हार्टअटैक, हादसा और फिर महादान... मानवता की हार के बीच इंसानियत की जीत

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Last Updated:December 17, 2025, 10:41 IST

बेंगलुरु में दर्द से कराहता पति सड़क पर पड़ा रहा, पत्नी मदद की गुहार लगाती रही, जब तक मदद मिली तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पति को खोने के गहरे सदमे के बीच पत्नी ने ऐसा फैसला लिया जो मिसाल बन गया.

हार्टअटैक, हादसा और फिर महादान... मानवता की हार के बीच इंसानियत की जीतबेंगलुरु में समय पर मदद न मिलने से एक युवक की मौत हो गई.

मानवता जहां दम तोड़ जाए वहां कभी-कभी इंसानियत ऐसा काम कर देती है जो बरसों-सदियों तक मिसाल के तौर पर जानी जाती है. देश की आईटी राजधानी कहे जाने वाले बेंगलुरु से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने उस शहर के दो लोगों की जिंदगी रोशन कर दी, जहां उसके प्रति किसी ने संवेदना नहीं दिखाई.

हार्ट अटैक के दर्द से कराहता पति सड़क पर पड़ा रहा, पत्नी मदद की गुहार लगाती रही, जब तक मदद मिली तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पति को खोने के गहरे सदमे के बीच पत्नी ने ऐसा फैसला लिया, जिसने इंसानियत को नई परिभाषा दी. उसने अपने दिवंगत पति की आंखें दान करने का फैसला लिया, वह पति के अंगदान भी करना चाहती थीं, मगर देर होने की वजह से ऐसा नहीं किया जा सका.

हार्टअटैक, हादसा और महादान की यह कहानी है 34 साल के वेंकटारमनन की. उन्हें रात साढ़े तीन बजे अचानक सीने में दर्द हुआ, वेंकट ने अकेले ही अस्पताल जाने का फैसला किया, मगर पत्नी रूपा ने जिद की और उनके साथ गईं, बाइक पर ही दंपती एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, यहां से उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. दंपती यहां से एक दूसरे अस्पताल भागे जहां वेंकट का ईसीजी हुआ मगर उन्हें जयनगर स्थित जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज ले जाने की सलाह दी गई. पत्नी रूपा का आरोप है कि अस्पताल ने न तो प्राथमिक उपचार दिया और न ही एंबुलेंस की व्यवस्था की.

दर्द से कराहते वेंकटारमनन और पत्नी रूपा बाइक से ही जयनगर स्थित अस्पताल के लिए निकले. मगर रास्ते में बाइक का एक्सीडेंट हो गया. दंपती सड़क पर गिर गए. वेंकट का दर्द बढ़ता जा रहा था. रूपा को कुछ समझ नहीं आ रहा था. गिरने से उसके चेहरे पर चोट लग गई थी, वह सड़क पर लोगों से मदद की गुहार लगाती रही. रूपा के मुताबिक 10 मिनट तक कोई नहीं रुका, अगर किसी एक भी व्यक्ति ने समय पर मदद की होती तो शायद आज वेंकटारमनन जिंदा होते.

रूपा गुहार लगाती रही, तब तक उसकी भाभी भी वहां पहुंची, लगातार मदद की गुहार लगाता देख एक टैक्सी चालक वहां पहुंचा और वेंकटारामनन को लेकर एक निजी अस्पताल गया, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वेंकटारमनन के दो बच्चे थे, एक 5 साल का बेटा और 18 महीने की बेटी. 2020 में ही उनकी शादी हुई थी. वेंकट की बहन के मुताबिक भाई हमेशा लोगों की मदद करते थे, मगर जब उन्हें हेल्प की जरूरत थी तो कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया.

इस दर्दनाक घटना के बाद जो हुआ, उसने सभी को भावुक कर दिया. पति को न बचा पाने का गम झेल रही पत्नी ने समाज को आईना दिखाने वाला फैसला लिया. उसने अपने दिवंगत पति की आंखें दान करने की सहमति दे दी, ताकि किसी और की दुनिया रोशन हो सके. अब वेंकटरमनन की आंखों से उस शहर के दो लोगों की जिंदगी रोशन हो सकेगी, जिस शहर के लोगों ने जरूरत पड़ने पर उनकी मदद नहीं की. परिवार के मुताबिक वह वेंकटरमनन के अंदान करना चाहते थे, मगर देरी होने की वजह से ऐसा हो नहीं सका.

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Ambar BajpaiDeputy News Editor

मैं इस समय News18 App टीम का हिस्सा हूं. इससे पहले मैंने, अमर उजाला, हिंदुस्तान जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में काम किया है. साथ ही टाइम्स नाउ, जागरण और टीवी9 भारतवर्ष की वेबसाइट में राजनीति, इतिहास, शिक्षा, साहित्...और पढ़ें

First Published :

December 17, 2025, 10:40 IST

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