Last Updated:April 11, 2025, 19:51 IST
LONG RANGE GLIDE BOMB: ग्लाइड बम का सबसे बड़ा फायदा यह होता है इसे दुश्मन के इलाके के बाहर से आसानी से दागा जा सकता है. यह किसी भी दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज के खतरे से दूर से लॉन्च किया जा सकता है. यह...और पढ़ें

'गौरव' ग्लाइड बम बढ़ाएगा देश का गौरव
हाइलाइट्स
स्वदेशी ग्लाइड बम 'गौरव' की मारक क्षमता 100 किलोमीटर है.डीआरडीओ ने 'गौरव' का सफल ट्रायल चांदीपुर में किया.'गौरव' बम भारतीय वायुसेना के सुखोई 30 से दागा गया.LONG RANGE GLIDE BOMB भारतीय वायुसेना के जखीरे में स्वदेशी हथियारों की तादाद को बढ़ाया जा रहा है. लंबू दूरी तक मार करने मिसाइल तो भारतीय नौसेना के पास मौजूद है. अब लंबी दूरी तक मार करने वाले बम भी तैयार किए जा चुके है. एक बार एयरक्राफ्ट से लान्च किए गए तो कई मीलों दूर तक मार करने की क्षमता रखते है. इस बम का नाम दिया गया है गौरव. यह एक ग्लाईड करने वाला 1000 किलों का बम है. डीआरडीओं ने 8 अप्रैल को चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से इसका सफल रिलीज ट्रायल किया. यह ट्रायल भारतीय वायुसेना के फ्रंटलाइन फाइटर एयरक्राफ्ट सुखोई 30 से किया गया. लांग रेंज ग्लाइड बम के ट्रायल के दौरान इसे अलग अलग वॉरहेड कॉन्फिग्रेशन के साथ एक द्वीप पर बने टारगे पर दागा गया. इस बम ने हवा में 100 किलोमीटर तक ग्लाइड करते हुए टार्गेट को सटीक निशाना बनाया. इस पूरे ट्रायल को डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना के सीनियर अधिकारी मॉनिटर कर रहे थे.
क्या होता है ग्लाइड बम?
फाइटर एयरक्राफ्ट से दागे जाने वाले बम कई तरह के होते हैं. इनमें सामन्य बम जिसे फाइटर के विंग या बेलि में लगाकर ड्रॉप किया जाता है. इस तरह के बम की टेल पर फिन बने होते है. जो एयरक्राफ्ट से रिलीज करने के बाद बम को स्थिरता देते है. हांलाकि इसकी रेंज बहुत ज्यादा नहीं होती. तकरीबन 5-10 किलोमीटर तक हो सकती है. टार्गेट को हिट करने के लिए एयरक्राफ्ट को उसके उपर से उड़ान भरते हुए रिलिज करना होता है. जब्कि ग्लाइड बम की रेंज सामान्य बम के रेंज से 10 गुना से भी ज्यादा हो सकती है. जितनी उंचाई से इसे रिलिज किया जाएगा उतनी दूर तक वह निशाना साध सकता है. इस तरह के ग्लाइड बम में दो विंग लगे होते हैं. एयरक्राफ्ट से छोड़े जाने के बाद इसने विंग खुल जाते है और यह हवा में ग्लाइडर की तरह उड़ते हुए अपने टार्गेट को निशाना बनाते है. इस तरह से समझने की कोशिश करे कि एक एयरक्राफ्ट से छोटा एयरक्राफ्ट को लॉन्च किया जाता है. यह ग्लाइड बम भी दो तरह के होते है. एक बम ऐसे होते है जिसमें बूस्टर लगा होता है. एयरक्राफ्ट से रिलीज होने के बाद इसमें लगा बूस्टर स्टार्ट हो जाता है. जो बम को थोड़ी दूर तक ले जाता है और फिर उसके विंग खुलते है. दूसरा बम बिना बूस्टर वाला होता है जिसके विंग एयरक्राफ्ट से रिलीज होने के कुछ देर में ही खुल जाते हैं.
गौरव है पूरी तरह से स्वदेशी
इस बम का पहला ट्रायल सा 2014 में किया गया था. 1000 किलो के इस ग्लाइड बम की खासियत है इसकी रेंज और इसकी सटीकता. गौरव की रेंज 100 किलोमीटर की है. इस बम के ऑन बोर्ड हाईब्रिड नेविगेशन सिस्टम इसे लंबी दूरी तक सटीक मार करने की क्षमता देती है. गौरव ग्लाइड बम के डेवल्पमेंट ट्रायल लगभग खत्म हो चुके हैं. अब जल्द ही इसे यूजर ट्रायल के लिए दिया जाएगा. एक बार यूजर ट्रालय पूरे होने के बाद इसे आधिकारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा. इसी का दूसरा वर्जन जिसे नाम दिया गया है ‘गौतम’ वह डेवल्पमेंट फेज में है. इसकी रेंज 30 किलोमीटर के करीब है. लेकिन इसमें गौरव की तरह विंग नहीं है.
First Published :
April 11, 2025, 19:51 IST