, तीनतरफा फाइट भी नहीं बिहार की इस सीट पर 'चौकोर मुकाबला'मुंगेर में सियासी रण हुआ दिलचस्प, AIMIM और जनसुराज ने बढ़ाई एनडीए और महागठबंधन की मुश्किल

मुंगेर. बिहार चुनाव में मुंगेर विधानसभा की सियासत इस बार रोमांचक मोड़ पर है. चुनावी मैदान में समीकरण इतने पेचीदा बन चुके हैं कि किसी भी पार्टी के लिए यह सीट आसान नहीं दिख रही. महागठबंधन की चुनौती जहां महागठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए AIMIM ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है, वहीं NDA के वोटों में सेंधमारी की कोशिश में जनसुराज पार्टी भी मैदान में उतर चुकी है. अब असली सवाल यह है कि कौन सी पार्टी अपने कैडर वोट को बचा पाती है और किसके वोट बैंक में सेंध लगती है.

मुंगेर का ऐतिहासिक महत्व

गंगा किनारे बसा ऐतिहासिक और पौराणिक जिला मुंगेर, जिसे एक ओर “योग नगरी” कहा जाता है तो दूसरी ओर “हथियारों का गढ़” के नाम से जाना जाता है. मुंगेर बिहार की राजनीति में भी हमेशा से अहम भूमिका निभाता आया है. 1952 में जब पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव हुआ था, तब अविभाजित मुंगेर से 24 विधायक चुने गए थे. खड़गपुर से निर्वाचित श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने थे. समय के साथ मुंगेर से कई जिलों का निर्माण हुआ, लेकिन आज भी 165 मुंगेर विधानसभा अपने ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व के कारण सुर्खियों में रहती है.

समीकरण और उम्मीदवार

इस बार मुकाबला कई परतों वाला है. NDA की तरफ से बीजेपी ने बड़ा फैसला लेते हुए मौजूदा विधायक प्रणव यादव का टिकट काटकर युवा और पुराने कार्यकर्ता कुमार प्रणय पर दांव खेला है. वहीं महागठबंधन के घटक दल ने फिर से अपने पुराने चेहरे मुकेश यादव पर भरोसा जताया है. वह तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं और पिछली बार बेहद कम अंतर से हार गए थे.

नई रणनीति और खिलाड़ी

हालांकि, इस बार समीकरण को और उलझा दिया है दो नए खिलाड़ियों ने. पहले हैं मोनाजिर हसन, जो कभी जदयू और राजद दोनों में मंत्री रह चुके कद्दावर नेता रहे हैं. उन्होंने अब असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से मैदान में उतरकर मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी है. वहीं दूसरी ओर जनसुराज पार्टी से संजय सिंह, जो जिला परिषद सदस्य भी हैं, ने NDA के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति अपनाई है.

सियासी जंग पूरी तरह रोचक हुई

मुंगेर का हर उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन इस बार मुकाबला चौकोर हो गया है और समीकरण बेहद दिलचस्प बन गए हैं. चार उम्मीदवारों के बीच यह सियासी जंग अब पूरी तरह रोचक हो चुकी है. हर दल अपनी जीत के दावे कर रहा है, लेकिन मुकाबले की दिशा तय करेगी वोटों की मामूली खिसकन. AIMIM और जनसुराज की एंट्री ने पारंपरिक समीकरणों को तोड़ दिया है.

मतों की बरसात किस पर होगी?

बहरहाल, अब 14 नवंबर को जब EVM की बटन दबेगी परिणाम सामने आएंगे, तब यह तय होगा कि मुंगेर की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है- पुराने दिग्गजों को, नए चेहरों को, या फिर उन दलों को जो पहली बार यहां सियासी जड़ें जमाने की कोशिश में हैं. अब देखना यह है कि EVM की बटन दबने के बाद मतों की बरसात किसके सिर मुकुट बनकर सजती है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

October 25, 2025, 16:03 IST

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